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किसकी बनेगी सरकार, यहां फंसे शिवराज..

भोपाल। विधानसभा के लिए मध्यप्रदेश में इस बार यानि 2018 में करीब 75 प्रतिशत मतदान हुआ है। ऐसे में जैसे-जैसे मतगणना की तिथि करीब आ रही है हार-जीत के कयासों का दौर फिर तेज हो गया है। कई तरह की भविष्यवाणियों के बीच हर कोई असमंजस्य madhya pradesh exit poll 2018में है, कि आखिर सरकार किसकी बनेगी। 
जानकारों के अनुसार MP में यह 61 साल में रिकॉर्ड मतदान Voting है। यह मतदान 2013 के चुनाव से करीब 4 फीसदी ज्यादा है और यही 4 फीसद ज्‍यादा वोटिंग भाजपा व शिवराज सिंह चौहान Shivraj Singh Chouhan के लिए खतरे की घंटी बनी हुई है।

राजनीति के जानकार कहते हैं कि इतिहास में भी जब-जब राज्‍य में 4 फीसदी से ज्‍यादा वोटिंग हुई, मौजूदा सरकार उखड़ गई।

हालांकि सरकार किसकी बनेगी इस बात का फैसला 11 दिसंबर को होगा। इसके पहले कई सीटों पर बनते बिगड़ते समीकरणों madhya pradesh final exit poll 2018 ने सबका ध्यान अपनी ओर आकर्षित हो गया है।

कई सीटों पर निर्दलीय प्रत्याशी कांटे की टक्कर दे रहे है, तो कई सीटों पर बागी प्रत्याशी भी चर्चा का केंद्र बने हुए हैं, जो परिणाम बदलने तक की ताकत रखते है।

ये है अब तक का इतिहास…
: सरकार में बदलाव के संबंध में राजनीति के जानकार डीके शर्मा बताते हैं कि 1990 में दिवंगत सुंदरलाल पटवा के नेतृत्व में भाजपा उतरी और 4.36 फीसदी वोट बढ़ गए। जिसके चलते तत्कालीन कांग्रेस की सरकार उखड़ गई।

: वहीं 1990 के चुनाव के मुकाबले 1993 में 6.03 प्रतिशत मतदान बढ़ा, तो BJP की पटवा Sundar Lal Patwa सरकार पलट गई। बता दें 1990 में 54.2 फीसद वोट पड़े थे, जबकि 1993 में यह 6.03 प्रतिशत बढ़कर वोटिंग 60.5 फीसद हो गई।

: इसके बाद 1998 के चुनाव में वोटिंग .3 प्रतिशत घटकर 60.2 रह गया। जबकि इससे पहले 1993 में 60.5 फीसद वोटिंग हुई थी। इस साल वोटिंग में कोई खास परिवर्तन नहीं हुआ और इसका परिणाम ये हुआ कि दिग्विजय सिंह की सरकार दोबारा बन गई।

: वहीं 2003 के चुनाव में भाजपा BJP उमा भारती के नेतृत्व में मैदान उतरी। राज्य में जहां 1998 में कुल 60.2 फीसद वोटिंग हुई थी, वहीं इस बार यानि 2003 में वोटिंग प्रतिशत 67.3 पर पहुंच गया। यानि करीब 7 फीसदी की वोटिंग में बढ़ोतरी हुई, जिसके चलते दिग्विजय सिंह की 10 साल की सरकार को सत्ता से बाहर हो गई।

: इस बार यानि 2018 में प्रदेश में 230 विधानसभा सीटों के लिए मतदान होने के बाद अब मतदाताओं की नजरें ऐसी सीटों पर टिकी हैं जहां भाजपा-कांग्रेस के बीच मुकाबला बेहद करीबी हो गया है। वही इस बार मतदान प्रतिशत भी बढ़ा है, जिससे उलटफेर के आसार भी बढ़ते हुए नजर आ रहे है। इस तरह कई सीटों की रोचकता बढ़ गई है।

 

इन 10 जिलों की विधानसभाएं जो फंसा सकती हैं मामला…
अनूपपुर की विधानसभा अनूपपुर में इस बार 12.07 फीसदी अधिक मतदान हुआ। वहीं धार की विधानसभा गंडवानी में 11.73 प्रतिशत, झाबुआ की विधानसभा झाबुआ में 8.5 प्रतिशत, पन्‍ना की विधानसभा गुन्‍नौर में 8.49 फीसदी, रायसेन की विधानसभा उदयपुरा में 8.4 प्रतिशत,धार की विधानसभा सरदारपुरा में 7.78 प्रतिशत,बैतूल की विधानसभा भैंसदेही में 7.68 फीसदी, दतिया की विधानसभा भांडेर मे 7.65 प्रतिशत,सिंगरौली की विधानसभा देवसर में 7.64 फीसदी व सतना की विधानसभा रायगांव में 7.46 प्रतिशत अधिक मतदान हुआ है।

यहां महिलाएं पलट सकती हैं बाजी…
सतना जिले की विधानसभा रायगांव में इस बार 10.12 प्रतिशत महिला वोटिंग में इजाफा हुआ है। इसी तरह धार जिले की विधानसभा सरदारपुरा में 13.53 प्रतिशत,दतिया जिले की विधानसभा भांडेर में 11.85 प्रतिशत, धार जिले की विधानसभा गंडवानी में 12.1 प्रतिशत, पन्‍ना जिले की विधानसभा गुन्‍नौर में 10.65 प्रतिशत,रायसेन जिले की विधानसभा उदयपुरा में 10.17 प्रतिशत,अनूपपुर जिले की विधानसभा अनूपपुर में 13.61 प्रतिशत,गुना जिले की विधानसभा चचोड़ा में 9.86 प्रतिशत,सिंगरौली जिले की विधानसभा चिंतरांगी में 9.64 प्रतिशत व ग्‍वालियर जिले की विधानसभा ग्‍वालियर ग्रामीण में 9.27 प्रतिशत महिला वोटिंग का इजाफा दर्ज किया गया है।

2018 Election: वहीं इस बार कई ऐसी सीटें भी हैं जहां बसपा, सपा व अन्य दलों ने भी ताकत दिखा दी है, जिसके कारण मुकाबला त्रिकोणीय या फिर चतुष्कोणीय हो चला है, ऐसे में ये कह पाना मुश्किले है कि जीत भाजपा की होगी या फिर कांग्रेस की…

इन सीटों पर है सबकी नजर…
1. होशंगाबाद – यहां भाजपा ने विधानसभा अध्यक्ष सीतासरन शर्मा और कांग्रेस ने भाजपा के वरिष्ठ नेता रहे सरताज सिंह को मैदान में उतारा। दोनों की ही क्षेत्र में गहरी पैठ है। भाजपा से टिकट न मिलने से नाराज सरताज ने कांग्रेस का दामन थामा था।

2. खुरई – गृहमंत्री भूपेंद्र सिंह का मुकाबला कांग्रेस के अरुणोदय चौबे से हाेने से यह सीट चर्चा में है। यहां भी दोनों के बीच कांटे का मुकाबला रहा। बुंदेलखंड अंचल की यह सीट चर्चा का केंद्र बनी हुई है।

3. जबलपुर पश्चिम – भाजपा केे पूर्व विधायक हरेंद्रजीत सिंह बब्बू की सीधी टक्कर कांग्रेस के वर्तमान विधायक तरूण भनोत से है। पिछले चुनाव में बब्बू 923 वोटों से हारे थे।

4. ग्वालियर दक्षिण – यहां से भाजपा से बागी हुई पूर्व महापौर समीक्षा गुप्ता पार्टी के प्रत्याशी नारायण सिंह कुशवाह के लिए बड़ी चुनाैती बनीं। समीक्षा ने निर्दलीय चुनाव लड़ा। कांग्रेस से प्रवीण पाठक मैदान में रहे।

5. वारासिवनी – कांग्रेस ने इस सीट से मुख्यमंत्री के-साले संजय मसानी को मैदान में उतारा। भाजपा से योगेंद्र निर्मल चुनाव लड़ रहे हैं। वे यहां से विधायक भी हैं। मसानी के चुनाव लड़ने के कारण यह सीट चर्चा में है।

6. निवाड़ी – यहां त्रिकोणीय मुकाबला होने से सीट फंस गई है। भाजपा ने यहां से अनिल जैन, कांग्रेस ने सुरेंद्र सिंह यादव और सपा ने मीरा यादव को मैदान में उतारा।

7. नागौद – भाजपा ने यहां से नागेंद्र सिंह और कांग्रेस ने यादवेंद्र सिंह को मैदान में उतारा है। जातिगत समीकरण की वजह से यहां दोनों में कांटे की टक्कर रही।

8. रैगांव – पिछले चुनाव में इस सीट पर बसपा की ऊषा चौधरी ने भाजपा के पुष्पराज बागरी को 4109 मतों से हराया था। चौधरी इस बार भी इसी सीट से चुनाव लड़ीं। उनका मुकाबला भाजपा के पूर्व मंत्री जुगलकिशोर बागरी और कांग्रेस की कल्पना वर्मा से था। यहां त्रिकोणीय मुकाबला है।

9. सीहोर – पिछले चुनाव में निर्दलीय खड़े हुए सुदेश राय को भाजपा ने यहां से टिकट दिया। इस बार यहां से भाजपा के पूर्व विधायक रमेश सक्सेेना की पत्नी ऊषा सक्सेना निर्दलीय चुनाव लड़ी। कांग्रेस से सुरेंद्र सिंह ठाकुर मैदान में थे। इस वजह से यह सीट चर्चा का केंद्र है।

10. अमरवाड़ा – भाजपा के प्रेमनारायण ठाकुर और कांग्रेस से वर्तमान विधायक कमलेश शाह यहां से मैदान में हैं। गाेंडवाना गणतंत्र पार्टी के वरिष्ठ नेता मनमोहन शाह बट्‌टी भी यहां से चुनाव लड़ रहे हैं। वे 2003 में गोंगपा से विधायक रह चुके हैं।

11. अंबाह – बसपा ने वर्तमान विधायक सत्यप्रकाश का मुकाबला भाजपा के गब्बर सिंह और कांग्रेस के कमलेश जाटव से रहा। यह सीट भी रोचक मुकाबले में फंसी है।

12. अटेर – भाजपा के अरविंद भदौरिया का मुकाबला कांग्रेस से वर्तमान विधायक हेमंत कटारे से है। क्षेत्र में जातिगत समीकरण का भी गहरा प्रभाव है। इस वजह से यह सीट भी चर्चा में है।

13. छतरपुर – इस सीट से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे सत्यव्रत चतुर्वेदी के भाई आलोक चतुर्वेदी और भाजपा की अर्चना सिंह का मुकाबला रहा। भाजपा में मंत्री ललिता यादव ने यहां से अपनी सीट बदली थी।

14. कालापीपल – कांग्रेस ने यहां से युवा कांग्रेस के कुणाल चाैधरी पर भरोसा जताया। भाजपा से बाबूलाल वर्मा प्रत्याशी थे। यहां भी दाेनों दलों के प्रत्याशियों के बीच रोचक मुकाबला है।

15. भोपाल दक्षिण-पश्चिम- इस सीट पर भाजपा के वरिष्ठ विधायक उमाशंकर गुप्ता और कांग्रेस के पूर्व विधायक पीसी शर्मा के बीच कांटे की टक्कर रही। यह भोपाल की सबसे ज्यादा चर्चित सीट बनी हुई है।

16. विदिशा – लंबे समय से भाजपा के कब्जे वाली इस सीट पर मुकेश टंडन की सीधी टक्कर कांग्रेस के शशांक भार्गव से रही। आप प्रत्याशी पूर्व विंग कमांडर अनुमा आचार्य के यहां से मैदान के उतरने के कारण यहां मुकाबला दिलचस्प हो गया।

17. इंदौर 3 – भाजपा के वरिष्ठ नेता कैलाश विजयवर्गीय के बेटे आकाश यहां से पहली बार चुनाव मैदान में हैं। उनका मुकाबला कांग्रेस के वरिष्ठ नेता महेश जोशी के भतीजे अश्विन जोशी से है। दोनों ही यहां पूरी ताकत लगा रहे हैं। यह सीट पर प्रदेश भर में चर्चा में है।

18. सांची – भाजपा के वरिष्ठ नेता गौरीशंकर शेजवार के बेटे मुदित ने पहली बार यहां से चुनाव लड़ा। उनका मुकाबला कांग्रेस के प्रभुराम चौधरी से है। यह सीट भी चर्चा का केंद्र है।

19. सिलवानी – भाजपा सरकार में मंत्री रामपाल सिंह का मुकाबला कांग्रेस के देवेंद्र पटेल से रहा। कांटे की टक्कर की वजह से इस सीट पर मतदाताओं की नजर है।

20. भोपाल मध्य – यहां भाजपा के वर्तमान विधायक सुरेंद्रनाथ सिंह और कांग्रेस के आरिफ मसूद के बीच करीबी मुकाबला है। काफी हद तक हिंदू-मुस्लिम मतदाता यहां प्रत्याशी की जीत-हार तय करते हैं। आरिफ ने यहां से पिछला चुनाव भी लड़ा था।

21. चाचौड़ा – कांग्रेस से पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के भाई लक्ष्मण सिंह और भाजपा से विधायक ममता मीना का आमने-सामने का मुकाबला है। इस सीट पर भी सभी की नजरें टिकी हुई हैं।

22. इंदौर 1 – भाजपा ने यहां के वर्तमान विधायक सुदर्शन गुप्ता को फिर मौका दिया। उनका मुकाबला कांग्रेस के संजय शुक्ला से हुआ। यहां भी दोनों प्रत्याशियों के बीच आमने-सामने का मुकाबला रहा।

23. भोजपुर – कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुरेश पचौरी का सीधा मुकाबला भाजपा के वर्तमान विधायक सुरेंद्र पटवा से है। पिछली बार पटवा ने पचौरी को शिकस्त दी थी। इस सीट पर भी प्रदेश की नजरें लगी हुई हैं।

24. इंदौर 5 – यहां से भाजपा से वर्तमान विधायक महेंद्र हार्डिया और कांग्रेस के सत्यनाराण पटेल के बीच कांटे का मुकाबला है।

25. मुरैना – भाजपा के वरिष्ठ नेता रुस्तम सिंह का मुकाबला कांग्रेस के रघुराज सिंह कसाना और बसपा के बलवीर सिंह दंडोतिया से है। यहां त्रिकोणीय मुकाबला होने से सीट चर्चा में है।

26. राजनगर – यह सीट कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे सत्यव्रत चतुर्वेदी के बेटे नितिन चतुर्वेदी के सपा से चुनाव लड़ने की वजह से चर्चा में है। यहां से भाजपा के प्रत्याशी अरविंद पटेरिया और कांग्रेस से विक्रम सिंह नातीराजा हैं। वे यहां से विधायक भी हैं।

27. घटि्टया – यहां से भाजपा ने कांग्रेस के नेता रहे प्रेमचंद गुड्‌डू के बेटे अजीत बौरासी को टिकट दिया। कांग्रेस से रामलाल मालवीय मैदान हैं। भाजपा के वर्तमान विधायक का टिकट कटने से कार्यकर्ताओं में नाराजगी रही। इस वजह से यह सीट भी उलझी हुई है।

28. जबलपुर पूर्व – यहां से भाजपा ने अंचल सोनकर पर पुन: विश्वास जताया। उनका मुकाबला लखन घनघोरिया रहा। इस सीट पर भी पेंच फंसा हुआ है।

29. जबलपुर उत्तर – भाजपा ने शरद जैन को यहां से फिर टिकट दिया है। उनका मुकाबला कांग्रेस के विनय सक्सेना से है। लेकिन जैन के सामने युवा मोर्चा के पूर्व अध्यक्ष व भाजपा से बागी हुए धीरज पटैरिया निर्दलीय खड़े हो गए जो जैन के लिए बड़ी चुनौती हैं।

30. बालाघाट – यहां भाजपा के गौरीशंकर बिसेन का मुकाबला कांग्रेस विश्वेश्वर भगत से है। वहीं, सपा से अनुभा मुंजारे मैदान में हैं जो पिछले चुनाव में दूसरे नंबर पर रहीं थी। यह सीट त्रिकोणीय मुकाबले की वजह से चर्चा में है।

31. दमोह – वित्त मंत्री जयंत मलैया की टक्कर कांग्रेस के राहुल सिंह लोधी से है। लेकिन उनके लिए भाजपा से ही बागी हुए रामकृष्ण कुसमरिया बड़ी चुनौती थे। इस वजह से शुरू से यह सीट चर्चा का विषय रही।

32. मनगवां – इस सीट से बसपा की वर्तमान विधायक शीला त्यागी मैदान में हैं। इस बार भाजपा ने यहां अपना प्रत्याशी बदला है। उनका मुकाबला भाजपा के पंचूलाल प्रजापति और कांग्रेस की बबीता साकेत से था।

33. मैहर – भाजपा विधायक नारायण त्रिपाठी का मुकाबला कांग्रेस के श्रीकांत चतुर्वेदी से है। बसपा और सपा के प्रत्याशी भी दोनों दलों के नेताओं के लिए चुनौती बने हुए हैं।

34. ग्वालियर – भाजपा सरकार में मंत्री जयभान सिंह पवैया का मुकाबला कांग्रेस के प्रद्युम्न सिंह तोमर से है। यह सीट भी सियासी गलियारों में चर्चा का केंद्र है।

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