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पुलिस को नहीं मिलेगा न्यायिक अधिकार, हर जिले में तैनात होंगे दांडिक अधिकारी

भोपाल। मध्यप्रदेश में एक बार फिर आईपीएस पर आईएएस लॉबी भारी पड़ गई। पुलिस कमिश्नर प्रणाली की तेज होती मांग से अपने स्र्तबे में कमी होते देख आईएएस अफसरों ने इसका तोड़ निकाल लिया है। इसके तहत अब हर जिले में एक दांडिक शाखा बनाई जाएगी। इसमें राज्य प्रशासनिक सेवा के अफसर को बतौर दांडिक अधिकारी तैनात किया जाएगा। इन्हें जिले में कलेक्टर चाहकर भी दूसरा कोई काम नहीं सौंप सकेंगे। ये दांडिक अधिकारी सिर्फ कानून व्यवस्था और दंड प्रक्रिया संहिता के अधीन कार्यपालिक दंडाधिकारियों के कामकाज की नियमित देखरेख और समीक्षा करेगा।
पुलिस कमिश्नर प्रणाली के विकल्प के इस मसौदे पर सोमवार को प्रस्तावित कैबिनेट में फैसला होगा। प्रदेश में बिगड़ती कानून व्यवस्था पर लगाम लगाने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पुलिस कमिश्नर प्रणाली पर विचार की घोषणा की थी। खस पर आईएएस और आईपीएस अफसरों के बीच स्र्तबे को लेकर खींचतान शुरू हो गई थी। आईपीएस अफसर भी न्यायिक अधिकार प्राप्त करने लामबंद भी हो गए थे। तब आईएएस अफसरों ने चुप्पी साध ली और इसका तोड़ खोजने में जुट गए।
करीब एक माह से जिलों में एक ऐसी व्यवस्था बनाने की तैयारी चल रही थी, जिससे कलेक्टर या अन्य कार्यपालक अधिकारियों के कार्यालयों में लंबे समय तक लंबित रहने वाले मामलों को तेजी से निपटाया जा सके। इसके मद्देनजर राजस्व विभाग ने सभी 51 जिलों में दांडिक कार्य शाखा, प्रभारी अधिकारी (दांडिक अधिकारी) सहित अन्य स्टाफ के लिए पद निर्माण का प्रस्ताव तैयार किया है।
ये बनाया आधार : राजस्व विभाग का कहना है जिला प्रशासन और पुलिस के बीच समन्वय, आपराधिक प्रकरणों की समयबद्ध सुनवाई और तेजी से निराकरण के लिए समन्वय बनाना बेहद जरूरी है। कलेक्टर, अपर कलेक्टर, डिप्टी कलेक्टर्स, तहसीलदार और नायब तहसीलदारों को दांडिक शक्तियां दी गई हैं। इनके पास राजस्व प्रबंध्ान, शिष्टाचार, विभागीय समन्वय, विकास प्रशासन, योजनाओं का क्रियान्वयन और जनशिकायत निवारण सहित ढेरों काम होते हैं।
स्टाफ की कमी और काम की अधिकता के कारण दंडाधिकारी के तौर पर प्रचलित प्रकरणों के निराकरण में परेशानी होती है। जिले में आपराधिक प्रकरणों की समीक्षा के लिए कोई संस्थागत व्यवस्था भी नहीं है। इसके मद्देनजर कलेक्टर कार्यालय में आपराधिक प्रकरणों की समीक्षा के लिए एक संस्थागत व्यवस्था बनाई जानी चाहिए, जो सिर्फ एक ही काम करेगी। 51 जिलों में प्रभारी अधिकारी के पद बनाए जाएंगे। इसके अलावा 51 सहायक ग्रेड 3 और इतने ही भृत्य के पद नए बनाए जाएंगे।
वित्त विकास निगम लेगा सौ करोड़ का कर्ज
मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में मंत्रालय में कैबिनेट बैठक होगी। इसमें वित्त विकास निगम को सौ करोड़ रुपए का कर्ज लेने की मंजूरी मिल सकती है। इसके लिए सरकार अपनी गारंटी देगी। वहीं, सेवानिवृत्त आईएएस अफसर अजातशत्रु श्रीवास्तव को संविदा नियुक्ति देने के लिए मुख्यमंत्री सचिवालय में ओएसडी का एक पद बनाया जाएगा। मौजूदा विशेष कर्त्तव्यवस्थ अधिकारी अरुण कुमार भट्ट की संविदा अवधि में वृद्धि की जाएगी।
कैबिनेट में 30 से ज्यादा प्रस्तावों पर विचार किया जाएगा। सागर के रेहली में उद्यानिकी और खुरई में कृषि कॉलेज खोलने, पेट्रोल और पेट्रोलियम उत्पाद में मिलाने के लिए प्रयोग होने वाले डिनेचर्ड स्प्रिट पर फीस ड्यूटी और नियंत्रण को समाप्त करने, मुख्य नगर पालिका अधिकारी श्रेणी ‘ग” के लिए क्रमोन्नत वेतनमान तय करने, वरिष्ठ पत्रकारों को दी जाने वाली श्रृद्धा निधि बढ़ाने और आयु सीमा 62 से घटाकर 60 साल करने और पत्रकार बीमा योजना में गैर अधिमान्यता प्राप्त पत्रकारों को शामिल करने, किशोर बालिका योजना पूरे प्रदेश में लागू करने सहित अन्य मुद्दों पर चर्चा कर फैसला लिया जा सकता है।
ये करेंगे दांडिक अधिकारी
– दंड प्रक्रिया संहिता व अन्य अपराध विधियों, जिनमें कार्यपालिक दंडाधिकारी की भूमिका होती है, नियमित समीक्षा करेंगे।
– पंजीकृत व निराकृत प्रकरणों का डाटा बेस तैयार कर विश्लेषण करके कलेक्टर के सामने रखेंगे।
– कार्यपालिक दंडाधिकारियों और पुलिस प्रशासन के बीच संवाद, संपर्क और समन्वय बनाना।
– अदालतों में चल रहे प्रकरणों को लेकर संयुक्त आयुक्त लिटिगेशन कार्यालय से समन्वय करना।
– प्रतिबंधात्मक कार्रवाइयों के प्रकरण के निराकरण में देरी पर समाधान की कोशिश करना।
– गंभीर अपराधों के लेकर जानकारी तैयार करना।

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