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नोटबंदी : भाजपा पर मंडरा रहा है ये संकट? पार्टी हार ना जाए चुनावी जंग..!

मंथन न्यूज़ दिल्ली —जिस उम्मीद और लक्ष्‍य के साथ केंद्र की नरेन्द्र मोदी सरकार ने  8 नवंबर को नोटबंदी की घोषणा की थीवह पूरा होता नहीं दिख रहा है। पार्टी नेताओं के जोश और जज्बे में भी कमी देखी जा रही है, और तो और भाजपा और सरकार से जुड़े लोगों को नोटबंदी के दुष्प्रभाव का डर भी सताने लगा है। सूत्रों की माने तो भाजपा के निचले दर्जे से लेकर मुख्यालय दिल्ली तक बैठे बड़े नेताओं को भी यह समझ में नहीं आ रहा है कि नोटबंदी से पैदा हुई समस्याओं का कैसे निपटारा करें और जनता को जोड़ने के लिए अब कौन सी जुगत भिड़ाएं।

इधर, नोटबंदी से बढ़ी समस्याओं के कारण पब्लिक भाजपा से दूर होती दिख रही है। यूं कहें कि जनता के बीच बिगड़ती छवि को सुधारने के लिए पार्टी आगामी चुनावों के बाबत डैमेज कंट्रोल में जुट गई है। वहीं नोटबंदी से बढ़ी समस्याओं के निदान को लेकर सरकार पर विपक्ष के हमलावर रुख ने उसके ग्राफ को थोड़ा ऊपर जरूर उठाया हैलेकिन वह इतना नहीं है जो सत्तापक्ष को चुनौती दे सके। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ व्यक्तिगत भ्रष्टाचार की जानकारी होने की बात कहकर पब्लिक का ध्यान अपनी ओर खींचा हैजो भाजपा के थिंक टैंक’ के लिए परेशानी का सबब है।
नोटबंदी : भाजपा पर मंडरा रहा है ये संकट? पार्टी हार ना जाए चुनावी जंग..!
गौरतलब है कि कालाधन लाने के अपने चुनावी वादे को पूरे करने के लिए आधी-अधूरी तैयारियों के बीच केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार ने 8 नवम्बर को नोटबंदी लागू कर दी। देखते ही देखते पूरे देश में अफरातफरी मच गई और लोग बैंक तथा एटीएम के आगे पुराने नोट बदलने और पैसों की निकासी के लिए कतारों में खड़े हो गए। कतार में खड़े लोगों पर देश में कई जगह पुलिस ने लाठियां भी बरसाईं तथा विभिन्न असुविधाओं के कारण सौ से ज्यादा लोगों की मौत भी हो गई। इसे लेकर जब मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस और अन्य दलों ने सरकार को घेरना शुरू किया तो बैकफुट पर आती हुई सरकार लगातार अपने फैसलों में संशोधन करती रही।
यूं कहें कि नोटबंदी से पैदा हुई समस्याओं से निजात पाने के लिए सरकार और उससे जुड़े लोग जितने भी प्रयास कर रहे थे, वह उतना ही उलझते जा रहे थे। आखिरकार जब सरकार द्वारा 50-50 योजना लागू करते हुए कालेधन वालों को छूट की घोषणा की गई तो उसकी जमकर आलोचना हुई। जनता ने सीधे सरकार से यह सवाल करना शुरू कर दिया कि जब कालेधन वालों को राहत ही देनी थी तो नोटबंदी लागू ही क्यों की गई?
दरअसल, इस तरह के अनेक सवाल देश की सियासी फिजा में तैरते रहे जो सरकार को घेरने के लिए काफी थे। स्थिति ये है कि नोटबंदी लागू हुए अब तकरीबन डेढ़ माह होने वाले हैं, लेकिन जनता की समस्याओं में कोई खास कमी नहीं आई है। अब पूरे देश में कैश की कमी का रोना रोया जा रहा है। वजह, बैंक और एटीएम से जरूरत के मुताबिक पैसे नहीं मिल रहे हैं। नोटबंदी भाजपा और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लिए कितनी बड़ी दुश्वारियां लेकर आई है, इसका अंदाजा अब पार्टी के नेताओं को भी लगने लगा है।
स्थिति यह है कि नोटबंदी की वजह से पूरे देश में बढ़ी समस्याओं के बीच भाजपा और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को अगले वर्ष (दो माह बाद) होने वाले उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड विधानसभा चुनाव पर नजरें टिकी हुई हैं, लेकिन गहराते असंतोष के बीच पार्टी के नेता यह तय नहीं कर पा रहे हैं कि आखिर किस तरह पब्लिक को समझाया जाए। 16 दिसम्बर को हुई भाजपा संसदीय दल की बैठक में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने पार्टी सांसदों को निर्देश दिया कि वे जनता के बीच जाकर नोटबंदी की अच्छाइयों के बारे में बताएं। इससे पहले पूर्वी यूपी के कुछ सांसदों ने नोटबंदी के बाबत बढ़ी समस्याओं से पार्टी के आला नेताओं को अवगत करा दिया था। पूर्वी उत्तर प्रदेश के भाजपा सांसदों ने पार्टी अध्यक्ष अमित शाह को बताया कि अगर 15 जनवरी तक कैश की किल्लत दूर नहीं हुई तो हमें नुकसान उठाना पड़ सकता है।
दरअसल, पार्टी अध्यक्ष ने पार्टी सांसदों से नोटबंदी पर फीडबैक मांगा था। इसके बाद पूर्वी उत्तर प्रदेश के 35 भाजपा सांसदों ने पार्टी अध्यक्ष से इस बारे में चर्चा की। सूत्रों ने बताया कि बैठक में पार्टी सांसदों ने कहा कि सर्जिकल स्ट्राइक के बाद पार्टी के पक्ष में जो हवा बही थी, वह नोटबंदी के बाद बेअसर होती दिख रही है। पार्टी अध्यक्ष ने सभी सांसदों को बारी-बारी से सुना, लेकिन किसी का कोई जवाब नहीं दिया। हालांकि, उन्होंने यह आश्वासन दिया कि सांसदों की चिंता से सरकार को अवगत करा दिया जाएगा। बैठक में मौजूद एक सांसद ने बताया कि 35 सांसदों में से करीब-करीब सभी सांसदों ने कहा कि चुनावों में इसके गलत संदेश जाएंगे। लोग अब अधीर हो रहे हैं। अगर जल्द ही स्थिति सामान्य नहीं हुई, बैंकों में करेंसी नोट की किल्लत कम नहीं हुई तो यह पार्टी के लिए बड़ा झटका होगा। सूत्र बताते हैं कि अमित शाह ने सांसदों ने चुनाव तक क्षेत्र का नियमित दौरा करते रहने को कहा है, ताकि उम्मीदवारों के चयन में सुविधा हो सके साथ ही आम लोगों को लगे कि उनके सांसद ने परेशानी की घड़ी में उनका हाल चाल जाना है।
उधर, मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी इस मुद्दे पर सरकार के खिलाफ पूरे देश में अभियान चलाने की बात कह रहे हैं। कांग्रेस का कहना है कि इस नोटबंदी ने पब्लिक के सामने जो समस्या पैदा की है, उसकी भरपाई आसानी से संभव नहीं है। इस संदर्भ में पूर्व केन्द्रीय मंत्री व वरिष्ठ नेता आरपीएन सिंह ने कहा कि बिना तैयारी की गई नोटबंदी के कारण पूरे देश में भाजपा और मोदी सरकार की किरकिरी हो रही है। उन्होंने कहा कि मौका आने पर जनता अपनी इन समस्याओं का बदला मोदी सरकार से जरूर लेगी। बहरहाल, देखना है कि विपक्ष मोदी सरकार के खिलाफ अपने अभियान में कितना सफल हो पाता है?
                                                                                                         पूनम पुरोहित 

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