केंद्र सरकार केंद्रीय कर्मचारियों की सैलरी बढ़ाने की पूरी कोशिश में लगी है। केंद्रीय कर्मचारी भी सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों से खुश नहीं हैं। उनका कहना है कि सातवें वेतन आयोग द्वारा की गई सिफारिशें काफी नहीं हैं। उनकी मांग है कि उनकी सैलरी को और अधिक बढ़ाया जाए। अब कुछ ऐसा माहौल बन रहा है जिससे
केंद्रीय कर्मचारियों की उम्मीद बढ़ी है कि उनकी सैलरी को और ज्यादा बढ़ाया जा सकता है। पिछले महीने देश में विदेशी निवेश में बढ़ोतरी हुई है जो कि सरकार के लिए एक अच्छा संकेत है। रुपए की सुधरती हालत को लेकर भी सरकार सकारात्म है। इससे सरकार को जरूर फायदा होगा। इसके अलावा कच्चे तेल की घटती कीमतें भी सरकार के लिए एक सकारात्मक संकेत है। जब इन जगहों से केंद्र सरकार के पास ज्यादा पैसा आएगा तो सरकार दूसरी जगह पैसा लगा सकती है। इसी को देखते हुए केंद्र सरकार के कर्मचारियों की सैलरी भी बढ़ाई जा सकती है।
इसके अलावा सरकारी अधिकारियों का कहना है कि वित्तीय हालत सुधर रही है। वेतन वृद्धि से संबंधित मुद्दा को रोक दिया गया था क्योंकि वित्तीय स्थिति ठीक नहीं थी। हालांकि उपर्युक्त कारणों से कुछ राहत मिली है और यही कारण है कि 7 वें वेतन आयोग के बारे में विचार-विमर्श एक बार फिर शुरू हो गया है। केंद्र सरकार ने 1 जनवरी 2016 को 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार कर्मचारियों का वेतन निर्धारित किया था। सरकार ने कर्मचारियों का फिटमेंट फेक्टर 2.57 गुना निर्धारित किया था।
इस आधार पर कर्मचारियों की न्यूनतम सैलरी 18,000 रुपये हो गई थी। अब कर्मचारियों की मांग है कि इसे बढ़ाकर 3.68 गुना किया जाए जिसके बाद मिनिमम सैलरी 26,000 रुपये हो जाएगी। वहीं माना जा रहा है कि सरकार फिटमेंट फेक्टर को बढ़ाकर 2.85 गुना करने जा रही है, जिसके कारण बेसिक सैलरी 20000 से 21000 के बीच हो जाएगी।
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