भोपाल/ रतलाम। कांग्रेस की परंपरागत लोकसभा सीट रतलाम-झाबुआ एक बार फिर पार्टी के पक्ष में दिखाई दे रही है। हालांकि, वर्तमान कांग्रेस सांसद कांतिलाल भूरिया के पुत्रमोह ने भाजपा को हौसला दे दिया है, लेकिन विधानसभा चुनाव 2018 के परिणामों से कांग्रेस खेमे में उत्साह है। स्थानीय नेता कांग्रेस के गढ़ में भाजपा को सेंध मारने का कोई अवसर देना नहीं चाहते। भाजपा संघ के भरोसे अपनी चुनावी नैया पार लगाने की कोशिश में है।
जल्द ही वापस ले लिया…
रतलाम-झाबुआ सीट पर भाजपा को एक ही बार जीत मिली है। इसकी बुनियाद विधानसभा चुनाव 2013 में पड़ गई थी, जब भाजपा ने आठ में से सात सीटें जीती थीं। रही- सही कसर लोकसभा चुनाव 2014 में भाजपा प्रत्याशी दिलीप भूरिया ने कांतिलाल भूरिया को हराकर पूरी कर दी थी, लेकिन कांग्रेस ने यह किला जल्द ही वापस ले लिया। दिलीप के निधन के बाद 2015 में हुए उपचुनाव में कांतिलाल जीते। हाल के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने भाजपा से पांच सीटें छीन ली हैं, लेकिन सांसद के बेटे विक्रांत भूरिया झाबुआ सीट से हार गए।
रतलाम-झाबुआ सीट पर भाजपा को एक ही बार जीत मिली है। इसकी बुनियाद विधानसभा चुनाव 2013 में पड़ गई थी, जब भाजपा ने आठ में से सात सीटें जीती थीं। रही- सही कसर लोकसभा चुनाव 2014 में भाजपा प्रत्याशी दिलीप भूरिया ने कांतिलाल भूरिया को हराकर पूरी कर दी थी, लेकिन कांग्रेस ने यह किला जल्द ही वापस ले लिया। दिलीप के निधन के बाद 2015 में हुए उपचुनाव में कांतिलाल जीते। हाल के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने भाजपा से पांच सीटें छीन ली हैं, लेकिन सांसद के बेटे विक्रांत भूरिया झाबुआ सीट से हार गए।
जयस और बागी बन सकते परेशानी…
इस लोकसभा सीट से लगी धार जिले की विधानसभा सीट से जयस के डॉ. हीरालाल अलावा कांग्रेस में आकर विधानसभा चुनाव जीते हैं। वहीं, सांसद के खिलाफ कांग्रेस का एक गुट विरोध में उतर आया है। इस गुट के जेवियर मेढ़ा ने झाबुआ का विधानसभा चुनाव लड़ा है। अब वे लोकसभा के लिए भी अपनी दावेदारी कर रहे हैं तो अलीराजपुर जिले में भी भूरिया को लेकर विरोधी गुट सक्रिय है, यह गुट अलीराजपुर जिले से नया चेहरा चाहता है।
इस लोकसभा सीट से लगी धार जिले की विधानसभा सीट से जयस के डॉ. हीरालाल अलावा कांग्रेस में आकर विधानसभा चुनाव जीते हैं। वहीं, सांसद के खिलाफ कांग्रेस का एक गुट विरोध में उतर आया है। इस गुट के जेवियर मेढ़ा ने झाबुआ का विधानसभा चुनाव लड़ा है। अब वे लोकसभा के लिए भी अपनी दावेदारी कर रहे हैं तो अलीराजपुर जिले में भी भूरिया को लेकर विरोधी गुट सक्रिय है, यह गुट अलीराजपुर जिले से नया चेहरा चाहता है।
संसद में सक्रिय रहे सांसद भूरिया….
सां सद कांतिलाल भूरिया संसद में सक्रिय रहे हैं। ज्यादातर मौकों पर पार्टी ने बोलने का मौका भी दिया है। क्षेत्र के प्रमुख मुद्दों को लेकर वे केंद्रीय मंत्रियों से भी मुलाकात कर मांग उठाते रहे हैं, लेकिन झाबुआ से गुजरने वाले इंदौर-अहमदाबाद हाईवे, बांसवाड़ा-डूंगरपुर रेलवे लाइन और बेरोजगारी का मुद्दा आज भी कायम है। आदिवासियों का पलायन रोका नहीं जा सका है तो बुनियादी सुविधाएं भी लटकी ही हैं।
सां सद कांतिलाल भूरिया संसद में सक्रिय रहे हैं। ज्यादातर मौकों पर पार्टी ने बोलने का मौका भी दिया है। क्षेत्र के प्रमुख मुद्दों को लेकर वे केंद्रीय मंत्रियों से भी मुलाकात कर मांग उठाते रहे हैं, लेकिन झाबुआ से गुजरने वाले इंदौर-अहमदाबाद हाईवे, बांसवाड़ा-डूंगरपुर रेलवे लाइन और बेरोजगारी का मुद्दा आज भी कायम है। आदिवासियों का पलायन रोका नहीं जा सका है तो बुनियादी सुविधाएं भी लटकी ही हैं।
हर जिले के अपने मुद्दे…
रतलाम-झाबुआ लोकसभा सीट में रतलाम, झाबुआ और अलीराजपुर जिला आता है। रतलाम जिले की पांच में से तीन विधानसभा सीट ही इसमें शामिल हैं। इन तीनों जिलों के अपने मुद्दे हैं। सांसद बनने का मौका ज्यादातर अवसरों पर झाबुआ को ही मिला है। रतलाम जिले से इस सीट पर दावेदार भी कम ही होते हैं।
रतलाम-झाबुआ लोकसभा सीट में रतलाम, झाबुआ और अलीराजपुर जिला आता है। रतलाम जिले की पांच में से तीन विधानसभा सीट ही इसमें शामिल हैं। इन तीनों जिलों के अपने मुद्दे हैं। सांसद बनने का मौका ज्यादातर अवसरों पर झाबुआ को ही मिला है। रतलाम जिले से इस सीट पर दावेदार भी कम ही होते हैं।
दो जिलों पर फोकस…
रतलाम-झाबुआ सीट पर झाबुआ और अलीराजपुर जिले का ज्यादा प्रभाव है। रतलाम में सांसद की सक्रियता कम है। जबकि झाबुआ जिले में वे आपसी विरोध का सामना कर रहे हैं तो अलीराजपुर में एक खेमा स्थानीय उम्मीदवार की मांग कर रहा है।
रतलाम-झाबुआ सीट पर झाबुआ और अलीराजपुर जिले का ज्यादा प्रभाव है। रतलाम में सांसद की सक्रियता कम है। जबकि झाबुआ जिले में वे आपसी विरोध का सामना कर रहे हैं तो अलीराजपुर में एक खेमा स्थानीय उम्मीदवार की मांग कर रहा है।
भाजपा को वापसी की उम्मीद…
कांग्रेस की परंपरागत सीट पर भाजपा को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की मदद से वापसी की उम्मीद है। हालांकि, विधानसभा चुनाव में ज्यादातर सीटों पर हार के बाद भाजपा में उत्साह की कमी है, लेकिन झाबुआ सीट पर जीते विधायक जीएस डामोर लोकसभा के लिए भाजपा का चेहरा हो सकते हैं। डामोर झाबुआ जिले के हैं। पूर्व सांसद स्व. दिलीप भूरिया के समर्थक भी डामोर के साथ हैं तो भाजपा जिलाध्यक्ष ओमप्रकाश शर्मा का कहना है कि हमारा प्रत्याशी हाईकमान स्तर से तय होगा।
कांग्रेस की परंपरागत सीट पर भाजपा को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की मदद से वापसी की उम्मीद है। हालांकि, विधानसभा चुनाव में ज्यादातर सीटों पर हार के बाद भाजपा में उत्साह की कमी है, लेकिन झाबुआ सीट पर जीते विधायक जीएस डामोर लोकसभा के लिए भाजपा का चेहरा हो सकते हैं। डामोर झाबुआ जिले के हैं। पूर्व सांसद स्व. दिलीप भूरिया के समर्थक भी डामोर के साथ हैं तो भाजपा जिलाध्यक्ष ओमप्रकाश शर्मा का कहना है कि हमारा प्रत्याशी हाईकमान स्तर से तय होगा।
विधानसभा चुनाव में वोटरों ने बदलाव किया है, सांसद के स्वीकृत कई कार्य भाजपा सरकार ने शुरू नहीं होने दिया। सांसद तो क्षेत्र में सतत सक्रिय रहे हैं।
– आनंद डाबर, झाबुआ
– आनंद डाबर, झाबुआ
भ्रष्टाचार पर लगाम नहीं लगी। सरकार की योजनाओं का लाभ नहीं मिला है। हर काम के लिए रुपए मांगे जाते हैं, ऐसे में लोकसभा चुनाव में नया चेहरा होना चाहिए।
– मुकेश वास्कले, अलीराजपुर
– मुकेश वास्कले, अलीराजपुर
सांसद ने क्षेत्र पर ध्यान ही नहीं दिया है, रतलाम जिले में कभी-कभार ही आते हैं। जनता से सीधे मिलने के बजाय पार्टी कार्यक्रमों में शामिल होते हैं।
– किशन पटेल, रतलाम