बता दें कि मंगलवार को राज्य सरकार में गृह मंत्री पीसी शर्मा ने कहा कि मध्य प्रदेश में राजनीतिक द्वेष से दर्ज किए गए केसों को तुरंत वापस लेंगे.
गौरतलब है कि 2018 में अप्रैल महीने में देश के कई हिस्सों में दलितों का आंदोलन हुआ था, इस दौरान राजस्थान और मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा केस दर्ज किया गया था. मायावती ने इसी बात पर सवाल खड़ा करते हुए सोमवार को बयान जारी किया. हालांकि, राजस्थान सरकार की ओर से अभी तक इस पर कोई टिप्पणी नहीं की गई है.
मायावती ने आरोप लगाया था कि 2 अप्रैल 2018 को दलितों द्वारा बुलाए गए भारत बंद के दौरान भारतीय जनता पार्टी की सरकारों ने राजनीतिक द्वेष से कई केस दर्ज किए थे. इसलिए उनके ऊपर चल रहे मामलों को वहां की नई कांग्रेस सरकारों को तुरंत वापस लेकर उन्हें खत्म करना चाहिए.
आपको बता दें कि SC/ST एक्ट पर SC के फैसले के बाद पूरे देश में दलित संगठनों द्वारा भारत बंद का आह्वान किया गया था. इस बंद का सबसे ज्यादा असर MP और राजस्थान में पड़ा था.आपको बता दें कि बीते महीने 11 दिसंबर को विधानसभा चुनावों के नतीजों में कांग्रेस पार्टी मध्य प्रदेश और राजस्थान में बहुमत से कुछ सीटें दूर रह गई थी. 230 सदस्यीय मध्य प्रदेश विधानसभा में कांग्रेस 114 सीटों पर जीती, वहीं 200 सदस्यीय राजस्थान में 99 सीट पर जीत हासिल कर पाई थी.इस दौरान कांग्रेस को सरकार बनाने के लिए निर्दलियों और क्षेत्रीय दलों पर आश्रित होना पड़ा था. नतीजों के बाद BSP ने कांग्रेस को बाहर से समर्थन देने की घोषणा की थी. गौरतलब है कि मध्य प्रदेश में BSP के 2 और राजस्थान में बीएसपी के 6 विधायक जीते थे.
मायावती की चेतावनी के बाद MP की कांग्रेस सरकार ने मानी ये मांग
Mayawati
बहुजन समाज पार्टी (BSP) सुप्रीमो मायावती के नाराजगी जताने के एक दिन बाद ही मध्य प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने उनकी बात मान ली है. मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार ने ऐलान किया है कि वह सभी राजनीतिक केसों को वापस लेगी. मायावती ने सोमवार को कहा था कि अगर कांग्रेस सरकार राजनीतिक द्वेष से लगाए गए केस वापस नहीं लेती है तो वह सरकार को समर्थन देने के फैसले पर पुनर्विचार कर सकती है.