आरोपी द्वारा 05 एकड 64 डिस्मिल कृषि भूमि फर्जी मुक्तारनामे के आधार पर क्रय की गयी
54 एकड आवासीय भूमि क्रय कर 1500 लोगो को किया गया विक्रय
आज दिनांक को माननीय न्यायालय श्री राकेश शर्मा प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश के न्यायालय में आरोपी कर्नल भूपेन्द्र सिंह, अध्यक्ष तिलक सहकारी गृह निर्माण संस्था व अन्य द्वारा धारा 439 द.प्र.सं. के तहत जमानत प्राप्त करने हेतु आवेदन प्रस्तुत किया गया और कहा कि कि आरोपी बीमार है, उसके द्वारा नियमो का पालन किया गया है। उसे झूठा फंसाया गया है, उसकी अपराध में कोई संलिप्तता नही है , जिसमें उपस्थिति विशेष लोक अभियोजक श्री अमित राय द्वारा यह व्यक्त किया गया कि आरोपी द्वारा अन्य आरोपी शरीफ खान से मिलकर फर्जी मुक्तारनामा बनावाकर क्रय विक्रय किया गया तथा अभी विवेचना के क्रम में पंजीयक कार्यालय के कथन लिये जाने शेष है। आरोपी द्वारा गम्भीर अपराध कारित किया गया है। आरोपी का जमानत का लाभ दिया जाना उचित नही है ,उक्त तर्को से सहमत होते हुए माननीय न्यायालय द्वारा आरोपी की जमानत निरस्त कर दी गयी।
मीडिया सेल प्रभारी मनोज त्रिपाठी ने बताया कि ग्राम सिंगार चोली भोपाल स्थित कुल रकवा 93.47 एकड कुल 07 खातेदार मो. अयूब, मो. याकुब, हालिफा सुल्तान , आसंमा सुल्तान , सिंकदर खां, कमर खां व अन्वर खां हिस्सेदार बने। भूमि का बंटवारा नही हुआ था। इस भूमि में कुल 54 एकड आवासीय भूमि तथा 39 एकड कृषि भूमि थी। दिनांक 17.01.1989 तथा 08.08.1989 के मुक्तारनामे के आधार पर मुक्तारग्रहिता मो. शरीफ द्वारा 12 रजिस्ट्रेड विक्रय पत्र के माध्यम से 34 एकड भूमि मो. शकूर, असगर अली, जरीना, मीना, रंजित, सुशीला, रीता , रश्मि , ऋृषि , शफीक, रफीक व शहजाद के माध्यम से विक्रय किया तथा 34 एकड कृषि भूमि में से शेष बची 05 एकड 64 डिस्मिल भूमि तिलक सहकारी गृह निर्माण समिति को विक्रय किया था तथा उसके पश्चात् वर्ष 1990 में पृथक पृथक मुक्तारनामे के आधार पर 54 एकड आवासीय भूमि तिलक गृह निर्माण समिति को ही 14 पृथक पृथक रजिस्ट्रेड विक्रय पत्र के माध्यम से वर्ष 1997 में विक्रय कर दिया, जिसे तिलक गृह निर्माण समिति ने इस आवासीय भूमि को 1500 सदस्यो को विक्रय कर दिया जिस उन्होने गृह निर्माण करवा लिया। प्रकरण में आवेदिका रादिया बी अनवर एवं अन्य द्वारा यह आवेदन प्रस्तुत किया गया कि दिनांक 17.01.1989 को आरोपी मो. शरीफ द्वारा बताया गया मुक्तारनामा कूटरचित है। जांच उपरांत यह ज्ञात हुआ कि मूल प्रति आरोपीगण से जप्त की गयी और उसे उप पंजीयक कार्यालय से मिलान करने पर पंजीयन क्रमांक 686 को 286 में ओवर राइट किया गया तथा पिता के नाम में भी अन्तर है। मुक्तारनामे को कूटरचित मानते हुए प्रकरण दर्ज किया । सातो खातेधारको तथा उनके उत्तराधिकार द्वारा यह स्वीकार किया गया कि उन्हें सम्पूर्ण भूमि के विक्रय प्रतिफल की राशि उनके द्वारा प्राप्त कर ली गयी है। उक्त मामले में थाना शाहजहांनाबाद में खातेदार अनवर द्वारा मुक्तारनामे को कूटरचित बताकर मो. शरीफ खान एवं शफीक मोहम्मद के विरूद्ध मामला दर्ज कराया था जिसमें पुलिस द्वारा बाद में प्रकरण में खारिजी दायर की गयी थी। थाना कोहेफिजा द्वारा जांच उपरांत अपराध क्रमांक 95/20 अन्तर्गत धारा 420, 467, 468, 471, 472, 474, 120 बी भादवि कायम की गयी थी जो, शरीफ खां , शफीक मोहम्मद , भूपेन्द्र सिंह , मो. सकूर खां, सहित कुल 14 लोगो के विरूद्ध मामला दर्ज किया गया था। तत्पश्चात तिलक सहकारी गृह निर्माण संस्था को 07 फरवरी 2020 को सील किया था तथा म.प्र. शासन के आदेश से उक्त् मामले को आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ को स्थानान्तरित किया गया था।
आरोपी भूपेन्द्र सिंह रिटायर कर्नल के विरूद्ध आरोप है कि उसने तिलक गृह निर्माण समिति के अध्यक्ष की हैसियत से कुल 05 एकड 64 डिस्मिल भूमि तिलक सहकारी गृह निर्माण समिति से क्रय किया था तथा उसके पश्चात पृथक पृथक मुक्तारनामे के आधार पर 54 एकड आवासीय भूमि तिलक गृह निर्माण समिति ने ही 14 पृथक पृथक रजिस्ट्रेड विक्रय पत्र के माध्यम से वर्ष 1997 में क्रय कर लिया था । जिसे संस्था ने इस आवासीय भूमि को 1500 सदस्यो को विक्रय कर दिया, जिससे उन्होने गृह निर्माण करवा लिया।जबकि क्रय किसे जाने के समय मुक्तारनामा देने वाले व्यक्त्िा जीवित थे लेकिन फिर भी उन पर आपत्ति नही ली गयी ,प्रकरण वर्तमान में विवेचनाधीन है