राहुल’ की खातिर ‘वरुण गांधी’ लाएंगी ‘प्रियंका’..! राकेश अग्निहोत्री ‘सवाल दर सवाल’ नया इंडिया
‘राहुल’ की खातिर ‘वरुण गांधी’ लाएंगी ‘प्रियंका’..!
इंतजार खत्म.. प्रियंका गांधी कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव की भूमिका में उत्तर प्रदेश की जिम्मेदारी संभालने जा रही हंै.. जहां मायावती और अखिलेश ने गठबंधन बनाकर मोदी-शाह और योगी के खिलाफ पहले ही शंखनाद कर दिया है.. ऐसे में यूपी में अस्तित्व के संकट से जूझ रही कांग्रेस को 2019 लोकसभा चुनाव में ताकत देने के साथ प्रियंका जिसमें वो इंदिरा गांधी का अश्क देखटी और दूसरी अपेक्षाएं बढ़ना भी तय है.. सोनिया गांधी की रायबरेली और राहुल गांधी की अमेठी सीट से बाहर निकलकर प्रियंका को साबित करना होगा कि वो कांग्रेस का ब्रह्मास्त्र हैं.. जो पार्टी की लोकसभा सीटों की संख्या में न सिर्फ इजाफा करेंगी.. बल्कि प्रदेश में पूरी तरह अलग-थलग पड़ चुकी कांग्रेस की विचारधारा की लड़ाई का प्रमुख चेहरा भी बनेंगी.. राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपनी बहन प्रियंका को राष्ट्रीय महासचिव बनाकर उनकी जिस तरह नई भूमिका तय कर दी क्या यह टाइमिंग सही है..? तो बड़ा सवाल भाजपा शासित राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनाकर राहुल गांधी राष्ट्रीय अध्यक्ष के तौर पर अपनी जिम्मेदारी जब सफल साबित कर चुके हैं.. तब बहन प्रियंका की रणनीति आखिर क्या होगी? क्या राहुल गांधी को मोदी विरोधियों का स्वीकार्य नेता बनाने के मकसद से प्रियंका गांधी, ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ उत्तर प्रदेश की अहम जिम्मेदारी निभाने जा रही हैं.. क्या प्रियंका राहुल गांधी की तरह मंदिर मंदिर जाकर कांग्रेस की सॉफ्ट हिंदुत्व की लाइन को और आगे ले जाएंगे.. खासतौर से जब साधु संत प्रयाग राज के कुंभ में राम मंदिर को लेकर कोई बड़ा फैसला ले सकते हैं ..तब बड़ा सवाल क्या प्रियंका के हस्तक्षेप से भाजपा सांसद और भाई वरुण गांधी को कांग्रेस से जोड़ा जाएगा..? चर्चा प्रियंका और वरुण के मधुर रिश्ते को लेकर होती रही है… क्या यह संभव है जब सोनिया गांधी के पीछे जाने और राहुल के साथ आगे आ चुकी प्रियंका कदमताल करने जा रही हैं..?
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राहुल गांधी जब कांग्रेस के न सिर्फ राष्ट्रीय अध्यक्ष, बल्कि एक स्वीकार्य नेता बन चुके तब उन्हें मोदी विरोधियों में स्थापित करने के लिए प्रियंका गांधी की एंट्री कांग्रेस में हो चुकी है.. राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश की सत्ता में लौटी कांग्रेस के हौसले पहले ही बुलंद है..उसने राष्ट्रीय राजनीति को ध्यान में रखते हुए भाजपा एनडीए विरोधी दलों से महागठबंधन की जगह राज्य स्तर पर गठबंधन के फार्मूले को आगे बढ़ाया है.. बड़े राज्य बिहार, महाराष्ट्र, तमिलनाडु की तुलना में उत्तरप्रदेश और पश्चिम बंगाल में कांग्रेस को मायावती से लेकर ममता बनर्जी ने जब अपना साझेदार मानने से इनकार कर दिया ..तब देखना दिलचस्प होगा कि प्रियंका के बढ़ते कदम गठबंधन की राजनीति में क्या गुल खिलाते हैं? क्योंकि राहुल गांधी ने मायावती अखिलेश ही नहीं ममता बनर्जी को रैली में अपना समर्थन देकर स्पष्ट कर दिया था कि उनके निशाने पर मोदी सरकार है.. अब एक बार फिर राहुल ने कहा कांग्रेस विचारधारा की लड़ाई अपने दम पर लड़ेंगी.. इस चुनाव में कांग्रेस बैकफुट पर नहीं, बल्कि फ्रंटफुट पर ही खड़े नजर आएगी.. ऐसे में जिस कांग्रेस को उत्तर प्रदेश में 2014 लोकसभा चुनाव में 2 सीट और उससे पहले 2009 लोकसभा में 21 सीटें मिली थीं.. तो अब समझा जा सकता कांग्रेस की पोजिशनिंग क्या होगी..? क्योंकि राहुल गांधी ने प्रियंका और ज्योतिरादित्य की उत्तरप्रदेश के लिए बनाई गई जोड़ी को डायनेमिक बताकर सामने लाकर खड़ा कर दिया.. यही नहीं, उत्तर प्रदेश में कांग्रेस सरकार बनाएगी और मुख्यमंत्री भी देगी.. सवाल यहीं पर खड़ा होता है कि जिस प्रियंका के करिश्मे के भरोसे कांग्रेस ने लोकसभा में त्रिकोणीय संघर्ष की स्थिति बनाने की कोशिश की है.. आखिर वह किसको नुकसान पहुंचाएगी? मोदी और शाह की बीजेपी को या फिर अखिलेश और माया के गठबंधन को.. क्या पर्दे के पीछे मोदी को हराने की रणनीति बनने की संभावना से इनकार किया सकता.. क्योंकि राहुल ने मायावती और अखिलेश से सहानुभूति जताई? प्रियंका गांधी को उस पूर्वी उत्तर प्रदेश की जिम्मेदारी सौंपी गई जहां वाराणसी से नरेंद्र मोदी ने पिछला चुनाव जीता था ..तो इस सीट पर प्रियंका क्या मायावती-अखिलेश के बीच कोई नया फार्मूला देखने को मिलेगा..? जिन्होंने पहले ही रायबरेली और अमेठी सीट कांग्रेस के लिए छोड़ दी थी.. सवाल क्या सोनिया गांधी की जगह प्रियंका गांधी रायबरेली से कांग्रेस की उम्मीदवार होंगी या सिर्फ राष्ट्रीय महासचिव के तौर पर उत्तर प्रदेश के लिए स्टार प्रचारक..? तो बड़ा सवाल जिस मोदी और योगी की भाजपा से मुकाबले के लिए राहुल गांधी ने प्रियंका गांधी को मैदान में उतार दिया क्या वह प्रियंका गांधी अपने भाई वरुण गांधी जो भाजपा से सांसद हैं, को कांग्रेस में ला पाएंगी.. प्रियंका और वरुण के संबंध और समन्वय हमेशा चर्चा का विषय बनता रहा है.. यदि कांग्रेस अपना घर मजबूत नहीं कर पाई तो फिर सवाल खड़े किए जा सकते पार्टी कैसे मजबूत होगी ..वरुण गांधी सांसद रहते हुए भी भाजपा की उत्तर प्रदेश ही नहीं, राष्ट्रीय राजनीति में अलग-थलग पड़ चुके हंै.. जिनकी मां मेनका गांधी मोदी सरकार में मंत्री जरूर हंै.. लोकसभा चुनाव से आगे राहुल-प्रियंका की राजनीति उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर क्या होगी? इसका अंदाजा राहुल गांधी के बयान से लगाया जा सकता है, जिन्होंने उत्तर प्रदेश को कांग्रेस का मुख्यमंत्री देने का भरोसा दिलाया है.. वह बात और है कि चुनाव बहुत दूर है, तो मायावती और अखिलेश के बीच में केंद्र और राज्य की राजनीति को लेकर कोई समझौता जरूर हुआ है.. ऐसे में राहुल के इस बयान का मतलब बसपा और सपा गठबंधन पर दबाव बनाना ही होगा, जो अभी तक कांग्रेस से दूरी बनाकर गठबंधन के नाम पर भाजपा से सीधे मुकाबले में खुद को सक्षम मान कर रहे थे.. सवाल राहुल गांधी ने जाति, धर्म, वर्ग से ऊपर उठकर किसान-युवा पर फोकस बनाकर चुनाव में जाने का ऐलान किया है.. ऐसे में प्रियंका का करिश्माई व्यक्तित्व क्या बसपा सुप्रीमो मायावती को रास आएगा? क्या युवा अखिलेश लंबी राजनीति को ध्यान में रखते हुए राहुल-प्रियंका के साथ कितना कंफर्टेबल महसूस करेंगे? जब यह लगभग तय लग रहा है कि राहुल गांधी यदि राष्ट्रीय राजनीति करेंगे तो प्रियंका गांधी का उत्तरप्रदेश में डेरा डालना तय है.. भाजपा में महिला नेत्री सुषमा स्वराज उमा भारती के लोकसभा चुनाव नहीं लड़ने के बाद प्रियंका के खिलाफ स्मृति ईरानी एक बड़ा चेहरा बनकर सामने है.. सवाल देश की आधी आबादी यानी महिला वोट बैंक को लेकर प्रियंका क्या दूसरे दलों और नेताओं पर भारी साबित होगी..
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राहुल-प्रियंका से सिंधिया की केमिस्ट्री मजबूत..!
प्रियंका गांधी कांग्रेस का तुरुप का इक्का या ब्रह्मास्त्र और राहुल गांधी का मास्टरस्ट्रोक जो भी माना जाए.. अब सवाल यह नहीं कि वह किसकी काट होंगी.. उत्तर प्रदेश के 3 बड़े चेहरे मायावती, अखिलेश यादव या फिर योगी आदित्यनाथ की..? संदेश साफ है कि प्रियंका गांधी उत्तर प्रदेश की राजनीति जमकर करेंगी तो राहुल गांधी राष्ट्रीय राजनीति में आगे बढ़ेंगे.. खुद राहुल गांधी ने मोदी को हराने के बाद उत्तर प्रदेश में कांग्रेस सरकार बनाकर दिखाने का भी दावा कर दिया है.. जिस उत्तर प्रदेश पर राहुल गांधी ने राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी पर फोकस बनाकर चुनाव की बिसात बिछाई है वहां मध्यप्रदेश से सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया को भी राष्ट्रीय महासचिव बना कर पश्चिमी उत्तर प्रदेश का ही जिम्मा दो भागों में बांटकर सौंपा गया है.. कांग्रेस के हौसले भी बुलंद हैं और वह आक्रामक और दबाव की राजनीति करने की स्थिति में आ खड़ी हुई है ..तो उसकी वजह है राजस्थान, छत्तीसगढ़ के साथ मध्यप्रदेश में कांग्रेस का सत्ता में लौटना.. जहां कमलनाथ के साथ सीएम इन वेटिंग के तौर पर ज्योतिरादित्य ने भी बड़ी भूमिका निभाई थी.. राहुल के एक और भरोसेमंद सचिन पायलट जो राजस्थान में उपमुख्यमंत्री बनकर नई पारी शुरू कर चुके हैं ..तो ज्योतिरादित्य ने ऐसे किसी ऑफर को ठुकराकर मध्यप्रदेश की राजनीति से दूरी बनाना उचित समझा था.. कुछ दिन पहले ही ज्योतिरादित्य ने भोपाल दौरे के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री, भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवराज सिंह चौहान से बंद कमरे में 40 मिनट मुलाकात की थी.. तब शायद ही कोई यह बात पकड़ पाया था कि ज्योतिरादित्य को महासचिव बनाकर उत्तर प्रदेश में प्रियंका के साथ उनकी बराबरी में राहुल गांधी फ्रंट फुट पर लाकर खड़ा कर देंगे.. चर्चा यह भी रही कि जब 3 राज्यों में कांग्रेस अपना नेता मुख्यमंत्री के लिए चुन रही थी तब प्रियंका गांधी ने भी पर्दे के पीछे बड़ी भूमिका निभाई थी.. शायद तब राहुल, सोनिया, प्रियंका और ज्योतिरादित्य के बीच में यह तय हो गया था कि सिंधिया कमलनाथ को मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री बनवाने के बाद प्रियंका गांधी और राहुल गांधी के साथ मिलकर उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को मजबूत करेंगे.. मध्यप्रदेश की राजनीति में भले ही कमलनाथ और दिग्विजय सिंह कदमताल कर रहे हों, लेकिन ज्योतिरादित्य की नई भूमिका सामने आने के बाद कांग्रेस के अंदर उन्हें नजरअंदाज करना आसान नहीं होगा.. चुनाव ज्योतिरादित्य को खुद मध्यप्रदेश से लड़ना है.. गुना-शिवपुरी के साथ ग्वालियर से उनके चुनाव लड़ने की चर्चा है तो इस नई भूमिका के साथ मध्यप्रदेश में ग्वालियर-चंबल और कुछ खास क्षेत्र में ही ज्योतिरादित्य प्रचार में ज्यादा समय दे पाएंगे.. क्योंकि अब उन्हें एक रणनीतिकार के तौर पर उत्तर प्रदेश में डेरा जमाना है, जहां कभी दिग्विजय सिंह से लेकर सत्यव्रत चतुर्वेदी राहुल गांधी के साथ काम करते रहे.. कांग्रेस ने तो युवा और ग्लैमरस चेहरे प्रियंका गांधी और ज्योतिरादित्य को एक साथ उत्तर प्रदेश की जिम्मेदारी सौंपकर जो दांव खेला है वह कितना कारगर सिद्ध होगा, इसका आंकलन करना जल्दबाजी होगी.. लेकिन कांग्रेस के लिए उत्तर प्रदेश में खोने के लिए कुछ भी नहीं है, तो मोदी-योगी के खिलाफ सीधा मोर्चा खोल चुकी माया और अखिलेश को प्रियंका की एंट्री के बाद नए सिरे से रणनीति बनाने को मजबूर होना पड़ेगा.. देखना दिलचस्प होगा कि नरेंद्र मोदी यदि वाराणसी से ही चुनाव लड़ते तो उनके खिलाफ चुनाव मैदान में कौन उतरता है.. शत्रुघ्न सिन्हा का नाम चर्चा में है तो पिछले चुनाव में प्रियंका के बारे में भी योजना बनाई गई थी.. यदि प्रियंका गांधी कांग्रेस की राजनीति में मुख्यधारा में खुलकर सामने आई हैं तो इसे सिर्फ लोकसभा चुनाव तक सीमित नहीं रखा जा सकता.. ऐसे में प्रियंका और ज्योतिरादित्य की केमिस्ट्री आने वाले समय में कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति में नए समीकरण बना सकती है.. ज्योतिरादित्य के खाते में मध्यप्रदेश में कांग्रेस सरकार बनने के साथ 15 साल की भाजपा सरकार को उखाड़ देने का श्रेय जाता है.. यह बात सिंधिया उत्तर प्रदेश प्रचार के दौरान मंच से योगी आदित्यनाथ को निशाने पर लेकर कह सकते हैं, तो बड़ा सवाल जब सोनिया गांधी बीमारी के चलते राष्ट्रीय अध्यक्ष की कुर्सी छोड़ चुकी हैं और एनडीए के कोऑर्डिनेटर तक सीमित हैं तब राहुल गांधी के साथ प्रियंका गांधी की कांग्रेस जब आगे बढ़ेगी तो पीढ़ी परिवर्तन के दौर में दूसरे नेताओं के मुकाबले ज्योतिरादित्य एक बड़ा चेहरा उनके साथ और करीब होगा.. प्रियंका और राहुल से बढ़ती गरीबी इस बात का संकेत है कि यदि केंद्र में मोदी और राहुल के बिना कोई तीसरी एनडीए विरोधी गठबंधन की सरकार बनती तो उसमें कांग्रेस की ओर से ज्योतिरादित्य को बड़ी जिम्मेदारी राहुल सौंप सकते हैं..
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– प्रियंका गांधी की राजनीति में सीधी एंट्री से राहुल गांधी और कांग्रेस खासतौर से उत्तर प्रदेश के साथ देश में कितनी मजबूत होगी?
– आधी आबादी यानी महिला वोट बैंक पर कांग्रेस की पकड़ प्रियंका से मजबूत होगी तो मायावती और ममता बनर्जी से क्या कांग्रेस की दूरियां बनेगी?
– नरेंद्र मोदी, अमित शाह, योगी आदित्यनाथ की तिकड़ी को सीधी चुनौती देने के लिए राहुल, प्रियंका और ज्योतिरादित्य क्या माया, अखिलेश से तालमेल बनेगा?
– उत्तर प्रदेश में बन रहे नए समीकरण के बीच नरेंद्र मोदी के वाराणसी और राहुल गांधी के अमेठी से बाहर भी चुनाव लड़ने की संभावनाएं बढ़ गई हैं?
– उत्तर प्रदेश में शुरू हो गए घमासान के बीच क्या राहुल गांधी मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा सुरक्षित सीट से चुनाव लड़ सकते हैं?
– स्मृति ईरानी द्वारा प्रियंका की एंट्री पर राहुल गांधी के फेल होने के आरोप में कितना दम है, जब भाजपा शासित 3 राज्यों में कांग्रेस की सरकार बन चुकी है?
– राहुल गांधी का दावा युवा चेहरों को सामने लाकर कांग्रेस फ्रंट फुट पर चुनाव लड़ाई लड़ेगी, कितना कारगर सिद्ध होगा?
– मायावती और अखिलेश के साथ तालमेल बनाकर उत्तर प्रदेश में चुनाव लड़ने की राहुल गांधी की पहल आखिर क्या गुल खिलाएगी?
– क्या राहुल गांधी की तरह प्रियंका गांधी भी मंदिर-मंदिर जाकर कांग्रेस को एक नई दिशा दंेगी तो क्या कुंभ में भी जाएंगी?