मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। राज्य में मंत्रिमंडल में बदलाव की अटकलों के बीच ज्योतिरादित्य के समर्थक मंत्रियों की बेचैनी बढ़ गई है।
भोपाल (मंथन न्यूज)
मध्य प्रदेश में कमलनाथ मंत्रिमंडल में चल रही बदलाव की चर्चाओं के बीच ज्योतिरादित्य सिंधिया से करीबी नाता रखने वाले मंत्रियों में बेचैनी बढ़ गई है और उनकी डिनर डिप्लोमेसी भी तेज हो गई है। राज्य में मंत्रियों के बदले जाने की चर्चा पर भले ही कमलनाथ विराम लगा चुके हैं, मगर कई मंत्री अब भी सशंकित हैं। बीते एक सप्ताह में सिंधिया से करीबी रखने वाले छह मंत्री भोज के बहाने दो दौर की बैठकें कर चुके हैं।
एक बैठक मंत्री महेंद्र सिंह सिसौदिया के निवास पर हुई, जिसमें सभी पहुंचे थे। दूसरी बैठक परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के निवास पर हुई, जिसमें सिसौदिया को छोड़कर शेष पांच मंत्री पहुंचे थे। भाई के निधन के कारण सिसौदिया भोपाल में नहीं थे। सिंधिया खेमे के मंत्री लगातार अपनी ताकत और एकजुटता दिखाने की कोशिश कर रहे हैं।
कमलनाथ खेमे के मंत्री सुखदेव पांसे से काफी बहस
इतना ही नहीं, इसी गुट से नाता रखने वाले एक मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने बुधवार को कैबिनेट बैठक में भी दबाव की राजनीति के तहत किसी मुद्दे पर रोष जाहिर किया था, जिसके कारण कमलनाथ खेमे के मंत्री सुखदेव पांसे से उनकी काफी बहस हो गई थी। यानी भोज की कूटनीति के साथ ही मंत्री दो-दो हाथ करने को भी तैयार हैं। इसी क्रम में गुरुवार को गोविंद राजपूत ने एक बयान देकर इस तकरार को और हवा दे दी।
राजपूत ने कहा, ‘मुख्यमंत्री की अपनी व्यस्तताएं हैं, लेकिन विधायकों और मंत्रियों की समस्याएं सुनने के लिए उन्हें समय तो देना ही होगा।’ राजपूत के इस बयान के राजनीतिक तौर पर कई मायने निकाले जा रहे हैं। बता दें कि राज्य विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को बहुमत नहीं मिल पाया था। कुल 114 विधायकों के साथ कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी और उसकी सरकार कमलनाथ के नेतृत्व में एसपी, बीएसपी और निर्दलियों के समर्थन से चल रही है।
सरकार के अस्थिर होने का खतरा
राज्य की 230 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के 114, बीजेपी के 108 और बीएसपी के दो, एसपी के एक तथा तीन निर्दलीय विधायक हैं। एक सीट खाली है। वर्तमान में राज्य की राजनीतिक परिस्थितियों के बीच सरकार के अस्थिर होने का खतरा बना हुआ है। सूत्रों के अनुसार, सरकार की स्थिरता के लिए एक फॉर्म्युला बनाया गया, जिसके तहत निर्दलीय तीन, बीएसपी के दो और एसपी के एक विधायक को मंत्री बनाया जाना है।
इसके लिए वर्तमान के छह मंत्रियों को बाहर का रास्ता दिखाने की तैयारी है। इसके तहत, तीनों बड़े नेताओं (कमलनाथ, दिग्विजय सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया) के कोटे वाले दो-दो मंत्रियों को बाहर करने की तैयारी है। तीन दिन तक दिल्ली प्रवास पर रहने के बाद भोपाल लौटे कमलनाथ ने मंगलवार को जब राज्यपाल से मुलाकात की, तो मंत्रिमंडल में बदलाव की चर्चा ने और जोर पकड़ लिया। बाद में कमलनाथ ने मंत्रिमंडल में फेरबदल की संभावनाओं को सिरे से खारिज कर दिया। उसके बाद भी कई मंत्री परेशान हैं।