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सियासी दलों के मददगारों ने बिछाई चुनावी बिसात

चुनावी समर में जीत के लिए जुटे भाजपा-कांग्रेस के सहयोगी संगठन
सम्मेलन से लेकर सोशल मीडिया तक कर रहे काम

भोपाल. भाजपा-कांग्रेस विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुटी हैं। इनके सहयोगी संगठन छह माह पहले ही अपने-अपने वर्ग को साधने में जुट गए थे। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने अगस्त 2017 में अपने भोपाल दौरे के दौरान सभी मोर्चा-प्रकोष्ठों को चुनावी रणनीति के हिसाब से टारगेट दे दिया था। उधर, कांगे्रस की सहयोगी युवक कांग्रेस और किसान कांग्रेस भी चुनावी रणनीति से काम कर रही है। वहीं, राहुल गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद सेवादल भी तेजी से अपडेट हुआ है। भाजपा-कांग्रेस दोनों के सहयोगी संगठनों के प्रमुख भी चुनाव लडऩे की कवायद कर रहे हैं।

– किसकी क्या तैयारी
करीब ढाई करोड़ युवा मतदाता हैं प्रदेश में
भारतीय जनता युवा मोर्चा : चुनाव के लिए हर बूथ पर 11 युवाओं की टीम तैनात की। युवा संकल्प सम्मेलन आयोजित किए। दीनदयाल उपाध्याय सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता करके माहौल बनाया।
युवक कांग्रेस : यंग वोटरों में पकड़ बनाने के लिए युवा शक्ति अभियान चलाया। युवाओं को बेरोजगारी के मुद्दे पर भी साध रहा है।
– प्रदेश में करीब 2.40 करोड़ महिला वोटर हैं
भाजपा महिला मोर्चा : कमल शक्ति कार्यक्रम के जरिए महिलाओंं को जोड़ रहा है। हर बूथ पर पांच महिला कार्यकर्ताओं की अपनी टीम। महिला सम्मेलन और मिस सोशल प्रतियोगिता के जरिए सक्रियता बढ़ाई।
महिला कांग्रेस : प्रदेश में बढ़ते अपराध को आधार बनाकर महिलाओं की सुरक्षा को मुद्दा बना रही। नवरात्रि से अभियान शुरू करेगी। शक्तिपीठ तक जाएंगी महिलाएं। महंगाई को मुद्दा बनाकर घर-घर पहुंचने की तैयारी।
 
– 188 सीटें किसान बाहुल
भाजपा किसान मोर्चा : प्रदेश में किसान सम्मान यात्रा निकाली। उसके बाद किसान चौपालों का आयोजन किया। बलराम जयंती पर हर विधानसभा में किसानों को सम्मानित करके लुभाया।
किसान कांग्रेस : प्रदेश में किसान सम्मान यात्रा निकाली। सोशल मीडिया की अलग टीम खड़ी की। मालवा किसान नेता से केदार सिरोही को जोडऩे के बाद सक्रियता बढ़ी।
– 35 सीटें अजा वर्ग के लिए आरक्षित
भाजपा एससी मोर्चा – हर जिले में एससी सम्मेलन कराए। एससी बाहुल इलाकों में बस्ती प्रमुख तैनात किए। डेढ़ लाख कार्यकर्ता को आइटी-सोशल मीडिया का जिम्मा देने का दावा।
कांग्रेस एससी विभाग – हर जिले में टीम खड़ी की। एससी के बड़े नेताओं को मैदान में उतारा। प्रदेश के सभी 15 प्रतिशत एससी वोटरों को लुभाने के लिए काम कर रहा है।
– 47 सीटें अजजा के लिए आरक्षित
भाजपा एसटी मोर्चा – बैगा, सहरिया, भील जैसी जनजातियों के अलग सम्मेलन। आदिवासी सम्मेलनों का आयोजन। 22 प्रतिशत एसटी वोटर हैं।
आदिवासी कांग्रेस – आदिवासी सीटों पर सम्मेलन किए। कांतिलाल भूरिया, हिना कांवरे, फुंदेलाल मार्को जैसे नेताओं को दी जिम्मेदारी।
– आधी आबादी ओबीसी वर्ग से
भाजपा पिछड़ा वर्ग मोर्चा – अलग-अलग जातियों को जोडऩे अलग-अलग टीम बनाई। ओबीसी वर्ग के सम्मेलन किए।
कांग्रेस ओबीसी विभाग – ब्लॉक स्तर तक कार्यकारिणी बनाई। ओबीसी सम्मेलन आयोजित किए।
सेवादल – राहुल गांधी ने अध्यक्ष बनने के बाद सेवादल पर फोकस किया है। इसके बाद सेवादल में काफी बदलाव हुआ। मध्यप्रदेश में सेवादल उन सीटों पर मेहनत कर रहा है, जो कांग्रेस लगातार हारती आई है। सेवादल की यूनीफार्म भी बदली है। हर बूथ पर व्यवस्थाएं देखने के लिए पांच सेवादल कार्यकर्ता की टीम बनाई।
– संघ की रहेगी अपनी भूमिका
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ भले ही खुद को गैर राजनीतिक संगठन कहता हो, लेकिन वह भाजपा की राजनीति की दिशा तय करता है। संघ ने चुनाव के लिए जमीनी स्तर पर तैयारियां की हैं। भाजपा मेंं प्रदेश संगठन महामंत्री और संभागीय संगठन महामंत्री संघ के ही हैं। संघ के प्रचारकों की टीमें फीडबैक लेने और माहौल बनाने का काम कर रही हैं।

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