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तुम मुझे खून दो ,मैं तुम्हें आजादी दूंगा "-नेताजी सुभाष चंद्र बोस

भारत देश को स्वतंत्रता दिलाने में देश के अनेकों स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का योगदान रहा है उनमें नेताजी सुभाष चंद्र बोस का योगदान विशेष रूप से स्मरणीय रहेगा ! आज 19 अगस्त को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की पुण्यतिथि 18 अगस्त के बारे में  डॉ रामजी दास राठौर ने सुभाष चंद्र बोस के जीवन परिचय के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि 23 जनवरी 1897 को नेता जी का जन्म उड़ीसा के कटक में हुआ था, उनके पिता जानकी नाथ बोस प्रसिद्ध अधिवक्ता थे, माता प्रभावती देवी धार्मिक महिला थीं! सुभाष जीवन पर्यन्त युद्धकर्म और संघर्ष तथा संगठन में रत रहे! सुभाष जब 15 वर्ष के थे, उसी समय दूसरा महत्वपूर्ण प्रभाव स्वामी विवेकानंद और उनके गुरू स्वामी रामकृष्ण परमहंस का पड़ा!सुभाष के जीवन पर अरविंद के गहन दर्शन एवं उनकी उच्च भावना का प्रभाव भी पड़ा! नेताजी ऋषि अरविंद की पत्रिका आर्य को बहुत ही लगाव से पढ़ते थे!
उस समय देश में गांधी जी के नेतृत्व में लहर थी तथा अंग्रेजी वस्त्रों के बहिष्कार के साथ ही विधानसभा, अदालतों एवं शिक्षा संस्थाओं का बहिष्कार भी शामिल था! सुभाष ने आंदोलन में कूदने का निश्चय किया! अंग्रेज अधिकारी आंदोलन के स्वरूप को देखकर घबरा गये तथा उन्होंने सुभाष को साथियों सहित 10 दिसम्बर 1921 को संध्या समय गिरफ्तार कर लिया और जेल भेज दिया! एक वर्ष बाद उन्हें जेल से मुक्ति मिली! किन्तु जल्द ही क्रांतिकारी षड्यंत्र का आरोप लगाकर अंग्रेजों ने सुभाष को माण्डले जेल भेज दिया! दो वर्ष पश्चात सुभाष को माण्डले से कलकत्ता लाया गया, जहां उन्हें स्वास्थ्य के आधार पर मुक्त कर दिया गया! सुभाष ने कांग्रेस का प्रथम नेतृत्व 30 वर्ष की आयु में किया, जब वे बंगाल प्रान्तीय कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष निर्वाचित हुये!
जनवरी 1938 को जब विदेश यात्रा पर थे, तब उन्हें अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अध्यक्ष निर्वाचित किया गया! जो देश की ओर से किसी भारतीय को दिया जाने वाला उच्चतम पद था! उस समय वे मात्र 41 वर्ष के थे! कांग्रेस का नेतृत्व ग्रहण करने पर भारतीय इतिहास एवं सुभाष के जीवन ने नया मोड़ लिया! गांधी जी ने सीता रमैया को अपना सहयोग दिया और गांधी जी की इच्छा को ध्यान में रखते हुये सुभाष ने अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के पश्चात फारवर्ड ब्लाक नामक अग्रगामी दल की स्थापना की!
16 अगस्त की प्रातःकाल नेताजी उठे और शीघ्र ही अपना कुछ निजी सामान और वस्त्रों को संभाला और उस यात्रा के लिए तैयार हुये, जिसे वे अज्ञात लक्ष्य की ओर अभियान कह रहे थे! 17 अगस्त 1945 को प्रातः नेताजी बैंकाक हवाई अड्डे के लिये लोगों से विदाई लेकर चले! 22 अगस्त 1945 को टोक्यो रेडियो से फारमोसा द्वीप में वायुयान दुर्घटना में नेताजी की मृत्यु का समाचार प्रसारित हुआ! जसे सुन पूरा विश्व स्तब्ध रह गया, लेकिन देश आज भी उनकी रहस्मयी दुर्घटना में मौत को स्वीकार नहीं कर पा रहा है! नेताजी सुभाष चंद्र बोस को उनके द्वारा किए गए कार्यों के लिए भारतवर्ष द्वारा सदियों तक उन्हें याद किया जाएगा ! भारतीय स्वतंत्रता के लिए उनका योगदान अविस्मरणीय है!

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