कर्नाटक की तरह क्या मध्यप्रदेश में भी बीजेपी ऑपरेशन लोटस को लांच करने के लिए टाइमिंग की तलाश में है? इस तरह की अटकलें इसलिए भी हैं कि भाजपा के दो दिग्गज नेता खुले आम कमलनाथ सरकार को गिराने की चेतावनी दे रहे हैं. भाजपा महामंत्री कैलाश विजयवर्गीय के बाद अब नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव भी कह रहे हैं कि जब तक मंत्रियों के बंगले पुतेंगे कांग्रेस सरकार गिर जाएगी.हाईकमान को छींक आ जाए
क्या यह इस बात का संकेत है कि सत्ता से बेदखल भाजपा सरकार बनाने के लिए बेचैन है? और किसी भी दिन मध्यप्रदेश में वही नजारा देखने मिल सकता है जो आज कर्नाटक में दिखाई दे रहा है. कैलाश विजयवर्गीय भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री हैं. उनके बयान मायने रखते हैं. उन्होंने कहा था बस हाईकमान को छींक आ जाएं, बॉस का इशारा हो जाए, कमलनाथ सरकार पांच दिन में गिरा देंगे. अब उन्हीं की बात को आगे बढ़ाते हुए गोपाल भार्गव ने मैदान पकड़ लिया है. वे कह रहे हैं इस सरकार में हार्ट किसी और का है, दिल किसी और का और किडनी किसी और की.इन बयानबाजियों में हालांकि पूर्व मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान नहीं कूदे हैं. लेकिन वे कुछ शालीनता से पहले ही अपनी बात कह चुके हैं कि ‘हो सकता है सीएम हाउस लौटने में उन्हें पांच साल से भी कम वक्त लगे.संशय का माहौल
भाजपा नेताओं की ओर से आ रही इन खुलेआम चेतावनियों ने कमलनाथ सरकार को लेकर संशय का माहौल पैदा कर दिया है. 114 विधायकों के साथ सत्ता पर काबिज हुई कांग्रेस बहुमत से दो नंबर कम है. सपा और बसपा के 3 विधायक और 4 निर्दलीय विधायकों के समर्थन से वो अपनी सरकार बना पाई है.सत्ता का खेल चला
हाल ही में हुए स्पीकर चुनाव का माहौल भी बता चुका है कि किस तरह प्रदेश की राजधानी भोपाल में सत्ता का खेल चलता रहा. बीजेपी के दो कद्दावर नेता कैलाश विजयवर्गीय और नरोत्तम मिश्रा पर विधायकों की खरीद- फरोख्त के आरोप लगे. पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने खुलकर आरोप लगाए कि किस तरह सौदेबाजी हो रही है कांग्रेस विधायक को बंधक बनाने की कोशिश हुई है.प्लान चौपट
हालांकि स्पीकर के बहाने कांग्रेस को मॉरल डिफिट देने का भाजपा का प्लान कामयाब नहीं हुआ. देर रात तक चलीं तिकड़म के बाद भी वो अपने लिए स्पष्ट बहुमत नहीं जुटा पाई. उसका ये खामियाजा भुगतना पड़ा कि उसे डिप्टी स्पीकर का पद भी गंवाना पड़ा .दिग्विजय ने झोंकी ताकत
भाजपा की इस उठापटक का असर ये है कि कांग्रेस की कमलनाथ सरकार जल्द ही कैबिनेट को बड़ा करने जा रही है. जिसमे बसपा और सपा के साथ कुछ निर्दलीय विधायकों को जगह दिए जाने की चर्चा है. लेकिन फिर भी मामला इतना आसान नहीं है. कांग्रेस के ही कई विधायक असंतुष्ट हैं और दिल्ली में राहुल गांधी के दरबार तक दौड़ लगा चुके हैं. उन्हें मंत्री बनना है. यानी मामला अंदरूनी घमासान का भी है. कब कौन कहां से सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दे. चुनाव के पहले तक जितनी एकजुट और मजबूत कांग्रेस दिखी है सरकार बनते ही वो आपसी फूट और खींचतान में उलझ गई है. कमलनाथ सरकार की मज़बूती अब एक चुनौती दिखाई दे रही है. इन हालातों से निपटने के लिए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह अपनी ताकत झोंकते दिखाई दे रहे हैं.
Check Also
महाकुंभ भगदड़ में ग्वालियर के कामता की मौत, नहीं मिली एंबुलेंस, पूर्व मंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा की मदद से शव पहुंचा घर –
🔊 Listen to this महाकुंभ भगदड़ में ग्वालियर के कामता की मौत, नहीं मिली एंबुलेंस, …