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प्रशासनिक सुधार आयोग: शिवराज ने दी थी मंजूरी, कमलनाथ करेंगे गठन

भोपाल -प्रदेश में प्रशासनिक व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त करने के लिए कमलनाथ सरकार प्रशासनिक सुधार आयोग बनाएगी। तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नवंबर 2016 में इसके गठन को मंजूरी दी थी और तभी नियम-कायदे भी तय हो गए थे पर ये गठित नहीं हो पाया। मुख्यमंत्री कमलनाथ अब इसे गठित करने जा रहे हैं। कांग्रेस के वचन पत्र में शामिल इस मुद्दे का प्रस्ताव बनाकर सामान्य प्रशासन विभाग ने अंतिम निर्णय के लिए मुख्यमंत्री के पास भेज दिया है।
सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव के दौरान प्रदेश की जनता को साफ-सुथरा प्रशासन देने का वचन दिया था। इसे पूरा करने के लिए जरूरी तैयारी करने के लिए राज्य प्रशासनिक सुधार आयोग गठित किया जाएगा। इसकी पृष्ठभूमि शिवराज सरकार के समय बनी थी, जब उन्होंने सामान्य प्रशासन विभाग की समीक्षा करते हुए प्रशासन में कसावट, सुधार लाने के लिए विभागों के कामकाज का अध्ययन करने की जरूरत बताई थी। इसके आधार पर विभाग ने मसौदा बनाकर मुख्यमंत्री सचिवालय को सौंपा था। इसे दो बार वापस लौटाया गया और नवंबर 2016 में इसकी सेवा शर्तें तय हुईं।
बताया जा रहा है कि इस प्रस्ताव को ही विभाग ने एक बार फिर निर्णय के लिए आगे बढ़ा दिया है। माना जा रहा है कि अंतिम निर्णय कर मुख्यमंत्री कांग्रेस के एक और वचन को जल्द पूरा कर सकते हैं, क्योंकि वे स्वयं अधिकारियों के साथ हुई पहली बैठक में साफ कर चुके हैं कि गैर जरूरी विभाग और सजावटी निगम-मंडल बंद किए जाएंगे। इसके लिए जरूरी आधार प्रशासनिक सुधार आयोग जैसी संस्था ही मुहैया करा सकती है।
अध्यक्ष के साथ होंगे दो सदस्य
सूत्रों का कहना है कि आयोग का जो मसौदा तैयार किया गया है कि उसके हिसाब से एक अध्यक्ष और दो सदस्य रहेंगे। अध्यक्ष मुख्य सचिव या अपर मुख्य सचिव स्तर का अधिकारी होगा। 20 साल लोक सेवा का अनुभव होना जरूरी रहेगा। नियुक्ति मुख्यमंत्री करेंगे। जबकि एक सदस्य वित्तीय और न्यायिक मामलों का जानकार और दूसरा प्रशासनिक क्षेत्र से होगा।
सुधार की कोशिशें नहीं चढ़ी परवान
मंत्रालय की कार्यप्रणाली में सुधार लाने के लिए पिछली सरकार में ई-ऑफिस व्यवस्था लागू की गई थी। पांच करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च करने के बाद इसे चुनाव से पहले ऐच्छिक कर दिया गया। इसके पीछे मुख्य सचिव बसंत प्रताप सिंह ने तर्क दिया था कि ई-ऑफिस की वजह से कार्यों में विलंब हो रहा है, इसलिए फिलहाल इसे ऐच्छिक रखा जाए, ताकि कार्यों पर कोई प्रभाव न पड़े। बताया जा रहा है कि जल्द ही एक बार फिर ई-ऑफिस व्यवस्था को पूरी तरह लागू किया जा सकता है। मुख्य सचिव सुधिरंजन मोहंती भी कम्प्यूटर पर काम करना ज्यादा पसंद करते हैं।

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