सरकार मौजूदा लॉकडाउन को 15 अप्रैल से आंशिक रूप से ही हटाने पर विचार कर रही है और इसके ठीक एक महीने बाद एक और लॉकडाउन लगाया जाएगा
14 अप्रैल को मौजूदा लॉकडाउन समाप्त होने के बाद सरकार 15 मई से देशभर में एक दूसरे लॉकडाउन पर विचार कर रही है.
3 अप्रैल को केंद्रीय रक्षा मंत्री की अध्यक्षता में हुई 16-सदस्यीय मंत्री समूह (जीओएम) की बैठक, जिसमें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी शामिल थे, में जिन महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा हुई उनमें लॉकडाउन को आगे बढाए जाने की बात भी शामिल थी.
सरकार का मानना है कि महामारी से निपटने के लिए जितने गहन देखभाल उपकरणों की आवश्यकता होगी, उसका केवल 40 प्रतिशत ही उपलब्ध है. इसलिए संक्रमण के चेन को तोड़ने के लिए एक दूसरा लॉकडाउन जरूरी है. इससे उम्मीद है कि महामारी के हमले को तब तक के लिए टाला जा सकता है जब तक कि स्वास्थ्य संबंधी बुनियादी ढांचा संक्रमण के मामलों में आने वाली वृद्धि को संभालने में पूरी तरह समर्थ न हो जाए.
भारत में 5 अप्रैल को कोविड-19 के 505 मामले सामने आए और यह किसी एक दिन की सर्वाधिक वृद्धि रही. भारत 83 मौतों के साथ, 5 अप्रैल को संक्रमण मामलों की कुल संख्या 3,577 हो गई.
15 अप्रैल को केंद्र सरकार के प्रतिबंधों को सशर्त उठाने की घोषणा की संभावना है. आवश्यक सेवाओं की डिलीवरी जारी रहेगी, लेकिन लोगों के एक जगह पर जुटान पर देशव्यापी प्रतिबंध रहेगा; सिनेमा हॉल, फूड कोर्ट, रेस्तरां और धार्मिक स्थान भी बंद रह सकते हैं. मॉल खुले रहेंगे, लेकिन केवल अनिवार्य वस्तुएं बेचने के लिए. हवाई यात्रा सेवाएं फिर से शुरू हो सकती है, लेकिन विदेश जाने या विदेश से आने की अनुमति केवल विशेष परिस्थितियों में मिलेगी.
अंतर-राज्यीय यात्राओं से बचने के लिए विशेष सलाह जारी की जाएगी. कोविड-19 के प्रकोप से सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों में साप्ताहिक बाजारों पर प्रतिबंध लागू रहेगा.
हालांकि इनमें से किसी बी विषय पर अभी तक कोई निर्णय तो नहीं हुआ है, लेकिन जीओएम की चर्चाएं सरकार की आगे की तैयारियों को इंगित करती हैं. यह स्पष्ट है कि फिलहाल, सरकार के पास यह दावा करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं है कि 15 अप्रैल से जीवन सामान्य हो जाएगा. 15 मई के लॉकडाउन की अवधि कितनी होगी इसका निर्धारण तब तक संक्रमण के मामलों की संख्या के आधार पर होगा.
सभी मंत्री, 3 अप्रैल की बैठक में एक-दूसरे से सुरक्षित दूरी पर बैठे थे और एक मंत्री ने यहां तक सुझाव दिया – “अगर स्थिति में सुधार नहीं होता है, तो आगे की बैठकें घर से वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से आयोजित की जा सकती हैं.”
जिन कार्यालयों में घर से काम संभव है, उन्हें इस व्यवस्था को एक और महीने के लिए बढाने का अनुरोध किया जाएगा. सरकार की एक महत्वपूर्ण चिंता अस्पतालों को भीड़ और दैनिक रोगियों की आवाजाही से मुक्त रखने की है. इसलिए, आम सर्दी, जुकाम, बुखार या अन्य सामान्य बीमारियों से पीड़ित लोगों के लिए डॉक्टर-ऑन-कॉल सेवाओं पर विचार किया जाएगा. सरकारी और निजी अस्पतालों के बीच समन्वय बनाया जाएगा.
स्कूलों और कॉलेजों में दाखिला, कक्षाएं और परीक्षाएं ऑनलाइन आयोजित की जाएंगी. ट्रेन सेवाओं को फिर से शुरू किया जा सकता है, लेकिन केवल आवश्यक यात्रा के लिए.
राज्य सरकारों को केंद्र सरकार के मॉडल का पालन करना होगा लेकिन वे अपनी जरूरतों के मुताबिक कुछ बदलाव कर सकते हैं.
भारत का सबसे अधिक आबादी वाला राज्य उत्तर प्रदेश, लॉकडाउन को कई चरणों में हटाने की योजना बना रहा है. योगी आदित्यनाथ सरकार उन जिलों में प्रतिबंधों को हटाने पर विचार कर रही है, जहां कोविड-19 संक्रमण के सकारात्मक मामले की सूचना नहीं आई है. यह छूट बाद के दिनों में धीरे-धीरे अन्य जिलों तक बढ़ाई जाएगी.
5 अप्रैल को अपने आवास से अपने मंत्रियों के साथ एक वीडियो कॉन्फ्रेंस में मुख्यमंत्री योगी ने सांसदों और मंत्रियों से लॉकडाउन के बाद की रणनीति बनाने के लिए सुझाव मांगे. उन्होंने आशंका जताई कि लॉकडाउन खत्म होने के बाद सडकों पर भीड़-भाड़ बहुत बढ़ जाएगी इससे संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए अब तक उठाए गए सभी प्रयास व्यर्थ जा सकते हैं.
उन्होंने कहा कि सरकार पहले चरण में छूट पर फैसला लेगी और जनप्रतिनिधियों के सुझाव के बाद ही संगठनों और संस्थानों को छूट दी जाएगी. सीएम ने कहा कि उनकी सरकार चौकन्नी रहेगी और स्थिति पर लगातार नजर रखेगी. उन्होंने कहा कि सामाजिक दूरी के बारे में जनता को जागरूक करना और सार्वजनिक स्थानों पर इसे लागू करना उनकी सरकार की पहली प्राथमिकता होगी.
इस बीच, दिल्ली सरकार ने मॉल, मल्टीप्लेक्स और चांदनी चौक, लाजपत नगर और सरोजनी नगर जैसे भीड़ भरे बाजार बंद रखने का फैसला किया है. केवल आवश्यक सामान बेचने वाली दुकानों को खुला रहने दिया जाएगा. किसी भी पार्टी या सभा की अनुमति नहीं दी जाएगी. विवाह, जन्मदिन या किसी भी प्रकार के उत्सव की अनुमति नहीं होगी. स्कूल बंद रहेंगे, वर्तमान में ऑनलाइन कक्षाएं चलती रहेंगी.
यदि हवाई अड्डे को खोला जाता है, तो परिसर से बाहर निकलने वाले प्रत्येक व्यक्ति की पूरी स्क्रीनिंग की जाएगी. लोगों को मास्क के बिना सार्वजनिक रूप से बाहर आने की अनुमति नहीं होगी. मास्क या तो मेडिकल स्टोर से खरीदा गया हो सकता है या फिर घर पर निर्मित हो सकता है या फिर यह तह किया हुआ स्कार्फ या कोई अन्य कपड़ा भी हो सकता है जिससे मुंह को अच्छी तरह ढंका जा सके.
कार्यालयों को कामकाज फिर से शुरू करने की अनुमति दी जाएगी, लेकिन उन्हें दफ्तरों में कर्मचारियों की संख्या को कम से रखने का प्रयास करना होगा. कम से कम आधे कर्मचारी घर से काम जारी रख सकते हैं. लॉकडाउन की समाप्ति से पहले दिल्ली की सैनिटाइजेशन (स्वच्छता) योजना भी लगभग तैयार है. निज़ामुद्दीन और दिलशाद गार्डन जैसे कोविड-19 के हॉटस्पॉट में लॉकडाउन जारी रहेगा.
आईसीएमआर ने केंद्र को हॉटस्पॉट क्षेत्रों में संक्रमण की तेजी से जांच कराने की सलाह दी है. यह तय किया जाना बाकी है कि जांच उस क्षेत्र के प्रत्येक व्यक्ति की की जाएगी या फिर रैंडम आधार पर होगा; केंद्र से इसको लेकर एक दिशा-निर्देश का इंतजार है.
दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन का कहना है कि दिल्ली के अस्पताल पहले से ही पूरी तरह से तैयार हैं, एक विशिष्ट योजना पर काम किया जा रहा है. सभी निजी अस्पतालों में एक अलग फ्लू वार्ड बनाने जैसे मूलभूत मुद्दों पर बातचीत हुई है. किसी भी तरह के फ्लू के मरीज और उसकी देखभाल करने वालों के प्रवेश और निकास के लिए एक अलग गेट होगा.
हालांकि कुछ अस्पतालों में पहले से ही ऐसी व्यवस्था है, लेकिन लॉकडाउन हटने से पहले इसे अन्य अस्पतालों में सुनिश्चित करना होगा. फ्लू के मरीजों को देखने वाले डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ ओपीडी या अन्य वार्डों में नहीं जाएंगे. उन्हें पूर्ण सुरक्षा उपकरण प्रदान करना प्राथमिकता बनी रहेगी. कुछ निजी अस्पताल ऑनलाइन परामर्श केंद्र चला रहे हैं और उन्होंने मोबाइल ऐप भी जारी किए हैं जिनका उपयोग दवाओं के वितरण के लिए किया जा सकता है. जांच के नमूने घर से भी एकत्र किए जा सकते हैं. जिन क्लीनिक में इस तरह की सुविधाएं नहीं है उन्हें इसकी व्यवस्था के लिए काम करने के निर्देश जारी करने के लिए बातचीत चल रही है