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मेडिकल कॉलेज में आपातकालीन परिस्थितियों से निपटने के लिए मास कैजुअल्टी सहित प्रशिक्षित स्टाफ मौजूद : अधिष्ठाता डॉक्टर डी परमहंस

*मेडिकल कॉलेज में मॉक ड्रिलः काल्पनिक आपात स्थिति बनाई गई, घायलों को स्ट्रेचर और व्हील चेयर पर लाया गया*

 

*शिवपुरी।* श्रीमंत राजमाता विजयाराजे सिंधिया चिकित्सा महाविद्यालय एवं चिकित्सालय, शिवपुरी में अधिष्ठाता डॉक्टर डी परमहंस के मार्गदर्शन में आकस्मिक परिस्थितियो को देखते हुए आज मंगलवार को प्रशिक्षण / मॉक ड्रिल का आयोजन चिकित्सालय के लेक्चर थियेटर में डॉ. नीति अग्रवाल सह प्राध्यापक सर्जरी विभाग, डॉ. शिल्पा अग्रवाल सह प्राध्यापक एवं विभागाध्यक्ष निश्चेतना विभाग के द्वारा प्रदान किया गया।

माॅक ड्रिल के तहत चिकित्सालय के नजदीक क्षेत्र में एक काल्पनिक बम विस्फोट की स्थिति बनाई गई, जिसमें 15 घायलों को ट्रॉमा एवं इमरजेंसी विभाग में लाया गया। इन ‘मॉलेज मरीजों’ को सिर की गंभीर चोट, अंग विच्छेदन जैसी विभिन्न गंभीर अवस्थाओं में दर्शाया गया। मरीजों की स्थिति के अनुसार त्वरित ट्रायेज कर प्राथमिक उपचार शुरू किया गया। कुछ घायलों को तत्काल ऑपरेशन थिएटर में भेजा गया, जबकि अन्य को आईसीयू सहित संबंधित वार्डों में भर्ती किया गया।

अधिष्ठाता डॉक्टर डी परमहंस ने बताया कि प्रशिक्षण / मॉक ड्रिल कराने का मुख्य उद्देश्य आपातकालीन परिस्थितियों से निपटने के लिए मास कैजुअल्टी रूप में आती हें। प्रशिक्षण / मॉक ड्रिल उपरांत प्रतिभागियों ने अपने अनुभव साझा किए। वरिष्ठ चिकित्सक शिक्षकों, चिकित्सकों ने ड्रिल का मूल्यांकन कर आवश्यक सुझाव दिए। इस अभ्यास ने न केवल वास्तविक आपदा परिस्थितियों में व्यवहारिक प्रशिक्षण प्रदान किया, बल्कि अस्पताल की तैयारियों की समीक्षा कर सुधार की संभावनाएं भी रेखांकित की। इस मॉक ड्रिल में ट्रॉमा एवं इमरजेंसी, सर्जरी, एनेस्थीसिया, सहित कई विभागों की सक्रिय भागीदारी रही। इस प्रशिक्षण/मॉक ड्रिल का नेतृत्व एम्स भोपाल से प्रशिक्षण लेकर आईं डॉ. नीति अग्रवाल सह प्राध्यापक सर्जरी विभाग, डॉ. शिल्पा अग्रवाल सह प्राध्यापक एवं विभागाध्यक्ष निश्चेतना विभाग ने किया। अस्पताल के सुरक्षा कर्मियों और सहायक स्टाफ ने भी अपनी जिम्मेदारियों का कुशलतापूर्वक निर्वहन किया।

इसी क्रम में सयुंक्त रूप से डॉ. शिल्पा अग्रवाल डॉक्टर नीति अग्रवाल ने बेसिक लाइफ सपोर्ट (बीएलएस) एवं एडवांस कार्डिक लाइफ सपोर्ट (एसीएलएस),मास कैजुअल्टी ईवेंट ट्रायेज प्रोटोकॉल का प्रशिक्षण दिया गया। इसी के साथ प्रशिक्षण/मॉक ड्रिल के माध्यम से बताया कि बेसिक लाइफ सपोर्ट (बीएलएस) कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (सीपीआर) के उपयोग के माध्यम से रोगी के रक्त संचार और श्वसन को सहारा देने के लिए किया जाता है, जब तक कि उन्नत जीवन समर्थन नहीं आ जाता। जिन पीड़ितों को समय पर और सही तरीके से बीएलएस दिया गया है, उन्हें बेहतर ऑक्सीजन मिलेगी और उन्हें पुनर्जीवित करने के लिए उन्नत तकनीकों पर प्रतिक्रिया करने की अधिक संभावना है, जिससे उनके बचने की संभावना बढ़ जाती है। साथ ही रीढ़ की हड्डी को भी सुरक्षित करने का प्रशिक्षण दिया।

उक्त प्रशिक्षण/ मॉक ड्रिल में विभागाध्यक्ष डॉक्टर ईला गुजारिया,विभागाध्यक्ष डॉक्टर धीरेंद्र त्रिपाठी, विभागाध्यक्ष डॉक्टर प्रियंका गर्ग, विभागाध्यक्ष डॉक्टर प्रीति निगोटिया, डॉक्टर शिल्पा सुपेकर, प्रबंधक डॉक्टर विकास त्यागी, सहायक पीआरओ राहुल अष्ठाना सहित वरिष्ठ चिकित्सक चिकित्सक शिक्षक,चिकित्सकगण, सीनियर, जूनियर रेसीडेंट, नर्सिंग सवंर्ग, पैरामेडिकल संवर्ग एवं गैरशैक्षणिक संवर्ग उपस्थित हुए।

 

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