विधानसभा चुनाव तक मतदाताओं के पीछे भागने वाले राजनीतिक दल अब मतगणना एजेंट बनाने के लिए अलग-अलग तरह की जोड़-तोड़ में जुटे हुए हैं। यह जोड़-तोड़ 11 दिसम्बर को होने वाली मतगणना के दौरान गणना कक्ष में अधिक संख्या में अपने समर्थकों को पहुंचाने के लिए हो रही है। इसकी वजह से निर्दलीय प्रत्याशियों की पूछपरख एक बार फिर बढ़ गई है।
कुछ प्रमुख राजनीतिक दलों के नेता स्ट्रांग रूम तक अपने ज्यादा से ज्यादा समर्थकों को पहुंचाने के लिए निर्दलीय प्रत्याशियों से सीधे संपर्क कर रहे हैं। इसके लिए निर्दलीय प्रत्याशियों को तरह-तरह के ऑफर देने की भी खबरें आ रही हैं।
निर्वाचन आयोग के नियमों के मुताबिक मतगणना के दिन स्ट्रांग रूम में प्रत्याशियों और उनके अधिकृत एजेंटों को ही प्रवेश दिया जाएगा। इसके लिए विशेष पास बनाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। ऐसे में कुछ प्रमुख दलों के प्रत्याशी निर्दलीयों से संपर्क कर उनके एजेंट की जगह अपने एजेंटों को मतगणना स्थल पर पहुंचाने के लिए सौदेबाजी कर रहे हैं। इसके लिए टेबल के हिसाब से कीमत तय हो रही है।
वहीं डाक मतपत्र की गणना के दौरान भी एजेंटों की सबसे अहम भूमिका होती है। राजनीतिक दलों के प्रत्याशियों की रणनीति यह है कि वो मतगणना स्थल पर अपने ज्यादा से ज्यादा समर्थकों को रखें, ताकि विवाद की स्थिति में संख्या बल के दम पर दबाव बनाया जा सके।
वरिष्ठ कार्यकर्ताओं को दी जिम्मेदारी
बताया जाता है कि राजनीतिक दल के उम्मीदवार सीधे तौर पर निर्दलीय प्रत्याशियों से संपर्क करने की जगह उनके पास अपने कार्यकर्ताओं को भेज रहे हैं, ताकि किसी प्रकार की वाद-विवाद की परिस्थितियां उत्पन्न होने पर वो सीधे तौर पर बच सके। कार्यकर्ता ही निर्दलीय प्रत्याशियों से संपर्क कर ऑफर दे रहे हैं।
हो सकता है कि कोई
निर्दलीय प्रत्याशी ऐसे समय में किसी पार्टी को समर्थन देता हो, लेकिन भाजपा को इसकी आवश्यकता नहीं पड़ती है।
संजय श्रीवास्तव, प्रवक्ता, भाजपा
संजय श्रीवास्तव, प्रवक्ता, भाजपा
कांग्रेस किसी भी निर्दलीय उम्मीदवार के अधिकार-पत्र में अपने एजेंट नहीं भेजती है। कांग्रेस उम्मीदवारों के अधिकार-पत्र से ही एजेंटों को भेजा जाएगा।
धनंजय सिंह ठाकुर, प्रवक्ता, कांग्रेस
धनंजय सिंह ठाकुर, प्रवक्ता, कांग्रेस