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हनी ट्रैप केस एसआईटी प्रमुख को हटाने से पहले कमलनाथ ने किसे किया था तलब और किसने कहा म.प्र सरकार झेल नहीं पाएगी खुलासे

मध्य प्रदेश में पकड़े गए हाई प्रोफाइल हनी ट्रैप (Honey Trap Case) मामले में ‘दाल में कुछ ज्यादा ही काला नजर’ आ रहा है. इस मामले की जांच कर रही विशेष जांच टीम (एसआईटी) के चीफ को कमलनाथ सरकार ने तीसरी बार बदला है.

मध्य प्रदेश में पकड़े गए हाई प्रोफाइल हनी ट्रैप (Honey Trap Case) मामले में ‘दाल में कुछ ज्यादा ही काला नजर’ आ रहा है. इस मामले की जांच कर रही विशेष जांच टीम (एसआईटी) के चीफ को कमलनाथ सरकार ने तीसरी बार बदला है. सबसे पहले मामले की जांच श्रीनिवास वर्मा को सौंपी गई थी लेकिन 24 घंटे के अंदर ही उनसे यह जिम्मेदारी ले ली गई और संजीव शामी को एसआईटी हेड बना दिया गया. लेकिन अब राजेंद्र कुमार को यह जिम्मेदारी दे दी गई. अब इस नए घटनाक्रम के बाद सवाल उठ रहा है कि क्या सरकार अंदर ही इस मामले में पर्दा डालने की कोशिश कर रही है. क्योंकि अभी तक मिली जानकारी के मुताबिक इस हनी ट्रैप मामले में कांग्रेस-बीजेपी के कई बड़े नेता, अधिकारी भी फंसे हुए हैं और महाराष्ट्र के एक बड़े नेता का भी नाम सामने आ रहा है.
15 बड़ी बातें
मिली जानकारी के मुताबिक सोमवार को मुख्यमंत्री कमलनाथ ने मुख्य सचिव एसआर मोहंती और डीजीपी वीके सिंह और एसआईटी प्रमुख संजीव शामी को तलब किया.

मुख्यमंत्री ने मामले में एटीएस के शामिल होने पर नाराजगी जताई. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक दो शीर्ष अधिकारियों और शीर्ष सलाहकारों ने सीएम कमलनाथ को समझाया कि इस मामले में इतने ‘रहस्य’ उजागर होंगे कि राज्य सरकार झेल नहीं पाएगी.

इन लोगों ने समझाया कि इस मामले की जांच में एटीएस को शामिल करना डीजीपी वीके सिंह की बड़ी गलती है.

बीते अगस्त महीने में इस पूरे मामले का पर्दाफाश हुआ था. इसमें गिरफ्तार पांच महिलाओं और उनके कार ड्राइवर ने खुलासा किया है कि रैकेट के मास्टरमाइंड की निगाहें दिल्ली पर टिकी थीं.

वह केंद्र सरकार से अपने एनजीओ या अपने बड़े कॉर्पोरेट ग्राहकों, जिनमें से कुछ भारत के बाहर बसे हुए भी हो सकते हैं के लिए ठेके हासिल करना चाहता था.

रैकेट का मास्टरमाइंड छत्तीसगढ़ में एक मेगा प्रोजेक्ट पर नज़र गड़ाए हुए था. वह छत्तीसगढ़ में नेताओं और नौकरशाहों से अपने संपर्कों का फायदा अपने बड़े कॉर्पोरेट ग्राहकों में से एक को दिलाना चाहता था.

एनडीटीवी को जांच से पता चला है कि रैकेट के मास्टरमाइंड ने करीब एक साल पहले विदेशों में व्यापार करने वाले एक एनआरआई व्यवसायी को केंद्र सरकार से एक महत्वपूर्ण एक्सपोर्ट-इम्पोर्ट संबंधी कॉन्ट्रेक्ट दिलाने की पुरजोर कोशिश की थी.

हालांकि दिल्ली में अधिकारियों और राजनीतिक संपर्कों के जरिए किए गए उसके प्रयास सफल नहीं हो सके.

सेक्स रैकेट के मास्टरमाइंडों में से एक अहम व्यक्ति जो कि कथित तौर पर भोपाल के करीब एक फैक्ट्री चलाता है, ने अपने हाई-प्रोफाइल संपर्कों का उपयोग करते हुए केंद्र के एक प्रमुख पब्लिक सेक्टर में सप्लाई के लिए एक बार अनुबंध प्राप्त करने में कामयाबी हासिल की थी.

इस रैकेट ने दो मोर्चों पर काम किया, इसके कर्ताधर्ताओं ने पहले प्रभावशाली नेताओं, नौकरशाहों और वरिष्ठ पुलिस अफसरों से अंतरंग संबंध विकसित किए.

इसके बाद, रैकेट संचालकों ने इन विशेष रूप से निर्णय लेने का अधिकार रखने वाले प्रभावशाली लोगों को उपकृत किया. उनसे एनजीओ के लिए कौशल विकास, प्रशिक्षण और प्रचार से संबंधित काम के लिए कार्य ऑर्डर हासिल किए गए.

इसके अलावा, उन्होंने अपने कॉर्पोरेट ग्राहकों को सरकारी कॉन्ट्रेक्ट दिलाने के लिए इन प्रभावी लोगों का उपयोग किया, जिसके लिए उन्हें वास्तव में आकर्षक कमीशन मिला.

मध्यप्रदेश में हाल ही में पुलिस के शिकंजे में आये मोहपाश (हनी ट्रैप) गिरोह के सदस्य अपने जाल में फंसे धनी एवं रसूखदार लोगों के साथ अंतरंग पलों का वीडियो बनाने के लिए कैमरे लिपस्टिक कवर और चश्मों में छुपाकर रखते थे.

पुलिस सूत्रों ने बताया कि यह गिरोह वीडियो की मदद से धनी एवं रसूखदार लोगों को ब्लैकमेल करता था.

इंदौर नगर निगम के इंजीनियर हरभजन सिंह की शिकायत पर पुलिस ने 19 सितंबर को हनी ट्रैप गिरोह का खुलासा किया था. गिरोह की पांच महिलाओं समेत छह सदस्यों को भोपाल और इंदौर से 18 एवं 19 सितंबर को गिरफ्तार किया गया.

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