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कवि अखिल की पुस्तक का विमोचन व कवि सम्मेलन हुआ आयोजित

जीवन क्षण भंगुर कवि अखिल के विचारों को ही प्रस्तुत करती है:कंवर

शिवपुरी अखिल भारतीय साहित्य परिषद शिवपुरी द्वारा स्वर्गीय रामकुमार जी चतुर्वेदी चंचल स्मृति सप्ताह के अंतर्गत शिवपुरी के युवा कवि अखिल बंसल को समर्पित कार्यक्रम शिवपुरी महाविद्यालय में आयोजित हुआ जिसमें कवि सम्मेलन से पूर्व उनकी पुस्तक जीवन क्षण भंगुर का विमोचन अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक गजेंद्र जी कंवर के मुख्य आतिथ्य में हुआ।
सर्वप्रथम मुख्य अतिथि अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक गजेंद्र जी कंवर,वरिष्ठ साहित्यकार प्रमोद जी भार्गव,पुरषोत्तम जी गौतम,हरिश्चन्द्र जी भार्गव,आलोक जी इन्दोरिया,पदमा जी शर्मा,डॉ एच पी जैन,व डॉ डी के बंसल ने स्वर्गीय चंचल जी व स्वर्गीय अखिल बंसल के चित्र के आगे दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम को प्रारम्भ किया।इसके बाद डॉ अखिल बंसल को समर्पित डॉक्युमेंट्री फ़िल्म चलाई गई,जिसके बाद मुख्य अतिथि अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक गजेंद्र जी कंवर ने कहा कि डॉ अखिल बंसल एक बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे,जो उनकी पुस्तक को पढ़कर पता चलता है,साथ ही उनके अवचेतन को ये पता था कि उनकी आयु कम है इसी लिए वह अपने जीवित रहते ही जीवन क्षण भंगुर लिख गए,ऐसे कवि पुण्यात्मा का बार बार स्मरण किया जाना चाहिए।इस अवसर पर दिखाई गई फ़िल्म में सभी वरिष्ठ साहित्यकारों ने स्वर्गीय अखिल जी को अपनी श्रद्धांजलि प्रदान की।डॉ अखिल की स्मृति में पिछले वर्ष से प्रारम्भ किये गए डॉ अखिल आक्रोश स्मृति युवा साहित्यकार सम्मान 2019 युवा कवि आशुतोष शर्मा को सभी साहित्यकारों के द्वारा प्रदान किया गया।जिसके बाद कवि सम्मेलन प्रारम्भ हुआ जिसमें काव्य पाठ करते हुए पहले कवि के रूप में मयंक राठौर ने कहा कि में अपनों के बीच अपना नाम लिखता हूं,में दुश्मनों में भी अपना पैगाम लिखता हूं सुनाई,दिव्या भागवानी ने ऊंचे ऊंचे पर्वत बहती धारा,उसमे बसी है हमारी जिंदगानी,जयपाल जाट ने माँ और मातृभूमि पर कविता सुनाई,सुकून शिवपुरी ने एक ही राह के हम दोनों है हमसफ़र,एक ही साथ फिर हमको चलना पड़ा, मुवीन अहमद मुवीन ने प्यार की जिसमे धारा बहे, ऐसे दरिया बहा दीजिये,अशोक जी मोहिते ने राम से ही काव्य है राम से ही ज्ञान है,जो समझ ले राम को बस वही महान है,वैशाली पाल ने है काव्य साधना लीन प्रणाम स्वीकार करो,अर्पित हर शब्द शब्द को स्वीकार करो,विकास प्रचंड ने क्या कसूर था हम सबका जो इतनी जल्दी छोड़ गए,क्या भूल हुई हमसे जो हमसे नाता तोड़ गए,प्रमोद भारती ने हर छंद कविता के शब्द है अर्पित,अखिल तुम्हे आज सब कुछ है अर्पित व पिता की महिमा,घनश्याम योगी ने हर जगह श्रृंगार है हर जगह अंगार,हर जगह है अश्कमय हर जगह है प्यार सुनाई।इनके अतिरिक्त पदमा जी शर्मा,समीक्षा भार्गव,सलोनी रजक,कैलाश जैन,शुभाष जिया,आशीष पटेरिया, राजेन्द्र गुप्ता करेरा ने भी अपनी कविता सुनाई।और सर्वाधिक तालिया स्वर्गीय अखिल बंसल जी के पुत्र 7 वर्षीय अधिराज ने अपनी चिड़ियाघर कविता को सुना कर बटोरी,जिसमे सभी ने अखिल जी के नवरूप के ही दर्शन किये।कार्यक्रम में अखिल बंसल जी की स्मृति में सभी को कलम डॉ डी के बंसल जी द्वारा भेंट की गई।कार्यक्रम का सफल संचालन प्रदीप अवस्थी व आभार आशुतोष शर्मा ने माना।

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