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मध्य प्रदेश शिवराज सरकार के निर्देश : फीस नहीं देने पर निजी स्कूल विद्यार्थी का नाम नहीं काट सकेंगे

मध्य प्रदेश सरकार के निर्देश : फीस नहीं देने पर निजी स्कूल विद्यार्थी का नाम नहीं काट सकेंग

मुख्यमंत्री ने नई शिक्षा नीति के संदर्भ में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बैठक ली। बोले कक्षा छठी से ही प्रारंभ करें व्यवसायिक शिक्षा।

भोपाल। मध्‍य प्रदेश सरकार ने आदेश दिए हैं कि फीस नहीं देने पर निजी स्कूल किसी विद्यार्थी का नाम नहीं काट सकेंगे।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज नई शिक्षा नीति के संदर्भ में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बैठक ली। बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना संकट के चलते निजी विद्यालय विद्यार्थियों से ट्यूशन फीस के अलावा अन्य शुल्क वसूल नहीं कर पाएंगे। उन्होंने निर्देश दिए कि शिक्षा विभाग यह सुनिश्चित करे कि यदि कोई अभिभावक बच्चे की फीस नहीं चुका पा रहा है तो भी उसका नाम विद्यालय से किसी भी हालत में नहीं कटना चाहिए। कोरोना संकटकाल में निजी विद्यालयों की समस्याओं के निराकरण के लिए मुख्यमंत्री ने स्कूल शिक्षा मंत्री श्री इन्दर सिंह परमार से कहा कि वे प्रदेश के स्कूल संचालकों एवं अभिभावकों से बातचीत कर हल निकाले।

मुख्यमंत्री ने कहा है कि केंद्र द्वारा घोषित नई शिक्षा नीति देश में शिक्षा के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित होगी। इसके क्रियान्वयन में मध्यप्रदेश लीड ले। इसके सभी प्रावधानों पर राज्य की परिस्थितियों के अनुसार तत्परता के साथ अमल किया जाए। विद्यार्थियों को केवल किताबी ज्ञान न देकर उनका कौशल विकसित करने के लिए प्रदेश में कक्षा छठवीं से ही व्यवसायिक शिक्षा दिए जाने के प्रावधान को जल्द से जल्द लागू किया जायेगा। स्कूली पाठ्यक्रम में संगीत दर्शन कला नृत्य के साथ ही योग का भी समावेश किया जाएगा।

आयुक्त लोक शिक्षण जयश्री कियावत, आयुक्त राज्य शिक्षा केन्द्र लोकेश कुमार जाटव, उप सचिव अनुभा श्रीवास्तव एवं प्रमोद सिंह, के.के. द्विवेदी उपस्थित थे।

शिक्षा मंत्री टीम गठित करें

मुख्यमंत्री ने कहा कि मध्यप्रदेश में नई शिक्षा नीति के प्रावधानों को तत्परता के साथ लागू करने के लिए शिक्षा मंत्री एक टीम गठित करें जो इस संबंध में कार्रवाई के लिए रूपरेखा बनाए। प्रदेश में विशेष रूप से व्यवसायिक शिक्षा एवं कौशल विकास को बढ़ावा दिया जाना है, जिससे बच्चा शुरू से ही अपने क्षेत्र में दक्षता हासिल कर ले तथा उसे भावी जीवन में एक अच्छी आजीविका प्राप्त हो सके।

कर्मयोग एवं नैतिक शिक्षा का समावेश

नई शिक्षा नीति के अंतर्गत स्कूली पाठ्यक्रम में योग एवं नैतिक शिक्षा को विशेष महत्व दिया जाए। इसके साथ ही संगीत, दर्शन कला, नृत्य, आदि विषय भी पाठ्यक्रम का हिस्सा होंगे।

उच्च गुणवत्ता वाले स्कूल विकसित किए जाएंगे

प्रदेश में बड़ी संख्या में गांवों के क्लस्टर में उच्च गुणवत्ता वाले स्कूल विकसित किए जाएंगे। इस संबंध में भी कार्यवाही सुनिश्चित की जाए। प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा ने बताया कि प्रदेश में इस प्रकार के 10 हजार स्कूल विकसित किए जाने की योजना बनाई जा रही है।

कोविड-19 में डिजिटल शिक्षा की व्यवस्था

प्रदेश में कोविड-19 काल में डिजिटल शिक्षा की व्यवस्था के संबंध में मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रदेश में प्री प्राइमरी के विद्यार्थियों के लिए भी डिजिटल शिक्षा प्रारंभ होगी जो उन्हें प्रत्येक सप्ताह 3 दिन दी जाएगी तथा प्रतिदिन 30 मिनट का समय निर्धारित होगा। इसके अलावा पहली से आठवीं तक की कक्षाओं में सप्ताह में 5 दिन तथा हाई स्कूल एवं हायर सेकेंडरी स्कूल में सप्ताह में 6 दिन डिजिटल शिक्षा दी जाएगी।

 

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