भोपाल। देशभर में आर्थिक मंदी के बीच विकास परियोजनाओं की गति बनाए रखने के लिए मध्यप्रदेश सरकार एक बार फिर एक हजार करोड़ रुपए का कर्ज लेगी। कर्ज लेने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक ने मंगलवार को निविदा बुलाई हैं। वर्ष 2019 में सरकार 15 हजार 600 करोड़ रुपए का कर्ज ले चुकी है। प्रदेश सरकार बेहतर वित्त प्रबंधन के चलते राज्य सकल घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) का साढ़े तीन फीसदी तक कर्ज ले सकती है।
वित्त विभाग ने सोमवार को भारतीय रिजर्व बैंक के माध्यम से एक हजार करोड़ रुपए कर्ज लेने की अधिसूचना जारी की है। यह राशि दस साल के लिए ली जाएगी। सूत्रों का कहना है कि प्रदेश सरकार केंद्र से मिलने वाली राशि की धीमी गति का असर विकास परियोजनाओं पर नहीं पड़ने देना चाहती है।
यही वजह है कि अक्टूबर को छोड़कर वर्ष 2019 में हर माह कर्ज लिया गया। वित्त विभाग के अधिकारियों का कहना है कि कर्ज लेना वित्तीय प्रबंधन का ही हिस्सा है। बेहतर वित्तीय प्रबंधन की वजह से प्रदेश को आधा प्रतिशत अधिक कर्ज लेने की छूट मिली हुई है। 15वें वित्त आयोग के सामने यह सीमा चार प्रतिशत करने की बात रखी गई है। प्रदेश के ऊपर मार्च 2019 की स्थिति में एक लाख 80 हजार करोड़ रुपए का कर्ज है, जो तय मानकों के भीतर है।
किससे कितना लिया है कर्ज
बाजार से- 1,04,715
बिजली सहित अन्य बांड से- 7,407
वित्तीय संस्थानों से कर्ज- 12,283
केंद्र सरकार से कर्ज व अग्रिम- 17,137
अन्य देनदारी- 15,747
राष्ट्रीय लघु बचत फंड से- 23,697
नोट- मार्च 2019 की स्थिति में, राशि करोड़ रुपए में
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