– विधानसभा बजट सत्र : चार महीने के लिए 89.43 हजार करोड़ का अंतरिम बजट पेश
– पूरे साल का 2.20 लाख करोड़ का बजट अनुमान भी पेश हुआ
– आंकड़ों का मकडज़ाल
कांग्रेस सरकार के लेखानुदान व बजट अनुदान में घोषणाओं और नई योजनाओं से परहेज किया है। जो लेखानुदान में आंकड़ों का मकडज़ाल है।
– कमाई 70 हजार करोड़
सरकार को अप्रैल से जुलाई तक चार महीने में कुल 70 हजार करोड़ की आमदनी होना संभावित है। अगले चार महीने में 40 हजार करोड़ जीएसटी व एसजीएसटी से मिलेंगे। इसमें आधा-आधा शेयर राज्य व केंद्र का रहता है। वहीं, टैक्स कलेक्शन से 5000 करोड़, नॉन-टैक्स रेवेन्यू 5000 करोड़, केंद्रीय अनुदान 10 हजार करोड़ और चार महीने की कर्ज सीमा 10 हजार करोड़ रहेगी। बाकी राशि का इंतजाम कैसे होगा, यह स्पष्ट नहीं किया गया है।
– ये है फोकस एरिया
किसान और कर्जमाफी : लेखानुदान और बजट अनुमान में किसान कर्जमाफी से लेकर प्रोत्साहन राशि तक पर ध्यान दिया है। कर्जमाफी पर करीब 35 हजार करोड़ खर्च होना है। इसमें पांच हजार करोड़ का प्रावधान पिछले अनुपूरक बजट में किया गया था। कृषि अनुसंधान के लिए 65.55 करोड़ रखे हैं। जबकि, सूखा व राहत आपदा के लिए 823 करोड़ का प्रावधान है। मुआवजे के बढ़ते बोझ से निपटने यह राशि रखी है।
उद्योग-निवेश-रोजगार : औद्योगिक नीति व निवेश प्रोत्साहन के लिए 251 करोड़ का प्रावधान किया है। जबकि, सूक्ष्म व मध्यम उद्योग के लिए 334 करोड़ से ज्यादा का प्रावधान है। तकनीकी शिक्षा-कौशल विकास व रोजगार के लिए 668 करोड़ का प्रावधान है। नगरीय प्रशासन में भी नई युवा स्वाभिमान योजना शुरू हुई है, इसलिए 1300 करोड़ से ज्यादा राशि रखी गई है।
– आनंद के लिए 2000 रुपए
सरकार ने जिस आनंद विभाग को बंद करना तय किया है, उसके लिए दो हजार रुपए का बजट रखा गया है। दरअसल, आनंद विभाग को सरकार ने अध्यात्म विभाग में मर्ज कर दिया है। जबकि, अध्यात्म-धर्मस्व विभाग के लिए बजट का कोई उल्लेख नहीं है।
– चार महीने अब ऐसे
दो महीने बाद लोकसभा चुनाव होना है, इसलिए सरकार का फोकस चार महीने में वचनों को पूरा करने पर रहेगा। विभागों में बजट भी उसी हिसाब से दिए गए हैं। चार महीने में केवल सामान्य ब्याज व कर्ज अदायगी के लिए ही 5921 करोड़ का प्रावधान किया गया है।
– कंजूसी कहां-कहां
दो महीने बाद लोकसभा चुनाव होना है, इस कारण चार महीने के लेखानुदान में इंफ्रास्ट्रक्चर पर कंजूसी की गई है। केवल वेतन-भत्तों व योजनाओं के संचालन का बजट ही दिया है। लोक निर्माण के लिए 3100 करोड़ से ज्यादा, ग्रामीण विकास के लिए करीब 1300 करोड़ और नगरीय विकास के लिए 2800 करोड़ से ज्यादा का बजट रखा है। पुलिस व अनुसूचित जाति-जनजाति कल्याण के बजट में भी कंजूसी की गई है।
– सबसे छोटा सिर्फ 122 करोड़ का अनुपूरक
कमलनाथ सरकार ने वित्तीय सत्र 2018-19 में अंतिम डेढ़ महीने के लिए 122 करोड़ का तीसरा अनुपूरक बजट भी पेश किया। पिछले दो दशक में यह सबसे छोटा अनुपूरक बजट है। पिछली भाजपा सरकार में 18 हजार करोड़ तक के अनुपूरक बजट पेश हुए हैं। पूर्व भाजपा सरकार में सामान्यत: अनुपूरक बजट तीन हजार करोड़ से ज्यादा के ही रहे हैं। इसके अलावा 83.66 करोड़ का 2004-05 का आधिक्य विनियोग भी पेश किया गया है।
– नई योजनाओं के लिए मद खोली
अनुपूरक बजट में नई योजनाओं के लिए सरकार ने प्रतीक स्वरूप मद का प्रावधान किया है। इसमें युवा स्वाभिमान योजना के लिए 50 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है। जबकि, इंदिरा किसान ज्योति, इंदिरा गृह ज्योति, पीएम किसान सम्मान निधि, सुपर मिनी स्मार्ट सिटी, रामपथ गमन योजना सहित अन्य के लिए प्रतीक स्वरूप मद का प्रावधान किया है।
– मुख्यत: इनका बजट घटाया (बजट अनुमान 2019-20:भुगतान)
सेक्टर पुनरीक्षित अनुमान 2018-19 2019-20
कला-संस्कृति 1959096 1922113
आवास 64718994 51899404
सूचना-प्रचार 4014154 3468748
न्याय प्रशासन 10998693 10829710
मंत्रि परिषद 1609560 1238242
आपदा राहत 13930981 9916498
सामाजिक सेवा 2221563 913619
खाद्य भंडार 16928775 16544878
कृषि अनुसंधान 1918345 1679959
विज्ञान-प्रौद्योगिकी एवं पर्यावरण 2463102 2067952
(नोट- राशि हजार रुपए में।)