भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की विधायकों को चेतावनी के सालभर बाद भी भारतीय जनता पार्टी के 80 विधायक ऐसे हैं, जिनके परफॉरमेंस में कोई खास सुधार नहीं आया। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी इन विधायकों से नवंबर में वन-टू-वन बात कर अपना परफारमेंस सुधारने की आखिरी मोहलत दी थी।
चौहान ने सभी कमजोर विधायकों को छह महीने का वक्त जनता और कार्यकर्ताओं का भरोसा जीतने के लिए दिया था। सीएम ने उनके इलाके की सर्वे रिपोर्ट भी बताई थी। इसके बावजूद कोई खास बदलाव नहीं हुआ। ये हालात भाजपा की रिपोर्ट में ही सामने आए हैं। सीएम के स्तर पर भी तीन सर्वे हो चुके हैं। चौथे की रिपोर्ट आने पर इनके टिकट पर निर्णय होगा। वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि जिन विधायकों की जमीनी रिपोर्ट ठीक नहीं है, उनके टिकट पर पार्टी प्रतिकूल निर्णय ले सकती है।
सीएम ने विधायकों को बताया था कि किस विधायक ने अपने-अपने क्षेत्र में दौरे कम किए, आम लोगों से संपर्क बनाकर नहीं रखा। कई गांव में तो वे लंबे समय से गए ही नहीं। उनके इलाके में कांग्रेस की स्थिति क्या है। दलित वोट बैंक विधायक से कितना नाराज है। हर वर्ग से लेकर वार्ड-मोहल्ले और गांव में विधायक के कामकाज, कार्यकर्ताओं के साथ समन्वय सहित आम जनता की नजर में उनकी छवि की रिपोर्ट से अवगत कराया था।
संघ और संगठन मंत्री के पास भी फीडबैक ठीक नहीं
चुनाव में प्रत्याशी तय करने की कवायद राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ पहले ही शुरू कर चुका है। संघ ने अपने विभाग प्रचारकों के माध्यम से संभावित प्रत्याशियों के नाम बुलाए हैं। सूत्रों के मुताबिक इनमें भी कई विधायकों के नाम काटे गए हैं। इसके अलावा संभागीय संगठन मंत्री भी अपने स्तर पर विधायकों के प्रति क्षेत्र में मिजाज समझने में लगे हुए हैं। इसमें भी चार दर्जन से ज्यादा विधायकों का फीडबैक ठीक नहीं आया है।
मुख्यमंत्री काम पर नजर रखे हुए हैं
सभी विधायकों के कामकाज पर मुख्यमंत्री नजर रखे हुए हैं। संगठन भी निरंतर विधायकों के कामकाज का आकलन करता रहता है। चुनाव का समय है, इसलिए हम प्रक्रिया साझा नहीं कर सकते हैं। - डॉ. विनय सहस्त्रबुद्धे, प्रदेश प्रभारी, मप्र भाजपा
