उत्तर प्रदेश में अति पिछडा़ सिमाजिक न्याय समिति ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है. रिपोर्ट में ओबीसी और एससी/एसटी आरक्षण कोटे में बंटवारे की सिफारिश की गई है. फिलहाल इस पर अंतिम फैसला मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लेना हैं. उधर योगी सरकार की इस कवायद के सियासी मतलब भी निकाले जा रहे हैं. समाजवादी पार्टी ने मंगलवार को आरोप लगाया कि सरकार विकास के मुद्दे से भटक गई है. बीजेपी जाति को जाति में बांट रही है.आरक्षण में आरक्षण के मामले में समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता अनुराग भदौरिया ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी को सिर्फ एक ही काम करना है. जाति के नाम पर समाज को बांटना है. विकास की बात वह नहीं करेगी. वह बेरोजगारी, किसानों की समस्या आदि सभी मुद्दे भूल चुकी है. उसे याद दिलाना होगा. उनकी मेमोरी खत्म हो गई है.अनुराग भदौरिया ने कहा कि मेरा कहना है कि जिसकी जितनी भागीदारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी. इसलिए जिसकी जितनी संख्या है, उसे उसी आधार पर आरक्षण दे दीजिए. सरकार के पास आधार कार्ड है, जनसंख्या के आंकड़े हैं, वह ऐसा कर सकती है. उन्होंने कहा कि मोदी जी और योगी जी डिजिटल इंडिया की बात करते हैं. तो डिजिटल इंडिया के पूरे रिकॉर्ड निकालकर जिसकी जितनी संख्या, उसको उतना आरक्षण दे दें.बता दें सरकार को सौंपी गई रिपोर्ट में समिति ने पिछड़ा वर्ग आरक्षण को तीन बराबर हिस्सों में बांटने की सिफारिश की है. समिति ने इसके लिए तीन वर्ग पिछड़ा, अति पिछड़ा और सर्वाधिक पिछड़ा बनाने का प्रस्ताव दिया है. इसके तहत 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण को तीन बराबर हिस्सों में बांटा जाएगा. यानि पिछड़ा, अति पिछड़ा और सर्वाधिक पिछड़ा वर्ग को 9.9 फ़ीसदी आरक्षण देने की सिफारिश की गई है.
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