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सशर्त पदोन्नति की अनुमति के लिए फिर कोर्ट जाएगी मध्‍यप्रदेश सरकार

भोपाल। पदोन्नति में आरक्षण के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के यथास्थिति बहाल रखने के निर्देश को स्थगन में बदलवाने के लिए सरकार फिर आवेदन दाखिल करेगी। यदि कोर्ट से मंजूरी मिल जाती है तो फिर सशर्त पदोन्‍नति दी जाएगी।
यह बात सामान्य प्रशासन मंत्री डॉ. गोविंद सिंह ने सरकारी नौकरियों में अधिकतम आयु सीमा के मामले पर बहस के दौरान कही। उन्होंने कहा कि देशभर के आरक्षण से जुड़े मामलों को सुप्रीम कोर्ट ने एक में मिला दिया है। हम सशर्त पदोन्‍नति की अनुमति मांगने के लिए कोर्ट जाएंगे। इसके लिए अफसरों को निर्देश दिए जा चुके हैं।
नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने युवाओं को अधिक से अधिक रोजगार दिलाने के सरकार के कदमों को जब पाखंड बताया तो डॉ. सिंह ने कहा कि आपकी सरकार के समय का मामला है। सुप्रीम कोर्ट ने यथास्थिति बरकरार रखने के निर्देश दिए हैं। उल्लेखनीय है कि हाई कोर्ट जबलपुर ने पदोन्‍नति में आरक्षण नियम को असंवैधानिक बताकर निरस्त कर दिया है। इसके खिलाफ तत्कालीन शिवराज सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ याचिका लगाई पर अभी तक कोई हल नहीं निकाला है।
उधर, सामान्य प्रशासन विभाग ने सुप्रीम कोर्ट में आवेदन लगाकर यथास्थिति को स्थगन में तब्दील करने औेर सशर्त पदोन्‍नति देने की अनुमति मांगने का प्रस्ताव भी तैयार किया था। इसे मुख्यमंत्री सचिवालय भेजा गया पर शिवराज सरकार में मंथन ही चलता रहा और फिर विधानसभा व लोकसभा चुनाव की आचार संहिता आ गई। सूत्रों के मुताबिक, हर साल 10 से 12 हजार अधिकारी-कर्मचारी बिना पदोन्नति ही सेवानिवृत्त हो रहे हैं।

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