भोपाल। प्रदेश सरकार के दूसरे बजट की कमान मुख्यमंत्री कमलनाथ अपने हाथ में ले सकते हैं। वे बजट को लेकर फरवरी के पहले पखवाड़े में मंत्रियों, अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव और विभागाध्यक्षों के साथ बैठक कर सकते हैं। उनका मानना है कि बजट में प्रस्तावों को अभी परंपरागत तरीके से शामिल कर लिया जाता है, जबकि अब दौर बदल चुका है। वित्तीय संसाधानों को लेकर नए-नए मॉडल अपनाए जाने लगे हैं, इनका इस्तेमाल किया जाना चाहिए। उधर, वित्त मंत्री तरुण भनोत भी फरवरी के पहले सप्ताह से बैठकों का सिलसिला शुरू करेंगे। इस बार बजट में फोकस राजस्व आय बढ़ाने पर रहेगा।
परंपरागत तरीके पसंद नहीं
सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री मौजूदा वित्तीय वर्ष के पहले अनुपूरक बजट के समय जब अधिकारियों से रूबरू हुए थे, तभी उन्होंने इशारा किया था कि बजट परंपरागत तौर-तरीकों से अलग हटकर बनाया जाए। इसके बाद भी विभागों की ओर से जिस तरह वर्ष 2020-21 के बजट में शामिल करने प्रस्ताव भेजे जा रहे हैं, उनसे मुख्यमंत्री संतुष्ट नहीं है।
यही वजह है कि वित्त विभाग ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि उन गैर जरूरी योजनाओं को मिलाने या बंद करने पर विचार करें, जिनमें हितग्राहियों की संख्या बेहद सीमित है और सालों से चल रही हैं। यह भी देखा जाए कि योजनाएं अब प्रासंगिक रह गई हैं या नहीं। ऐसी योजनाएं, जिनमें दूसरी योजनाओं के हितग्राहियों के होने की संभावना हो, उन्हें भी छांटकर नीतिगत निर्णय लिए जाएं।
दरअसल, मुख्यमंत्री जन कल्याण योजना ‘संबल”(नया सवेरा) में कई ऐसे मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें हितग्राही दूसरी योजनाओं का लाभ भी ले रहे हैं। अपात्रों की बड़ी संख्या भी सामने आई है। इससे सरकारी धन की बर्बादी होती है और मैदानी अमले को अनियमितता करने का मौका भी मिलता है। यही वजह है कि योजना में कई संशोधन भी किए जा चुके हैं।
हाई एन्युटी जैसे मॉडल पर होगा फोकस
सौर ऊर्जा की परियोजना में सरकार हाई एन्युटी मॉडल लागू करना चाहती है। इसको लेकर जल्द ही कैबिनेट में प्रस्ताव भी रखा जाएगा। बताया जा रहा है कि निवेशक लागत लगाने के लिए तैयार हैं। उन्हें कुछ सुविधाएं और गारंटी चाहिए, जो सरकार दे सकती है। मुख्यमंत्री इसी तरह के मॉडल को आगे बढ़ाने की बात कर रहे हैं।
मीडिया के चुनिंदा लोगों को नववर्ष के उपलक्ष्य में दिए भोज पर उन्होंने इसके संकेत भी दिए हैं कि वे जल्द ही अधिकारियों के साथ बैठक कर बजट में नई सोच लाने के मुद्दे पर बात करेंगे। इसमें यह बात भी रखी जाएगी कि बजट इस तरह हो, जिससे राशि जाम न पड़ी रहे। कार्ययोजना समयसीमा को मद्देनजर रखते हुए बनाई जाए।
अपर मुख्य सचिव कर रहे हैं बैठकें
उधर, अपर मुख्य सचिव अनुराग जैन, प्रमुख सचिव मनोज गोविल विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बजट प्रस्तावों पर चर्चा कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि केंद्र सरकार के रुख को देखते हुए विभागों को इस बार बजट मौजूदा वित्तीय वर्ष के मुकाबले कुछ कम मिलेगा। किसान कर्जमाफी वर्ष 2020-21 में पूरा करने का लक्ष्य है तो शहरी विकास की गति को बरकरार रखने वित्तीय इंतजाम दूसरी जगह कटौती करके किए जाएंगे।