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हमें कोई आशीर्वाद नही चाहिए, हम आशीर्वाद मांगने नही जाएंगे: कमलनाथ

भोपाल। ANI रिपोर्टर संदीप सिंह के अनुसार मध्यप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने बयान दिया है कि हमें कोई आशीर्वाद नही चाहिए, हम आशीर्वाद मांगने नही जाएंगे, हमारा विश्वास है कि जनता खुद आएगी हमें आशीर्वाद देने। सोशल मीडिया पर कमलनाथ के इस बयान को अतिआत्मविश्वास और कांग्रेस के लिए नुक्सानदायक बताया जा रहा है। बता दें कि इन दिनों सीएम शिवराज सिंह चौहान जन आशीर्वाद यात्रा पर हैं और मप्र की सभी 230 विधानसभाओं में जा रहे हैं जबकि कमलनाथ भोपाल के होटलों में विभिन्न वर्गों के प्रतिनिधियों को बुलाकर लक्झरी कांफ्रेंस करने में व्यस्त हैं। 

कमलनाथ छिंदवाड़ा फोविया से ग्रस्त हैं
भारतीय जनता पार्टी के मुख्य प्रदेश प्रवक्ता डॉ. दीपक विजयवर्गीय ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष श्री कमलनाथ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता है और एक वरिष्ठ नेता से इतनी संकीर्ण सोच की अपेक्षा नहीं थी। डॉ. दीपक विजयवर्गीय ने कहा कि श्री कमलनाथ दशकों तक केंद्रीय मंत्री मंडल में मध्यप्रदेश का प्रतिनिधित्व भी करते रहे हैं। यदि इस दौरान उन्होंने विकास के लिए सिर्फ अपने संसदीय क्षेत्र को चुना तो यह संवैधानिक गैर जिम्मेदारी ही कही जायेगी। मंत्री जब शपथ लेता है तो सभी क्षेत्रों पर समभाव रखने की प्रतिबद्धता जाहिर करता है लेकिन बार-बार छिंदवाड़ा के विकास का दंभ लोकतांत्रिक अवधारणा के खिलाफ है। श्री कमलनाथ छिंदवाड़ा फोविया से ग्रस्त हैं और उन्हें मध्यप्रदेश के पचास जिले से कोई मतलब नहीं है, यह प्रदेश के साढ़े सात करोड़ जनता का अपमान है।
पर्यावरण मंत्री थे तब अपने निजी टूरिस्ट रिसार्ट के लिए नदी मोड़ दी थी
उन्होंने कहा कि सही बात तो यह है कि कमनाथ छिंदवाड़ा तक सीमित रहे हैं इसलिए उन्हें प्रदेश के अन्य जिलों, ग्रामीण अंचल की जानकारी नहीं है। वे श्योपुर से शहडोल तक जाये तो उन्हें छिंदवाड़ा से उत्कृष्ट सड़कें, पुल-पुलिया अधोसंरचना नजर आयेगी लेकिन जिस तरह पर्यावरण मंत्री रहते उनकी चिंता हरियाणा के टूरिस्ट रिसार्ट तक सीमित हो गई थी और उन्होंने नदी की धारा मोड़ने में संकोच नहीं किया था। वे आज छिंदवाड़ा की ही बार-बार बात करते हैं।
शिवराज सिंह के लिए सभी 51 जिले एक समान हैं
डॉ. विजयवर्गीय ने कहा कि उन्हें प्रदेश के सभी 51 जिलों की बात करके कांग्रेस की विस्तृत सोच का दर्शन कराना चाहिए। जहां तक मुख्यमंत्री के छिंदवाड़ा प्रवास का सवाल है यह आकस्मिक नतीजे जनता के प्रथम सेवक के रूप में जहां जनता चाहेगी मुख्यमंत्री जाकर जनता से संवाद कर लोकतंत्र को सार्थक बनाएंगे। मुख्यमंत्री के लिए साढ़े सात करोड़ जनता और 51 जिले सभी समान है। यह भारतीय लोकतंत्र का संघवाद है।

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