दिल्ली। लोकसभा चुनाव के मद्देनजर भाजपा पर बढ़त बनाने की कोशिश में अब कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने एक और वादा कर दिया है।
केरल के कोच्चि में पार्टी बूथ कार्यकर्ता सम्मेलन में महिलाओं के सशक्तीकरण के बहाने उन्होंने कहा कि कांग्रेस सत्ता में आई तो महिला आरक्षण विधेयक पास कराने में देर नहीं लगाएगी। कांग्रेस के साथ भाजपा ने भी 2014 के चुनाव घोषणा पत्र में महिला आरक्षण का वादा किया था।
मगर राज्यसभा में करीब नौ साल पहले पारित हो चुका महिला आरक्षण विधेयक लोकसभा की देहरी अब तक नहीं लांघ पाया है। मौजूदा लोकसभा के गुरुवार से शुरू हो रहे आखिरी सत्र में भी इसकी गुंजाइश नहीं है। ऐसे में राहुल ने महिला आरक्षण की घोषणा करके भाजपा को घेरने की रणनीति बनाई है।
हालांकि लोकसभा में इस संविधान संशोधन विधेयक को कांग्रेस काल में भी पारित नहीं कराया जा सका था। खुद कथित महागठबंधन के ही कई दल राज्यसभा से पारित महिला आरक्षण विधेयक के स्वरूप से सहमत नहीं हैं।
बहरहाल, राहुल ने एक और दांव चल दिया है। ध्यान रहे कि सोमवार को उन्होंने छत्तीसगढ़ में गरीबों के लिए ‘न्यूनतम आमदनी गारंटी’ योजना का एलान किया था। इससे पहले वह पूरे देश में किसान कर्ज माफी की घोषणा भी कर चुके हैं। इन तीन बड़े वादों के बाद कांग्रेस की ओर से शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में कुछ और लोक-लुभावन वादों का एलान किए जाने की उम्मीद है।
कांग्रेस का थिंक टैंक इन मुद्दों पर बड़े एलान की रूपरेखा तैयार कर रहा है। वैसे न्यूतनम आय गारंटी की तरह राहुल गांधी ने महिला आरक्षण का वादा एकाएक नहीं किया है। कांग्रेस बीते करीब एक वर्ष से महिला आरक्षण पर अपनी गंभीरता दिखा रही थी।
इसी रणनीति के तहत महिला कांग्रेस ने राष्ट्रीय स्तर पर पिछले साल अभियान चलाया। राहुल ने पिछले मानसून सत्र से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर कांग्रेस के समर्थन की प्रतिबद्धता भी व्यक्त की थी। मगर महिला आरक्षण में भी अलग से एससी-एसटी और ओबीसी कोटे की कई दलों की मांग को देखते हुए सरकार ने राजनीतिक सहमति के बिना इस पर आगे बढ़ने का जोखिम लेना मुनासिब नहीं समझा।
भाजपा पर इसको लेकर दबाव के लिए राहुल ने शीत सत्र से पहले सभी कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखा। इसमें उन्हें विधानसभाओं से महिला आरक्षण के लिए प्रस्ताव पारित कर केंद्र के पास भेजने के लिए कहा था। पंजाब समेत कुछ कांग्रेसी राज्यों ने तो इस बाबत प्रस्ताव पारित कर केंद्र को भेज भी दिया है।
इस कसरत के बाद राहुल ने महिला आरक्षण को चुनावी वादों की टॉप लिस्ट में शामिल करने की घोषणा की है। बता दें कि महिला आरक्षण विधेयक संप्रग सरकार ने 2010 में राज्यसभा से पारित करा दिया था। मगर भारी विरोध के चलते 15वीं लोकसभा में पारित नहीं हुआ। 16वीं लोकसभा में भी इसकी किस्मत बदलती नहीं दिख रही।