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श्रीमंत माधवराव सिंधिया स्नातकोत्तर महाविद्यालय में मनाया गया विश्व ओजोन दिवस

महाविद्यालय में मनाया गया विश्व ओजोन दिवस

शासकीय श्रीमंत माधवराव सिंधिया स्नातकोत्तर महाविद्यालय शिवपुरी में आज दिनांक 16 सितंबर 2019 को प्रभारी प्राचार्य महेंद्र कुमार के निर्देशन में विश्व ओजोन दिवस इको क्लब द्वारा मनाया गया. यह कार्यक्रम प्रोफेसर ए पी गुप्ता के मुख्य आतिथ्य में संपन्न हुआ.इस अवसर पर इको क्लब संरक्षक डॉ जी पी शर्मा इको क्लब प्रभारी डॉ वीके जैन सदस्य डॉक्टर आनंद मिश्रा डॉ रामजी दास राठौर के साथ महाविद्यालय स्टाफ सदस्य डॉ पदमा शर्मा डॉ दिनेश शर्मा डॉ एम एस हिंडोलिया प्रो गजेंद्र सक्सेना प्रो नवल किशोर प्रो राकेश शाक्य एवं श्री राम प्रकाश भार्गव प्रो केदार श्रीवास के साथ महाविद्यालय के अनेक छात्र छात्राएं उपस्थित रहे उपस्थित रहे. विश्व ओजोन दिवस के अवसर पर कमल किशोर मयंक राठौर शुभम राठौर आशुतोष रोजा राजे रानी सैन विवेक उपाध्याय एवं अख्तर जिया ने भी अपने विचार व्यक्त किए. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डॉ वी के जैन ने बताया कि संयुक्त राष्ट्र महासभा ने साल 1994 में 16 सितंबर को ‘ओजोन परत के संरक्षण के लिए अंतरराष्ट्रीय ओज़ दिवस’ के रूप में मनाने की घोषणा की. इस दिन ओजोन परत के संरक्षण के लिए साल 1987 में बनाए गए मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर किया गया था.विश्व ओजोन दिवस 2019 का विषय ’32 वर्ष और हीलिंग ‘है. इस वर्ष का विषय मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के तहत ओजोन परत और जलवायु की रक्षा के लिए तीन दशक के उल्लेखनीय अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का जश्न मनाता है. यह लोगों को स्वस्थ लोगों और स्वस्थ ग्रह को सुनिश्चित करने के लिए गति बनाए रखने की भी याद दिलाता है.
इस अवसर पर मुख्य अतिथि प्रोफेसर ए पी गुप्ता ने बताया कि
हम सभी जानते हैं कि ओजोन हमें सूरज से आने वाली यूवी किरणों से बचाता है.1957 में, ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर गॉर्डन डॉब्सन ने ओजोन परत की खोज की.ओजोन ऑक्सीजन के तीन परमाणुओं से बना है. यह अत्यधिक प्रतिक्रियाशील गैस है और O3 द्वारा दर्शायी जाती है. यह स्वाभाविक रूप से पृथ्वी के ऊपरी वायुमंडल में एक मानव निर्मित उत्पाद यानी समताप मंडल और निम्न वायुमंडल अर्थात क्षोभमंडल में होता है.यह ओजोन परत पृथ्वी के वायुमंडल (पृथ्वी से 15-35 किमी ऊपर) में समताप मंडल के निचले हिस्से में मौजूद है और इसमें ओजोन (O3) की अपेक्षाकृत उच्च सांद्रता है. स्वाभाविक रूप से यह आणविक ऑक्सीजन O2 के साथ सौर पराबैंगनी (यूवी) विकिरण की बातचीत के माध्यम से बनता है. यह पृथ्वी की सतह तक पहुँचने वाले हानिकारक यूवी विकिरण को कम करता है.लेकिन जमीनी स्तर पर ओजोन को एक प्रमुख वायु प्रदूषक माना जाता है. हम सभी जानते हैं कि ओजोन हमें हानिकारक यूवी विकिरणों से बचाता है. मानवीय गतिविधियों के कारण ओजोन परत ग्रह पर कम हो रही है जो बहुत विनाशकारी हो सकता है. इससे फोटोकैमिकल स्मॉग और एसिड बारिश भी होती है.ओजोन सूर्य से यूवी किरणों को परिरक्षण के लिए जिम्मेदार है; इसकी कमी से गंभीर स्वास्थ्य खतरे हो सकते हैं.ओजोन रिक्तीकरण पौधों के जीवन चक्र में परिवर्तन और खाद्य श्रृंखला को बाधित करके पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है. प्लेंक्टन जैसे सूक्ष्म जीव जीवित नहीं रह सकते हैं इसलिए प्लवक पर निर्भर जानवर भी जीवित नहीं रहपाएंगे. ओजोन परत के क्षरण के परिणामस्वरूप हवा के पैटर्न में बदलाव हो सकता है, जिससे ग्लोबल वार्मिंग को बढ़ावा मिल सकता है जिसके परिणामस्वरूप पूरे विश्व में जलवायु परिवर्तन हो सकते हैं.
इस अवसर पर डॉ रामजी दास राठौर ने मंच संचालन करते हुए बताया कि यदि इंसान स्वयं नहीं बदलेगा तो इसमें दो राय नहीं कि प्रकृति उसे बदलने पर बाध्य कर देगी.फिर चाहे वह मौसम में बदलाव से उत्पन्न पर्यावरण विनाश के कारण हों, ओजोन परत में छिद्र के कारण उत्पन्न त्वचा रोगों व कैंसर के भय से हो अथवा बढ़ती जनसंख्या के कारण उत्पन्न सामाजिक तनावों, उपद्रवों, अराजकता, आतंकवाद व जीवन के लिये असुरक्षा से हो, पर क्या यह जरूरी है कि माल्थस सिद्धान्त ही सही साबित हो. यह भी तो हो सकता है कि माल्थस की अपेक्षा हम गाँधी, बुद्ध और महावीर को सार्थक व सफल बनाएँ. होना तो यह चाहिए कि हम स्वेच्छा से उपभोगवादी प्रवृत्ति व जीवनमूल्यों को त्यागकर पृथ्वी को शस्य, श्यामला और समस्त चराचर जीवों के लिये सुरक्षित बनाएँ. तभी ओजोन की रक्षा सम्भव है अन्यथा नहीं. कार्यक्रम के अंत में डॉ आनंद मिश्रा द्वारा मुख्य अतिथि महाविद्यालय के समस्त स्टाफ सदस्य एवं छात्र छात्राओं का आभार व्यक्त किया गया.

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