21 तारीख को होने वाले चुनाव के 2 दिन पहले मुख्यमंत्री कमलनाथ तीसरी रैली कर झाबुआ का किला फतह करने की जद्दोजहद करेंगे। लेकिन इस पूरे चुनाव के दौरान पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की झाबुआ में गैरमौजूदगी ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
झाबुआ उपचुनाव: कांग्रेस में गुटबाजी चरम पर, दिग्विजय-कमलनाथ ने बनाई सिंधिया से दूरी!
भोपाल। मध्यप्रदेश में झाबुआ विधानसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव के लिए कांग्रेस ने अपनी पूरी ताकत झोंक रखी है। पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके कांतिलाल भूरिया इस सीट से चुनावी मैदान में है। इस सीट को जीतने के लिए मुख्यमंत्री कमलनाथ, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह सहित कमलनाथ सरकार के आधा दर्जन से ज्यादा मंत्री लगातार रैलिया करते दिखाई दे रहे हैं।
21 तारीख को होने वाले चुनाव के 2 दिन पहले मुख्यमंत्री कमलनाथ तीसरी रैली कर झाबुआ का किला फतह करने की जद्दोजहद करेंगे। लेकिन इस पूरे चुनाव के दौरान पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की झाबुआ में गैरमौजूदगी ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
प्रचार के 3 दिन बचे अब तक भाबुआ नहीं पहुंचे सिंधिया
दरअसल 19 तारीख को चुनाव की आखिरी तारीख है और बीते 5 दिनों से मध्यप्रदेश में होने के बावजूद ज्योतिरादित्य सिंधिया अब तक झाबुआ चुनाव प्रचार के लिए नहीं पहुंचे हैं। जबकि मुख्यमंत्री कमलनाथ, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और आधा दर्जन से ज्यादा मंत्री प्रचार की कमान संभाले हुए हैं।
ज्योतिरादित्य सिंधिया की अब तक प्रचार से दूरी पर जब दिग्विजय सिंह से सवाल किया तो दिग्विजय सिंह कहते नजर आए कि मेरे ख्याल से उन्हें आमंत्रण दिया गया होगा मेरी जानकारी में नहीं है लेकिन कमलनाथ ज्योतिरादित्य सिंधिया और हम सब कांग्रेस के साथ हैं।
भाजपा ने कसा कांग्रेस पर तंज
वही चुनाव प्रचार की अंतिम तारीख 19 तारीख से 3 दिन पहले तक भी ज्योतिरादित्य सिंधिया की गैरमौजूदगी ने भाजपा को कांग्रेस पर तंज कसने का मौका दे दिया है। बीजेपी के प्रदेश उपाध्यक्ष और विधायक रामेश्वर शर्मा ने इंडिया टीवी से बात करते हुए कहा कि ये सिंधिया के अपमान की पराकाष्ठा है। सिंधिया यह अपमान कैसे बर्दाश्त कर रहे हैं वही जानें। लेकिन इतने बड़े राजनीतिक इतिहास वाले सिंधिया परिवार में किसी भी सिंधिया की इतनी बेज्जती कभी नहीं हुई होगी, जितनी कमलनाथ और दिग्विजय सिंह की जुगलबंदी कर रही है। दिग्विजय सिंह और कमलनाथ ने सिंधिया और सिंधिया समर्थक मंत्रियों के लिए भी अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि इनके कोई काम ना किया जाए। यही वजह है कि सिंधिया पूरे चुनाव के दौरान झाबुआ प्रचार के लिए नहीं गए।
चुनाव प्रचार में साफ दिखाई दे रही गुटबाजी
कांग्रेस के लिए प्रतिष्ठा का मुद्दा बन चुके झाबुआ उपचुनाव में कांग्रेस की अंदरूनी गुटबाजी पूरे चुनाव के दौरान दिखाई दी। दरअसल इस उपचुनाव में प्रचार के लिए कांग्रेस ने जिन मंत्रियों और नेताओं को चुनाव प्रचार के लिए उतारा उन्हें मुख्यमंत्री कमलनाथ और दिग्विजय सिंह गुट का माना जाता हैं। पूरे प्रचार के दौरान ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनकी ब्रिगेड को चुनाव प्रचार से दूर रखा गया।
प्रचार के दौरान हावी रहा कमलनाथ-दिग्जविजय गुट
सबसे अहम जिम्मेदारी दिग्विजय सिंह के करीबी और झाबुआ के प्रभारी मंत्री सुरेंद्र सिंह बघेल को और कमलनाथ खेमे के मंत्री बाला बच्चन को आदिवासियों को साधने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। इसके अलावा दिग्विजय सिंह समर्थक कैबिनेट मंत्री पीसी शर्मा,जीतू पटवारी,सुरेंद्र सिंह बघेल,प्रियव्रत सिंह समेत हर्ष यादव विजयलक्ष्मी साधो सचिन यादव सज्जन वर्मा भी मोर्चा संभाले रहे थे।
सिंधिया खेमे के मंत्री भी रहे दूर
नामांकन के दौरान जहां सीएम कमलनाथ के साथ दिग्विजय सिंह के करीबी मंत्री विधायक मौजूद रहे। लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके खेमे के मंत्रियों की गैर मौजूदगी ने सवाल खड़े किए। सिंधिया खेमे के मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर, गोविंद सिंह राजपूत, इमरती देवी, प्रभु राम चौधरी और लाखन सिंह नामांकन के दौरान नहीं दिखाई दिए।