भोपाल। अगर आप के ऊपर बिजली विभाग का बकाया है, तो यह खबर आपके लिए ही है। बड़ी खबर है कि मध्यप्रदेश के डेढ़ लाख बिजली चोरों के ऊपर दर्ज केस वापस लिए जा रहे हैं, इतना ही नहीं उनके बकाया बिल भी माफ किए जा रहे हैं। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि इन बकाया राशियों का भुगतान जनता से वसूले टैक्स के माध्यम से किया जाएगा। यानि एक तरफ जहां सरकार बिजली चोरी को रोकने की कोशिशों की बात करती नजर आ रही थी, वहीं अब चोरी रोकना तो दूर, पकड़े गए चोरों को माफी का तोहफा देकर टैक्सपेयर्स के पैसों का इस तरह इस्तेमाल करेगी।
आपको बता दें कि विद्यत अधिनियम 2003 के मुताबिक धारा 126 में बिजली का अप्राधिकृत उपयोग करने, धारा 135 में बिजली चोरी और धारा 138 में मीटर के साथ छेड़छाड़ के मामले दर्ज किए जाते हैं। धारा 126 और 135 में पहली बार पकड़े जाने पर जुर्माना लगाकर छोड़ दिया जाता है, वहीं दूसरी बार ऐसा करने पर गिरफ्तार कर 6 से 8 गुना जुर्माना लगाया जाता है। वहीं धारा 138 यानि मीटर से छेड़छाड़ करने के मामले में जुर्माने के साथ गिरफ्तारी का प्रावधान है। इसमें सरचार्च के साथ चोरी की गई राशि जमा करने और तीन साल तक की कैद का प्रावधान है। तीनों ही धाराओं में संबंधित आरोपी के खिलाफ स्पेशल कोर्ट में प्रकरण चलाया जाता है।
बीती 30 जुलाई को इस संबंध में ऊर्जा विभाग ने आदेश जारी कर इस बात का ऐलान कर दिया कि विशेष न्यायालयों में संबंधित धाराओं के तहत चलने वाले सभी मामले बिजली कंपनियां वापस ले लेंगी। प्राथमिक जानकारी के मुताबिक सिर्फ इन्हीं तीन धाराओं के अंतर्गत प्रदेश के डेढ़ लाख लोगों के खिलाफ मामले विशेष न्यायालयों में प्रक्रियाधीन हैं। लगभग आधे मामले प्री-लिटिगेशन पर हैं, जबकि आधे मामले कोर्ट में विचाराधीन हैं।
मध्यप्रदेश में विद्युत वितरण का जिम्मा तीन कम्पनियों के पास है। ये मध्यप्रदेश पूर्व, पश्चिम और मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कम्पनियां इस कार्य को कर रही हैं। इन कम्पनियों को ऊर्जा विभाग की ओर से सभी प्रकरणों की वापसी की प्रक्रिया शुरू करने के आदेश जारी कर दिए हैं। कम्पनियों को विद्युत अधिनियम की विभिन्न धारों में दर्ज केस वापिस लेने को कहा गया है। जिसके बाद ये कम्पनियां तमाम केस वापस लेने के तैयारी कर रही हैँ।