Police Job : पुलिस आरक्षक व उप निरीक्षकों की भर्ती प्रक्रिया में एजेंसी को लेकर भी असमंजस की स्थिति है।
भोपाल। मध्यप्रदेश में आरक्षण की वजह से एक तरफ जहां पदोन्न्तियां नहीं हो रही हैं, वहीं अब ओबीसी के लिए बढ़ाए गए व सामान्य वर्ग के गरीबों के लिए लागू किए गए आरक्षण के कारण पुलिस की भर्ती उलझ गई है। चुनावी वर्ष के चलते प्रदेश में पहले ही एक साल तक भर्ती नहीं हो पाई थी। अब इस साल आरक्षण के कारण पुलिस में भर्ती नहीं हो सकी है। इससे मप्र पुलिस में करीब 3200 सिपाही व 85 उप निरीक्षक, प्लाटून कमांडर व सूबेदारों के पद रिक्त हो गए हैं। जबकि मप्र लोक सेवा आयोग ने 22 डीएसपी सहित 330 पदों के लिए विज्ञापन जारी कर दिया है।
पुलिस में दो तरह से भर्ती होती हैं, जिनमें से एक सिपाही व उप निरीक्षक, प्लाटून कमांडर व सूबेदार की भर्ती पीएचक्यू की चयन-भर्ती शाखा करती है तो दूसरी प्रक्रिया मप्र लोक सेवा आयोग के माध्यम से होती है। लोक सेवा आयोग उप पुलिस अधीक्षकों की भर्ती करता है। पीएचक्यू के माध्यम से 2017 में आखिरी बार भर्ती हुई थी।
इस साल पुलिस मुख्यालय ओबीसी आरक्षण बढ़ाए जाने तथा सामान्य वर्ग के गरीबों के आरक्षण को लागू किए जाने के कारण गफलत में हैं। भर्ती के लिए पुरानी आरक्षण व्यवस्था के मुताबिक 50 फीसदीपदों को भरा जाए या 27 फीसदी ओबीसी, 10 फीसदी सामान्य गरीबों के आरक्षण को जोड़कर 73 फीसदी आरक्षण के हिसाब से पदों का विज्ञापन जारी किया जाए।
हाईकोर्ट में ओबीसी आरक्षण के खिलाफ याचिकाएं
मप्र में कमलनाथ सरकार ने अन्य पिछड़ा वर्ग का 13 फीसदी आरक्षण बढ़ाया है जो पहले 14 प्रतिशत था। इसी तरह केंद्र सरकार ने सामान्य वर्ग के गरीबों के लिए 10 फीसदी आरक्षण लागू किया है। इन्हें मिलाकर प्रदेश में 73 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था की गई है।
मप्र में ओबीसी आरक्षण के खिलाफ मार्च 2019 में पहली याचिका हाईकोर्ट में लगी थी और अब तक सात याचिकाएं दाखिल हो चुकी हैं। वहीं, सुप्रीम कोर्ट में आरक्षण को लेकर 35 याचिकाएं लगी हैं, जिन पर अंतिम सुनवाई जुलाई 2017 में हुई थी। इसके बाद इन याचिकाओं को सुनवाई के लिए लिस्ट ही नहीं किया गया।
वहीं, दूसरी तरफ मप्र लोक सेवा आयोग ने पुलिस के डीएसपी सहित नौ विभागों के लगभग 389 पदों के लिए विज्ञापन जारी कर दिया है। इसमें कुछ विभागों के पदों में पुरानी आरक्षण व्यवस्था के हिसाब से पदों की संख्या तय की है तो कुछ में इसे नजरअंदाज किया है। अधीनस्थ लेखा सेवाओं में सामान्य वर्ग के आरक्षण के मुताबिक विज्ञापन नहीं निकाला गया। इस बारे में लोक सेवा आयोग की सचिव रेणु पंत व उप सचिव कीर्ति खुरासिया से संपर्क करने का प्रयास किया गया, मगर उनसे बात नहीं हो सकी।
भर्ती एजेंसी भी तय नहीं
पुलिस आरक्षक व उप निरीक्षकों की भर्ती प्रक्रिया में एजेंसी को लेकर भी असमंजस की स्थिति है। व्यापमं घोटाले के बाद उसके माध्यम से कोई भर्ती नहीं कराने के सैद्धांतिक फैसले के बाद अभी सिपाही या उप निरीक्षक भर्ती प्रक्रिया पर फैसला होना बाकी है। हालांकि इस बारे में अधिकारी कहते हैं कि व्यापमं के पहले पुलिस की भर्ती जिस तरह होती थी, उसी प्रक्रिया को अपनाया जा सकता है।
अदालत में मामला होने से भर्ती नहीं
– ओबीसी आरक्षण बढ़ाए जाने तथा सामान्य वर्ग के गरीबों के आरक्षण में से किस का पालन करें, इस पर फैसला होना है। साथ ही ओबीसी आरक्षण को लेकर हाईकोर्ट में याचिकाएं लगी हैं, जिससे भर्ती प्रक्रिया शुरू नहीं की गई है। – केएन तिवारी, विशेष पुलिस महानिदेशक, चयन-भर्ती पीएचक्यू