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कर्नाटक में 'खेल खत्म', क्या अब मध्यप्रदेश की है बारी ?

   

कर्नाटक में कुमारस्वामी की सरकार गिर गई है। ऐसे में यह सवाल उठने लगा है कि क्या अब मध्यप्रदेश की बारी है।

भोपाल. कर्नाटक के नाटक का अब अंत हो गया है। विश्वास मत के बाद सीएम एचडी कुमारस्वामी की सरकार गिर गई है। विश्वास मत के दौरान कुमारस्वामी की सरकार को सिर्फ 99 मत मिले और बीजेपी के पक्ष 105 मत थे। कर्नाटक में कांग्रेस और जेडीएस की सरकार गिरने के बाद सियासी गलियारों में यह चर्चा शुरू हो गई है क्या अब मध्यप्रदेश की बारी है। क्योंकि मध्यप्रदेश की कांग्रेस सरकार भी निर्दलीय, बसपा और सपा के समर्थन से चल रही है।

 
दरअसल, यह चर्चा इसलिए शुरू हो गई है कि बीजेपी के बड़े नेता लगातार सरकार बनाने के दावे करते रहे हैं। लोकसभा चुनावों के दौरान तो कई बड़े नेताओं ने दावा किया था कि कमलनाथ की सरकार बस कुछ दिनों की मेहमान है। लोकसभा चुनाव संपन्न होने के बाद जैसे ही एग्जिट पोल के नतीजे आए थे तो नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने राज्यपाल को चिट्ठी लिख फ्लोर टेस्ट करवाने की मांग की थी।

नतीजों के बाद बढ़ गई थी गहमागहमी
यही नहीं जब लोकसभा चुनाव के नतीजे आए तो कांग्रेस खेमे में इस बात को लेकर खलबली मच गई थी। मध्यप्रदेश सरकार के कई मंत्रियों ने दावा किया था कि हमारे विधायकों को खरीदने की कोशिश हो रही है। इसके बाद सीएम कमलनाथ ने विधायकों की बैठक बुलाई थी। बैठक के बाद उन्होंने कहा था कि हमारे दस से ज्यादा विधायकों को कॉल आए हैं। उन्हें पद और पैसा का प्रलोभन दिया जा रहा है। लेकिन हमारे विधायक एकजुट हैं।
 
सोमवार को ही लगाए हैं आरोप
मध्यप्रदेश सरकार के ऊपर भी संकट हैं, इन चर्चाओं को तब और बल मिलने लगता है जब कांग्रेस नेता भी बीजेपी पर खरीद-फरोख्त का आरोप लगाते हैं। सोमवार को कांग्रेस प्रवक्ता शोभा ओझा ने भोपाल में प्रेस कॉफ्रेंस कर कहा कि हमारे विधायकों को बीजेपी पैसे का ऑफर दे रही है। शोभा ओझा ने कहा था कि बीजेपी सदन में फ्लोर टेस्ट से भागती है और हमारे विधायकों को खरीदने के लिए 50-50 करोड़ रुपये का ऑफर दिया था।

अच्छे दिन आने वाले हैं
कर्नाटक में फ्लोर टेस्ट से कुछ घंटे पहले मध्यप्रदेश के पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने भोपाल में एक सभा को संबोधित करते हुए कहा कि ये सरकार गरीबों का शोषण कर रही है लेकिन चिंता मत कीजिए। जल्द ही अच्छे दिन आने वाले हैं। हालांकि ये पहली बार नहीं है जब शिवराज ने इस तरह के दावे किए हैं। लोकसभा चुनाव के दौरान उन्होंने छिंदवाड़ा के कलेक्टर को धमकी देते हुए कहा था कि जब हमारी सरकार आएगी तो तुम्हारा क्या होगा कलेक्टर।
 
राज्यपाल भी बदल गए हैं
वहीं, कुछ दिन पहले ही मध्यप्रदेश के राज्यपाल भी बदल गए हैं। मध्यप्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन को उत्तर प्रदेश की जिम्मेदारी सौंपा गया है। तो बिहार के राज्यपाल लालजी टंडन को मध्यप्रदेश का राज्यपाल बनाया गया है। इस बदलाव को सियासी जानकार इसी कड़ी से जोड़ के देखते हैं। कहा जाता है कि लालजी टंडन संवैधानिक कानूनों के अच्छे जानकार हैं।

ये मध्यप्रदेश विधानसभा की स्थिति
दरअसल, मध्यप्रदेश विधानसभा में 230 विधायकों में से कांग्रेस के पास 114 विधायक हैं। यह सरकार चार निर्दलियों, बीएसपी के दो और एसपी के एक विधायक के समर्थन से चल रही है। जबकि बीजेपी के पास 108 विधायक हैं। सियासी जानकारों को लगता है कि कमलनाथ सरकार इस बात को लेकर सचेत है। क्योंकि पिछले दिनों 11 दिन के अंदर ही तीन बार सीएम ने विधायकों की बैठक ली थी।

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