सियावर,,, देखिऐ घर – घर जाके आज ,,,
कोई के घर यथा अनाज , कोई दो रोटी को मोहताज ,,,
रोटी ना जाने धर्म अधर्म , रोटी ना देखे जात पात ,,,
धर्म अधर्म जात पात सब करे , करे ना रोटी की बात ,,,
कोई करता आराधना कोई पढ़े नमाज ,,,
कोई बचाए थाली में कोई दो रोटी को मोहताज ,,,
सब रखा रहा अान बान शान साज सज्जा समाज ,,,
अमीर को फरक ना पड़ा गरीब दो रोटी को मोहताज ,,,
गरीब और गरीब अमीर और अमीर होता आज ,,,
कोई फेंके कचरे में अनाज , कोई दो रोटी को मोहताज ,,,
सियावर,,, देखिऐ घर – घर जाके आज ,,,
कोई के घर यथा अनाज , कोई दो रोटी को मोहताज ,,,
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