भोपाल। मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव में हार का मुंह देखने वाली भाजपा के लिए एक बार फिर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने 20 सांसदों को दोबारा टिकट नहीं देने को कहा। यह भी कहा है कि यदि इन सीटों पर चेहरे नहीं बदले तो हाल विधानसभा चुनाव जैसे हो सकते हैं। गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव से पहले राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने करीब 60 विधायकों को दोबारा टिकट नहीं देने और 13 मंत्रियों की जगह नए चेहरों को मौका देने को कहा था, ऐसा नहीं हुआ और भाजपा को हार का मुंह देखना पड़ा। मंथन न्युज
सूत्रों के मुताबिक दो माह बाद होने जा रहे आम चुनाव से पहले राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने भी अंदर ही अंदर तैयारी शुरू कर दी है। संघ ने 26 सीटों का विश्लेषण कर इनमें से 20 सीटों को बदलने की सिफारिश भाजपा संगठन से की है। कहा गया है कि इन 20 सांसदों से जनता खफा है। इनसंसदीय सीटों पर कई जगह सांसदों के प्रति गुस्सा नजर आ रहा है।
इन्हें टिकट दिया तो भाजपा की बढ़ेगी मुश्किल
संघ ने अपनी सर्वे रिपोर्ट में बताया है कि इन सांसदों के खिलाफ जनता कुछ ज्यादा गुस्सा है, यदि इन सीटों पर दोबारा इन्हीं सांसदों को टिकट दिया तो भाजपा की मुश्किल बढ़ जाएगी।
संघ ने अपनी सर्वे रिपोर्ट में बताया है कि इन सांसदों के खिलाफ जनता कुछ ज्यादा गुस्सा है, यदि इन सीटों पर दोबारा इन्हीं सांसदों को टिकट दिया तो भाजपा की मुश्किल बढ़ जाएगी।
बहुत कम सक्रिय रहते हैं ये सांसद
संघ ने अपनी रिपोर्ट में यह भी रेखांकित किया है कि कौन से सांसद पांच सालों में ज्यादा सक्रिय रहते हैं और कौन से कम रहते हैं। एक दर्जन से अधिक सांसद अपने क्षेत्र में पांच सालों के अपने कार्यकाल में बहुत ही कम सक्रिय रहे हैं। क्षेत्र में लोगों से भी उनका व्यक्तिगत जुड़ाव नहीं है।
विधायकों को भी बदलने की दी थी सलाह
यहपहला मौका नहीं है जब राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने सीटों का विश्लेषण करके जनप्रतिनिधियों को बदलने की सलाह दी थी। हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में संघ ने करीब 60 से अधिक सीटों पर नए उम्मीदवार खड़े करने की सिफारिश की थी। इनमें 13 मंत्री भी शामिल है। संगठन ने संघ की बात नहीं मानी और भाजपा को हार का सामना करना पड़ा। इनमें से 13 मंत्री भी हार गए, जिनकी सिफारिश संघ ने की थी।
यहपहला मौका नहीं है जब राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने सीटों का विश्लेषण करके जनप्रतिनिधियों को बदलने की सलाह दी थी। हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में संघ ने करीब 60 से अधिक सीटों पर नए उम्मीदवार खड़े करने की सिफारिश की थी। इनमें 13 मंत्री भी शामिल है। संगठन ने संघ की बात नहीं मानी और भाजपा को हार का सामना करना पड़ा। इनमें से 13 मंत्री भी हार गए, जिनकी सिफारिश संघ ने की थी।
संघ भी है नाराज
संघ अपने मुताबिक जनप्रतिनिधियों को टिकट नहीं दिए जाने से संगठन से काफी नाराज है। पिछले विधानसभा चुनाव में भी आरएसएस के कई पदाधिकारी चुनाव के वक्त नाराज हो गए थे, लेकिन कांग्रेस घोषणा पत्र में संघ की शाखाओं को बैन करने के मुद्दे के बाद संघ पदाधिकारी सक्रिय हुए थे।
संघ अपने मुताबिक जनप्रतिनिधियों को टिकट नहीं दिए जाने से संगठन से काफी नाराज है। पिछले विधानसभा चुनाव में भी आरएसएस के कई पदाधिकारी चुनाव के वक्त नाराज हो गए थे, लेकिन कांग्रेस घोषणा पत्र में संघ की शाखाओं को बैन करने के मुद्दे के बाद संघ पदाधिकारी सक्रिय हुए थे।
इन सांसदों पर है संघ की टेढ़ी नजर
कई सांसद अपने क्षेत्रों में सक्रिय नहीं है। इससे खफा स्थानीय लोगों ने इनके खिलाफ पोस्टर वार छेड़ दिया था। उनके लापता होने के पोस्टर जगह-जगह लगा दिए थे। इनमें विदिशा सांसद सुषमा स्वराज, ग्वालियर सासंद नरेन्द्र सिंह तोमर खजुराहो सांसद नागेंद्र सिंह, खरगौन सांसद सुभाष पटेल, मुरैना सांसद अनूप मिश्रा समेत अन्य सांसद भी शामिल हैं। नागेंद्र सिंह विधानसभा चुनाव में नागौद से विधायक बन गए। अब इनके लोकसभा का चुनाव लड़ने की उम्मीदें खत्म हो गई है। इस बार विदिशा सांसद ने लोकसभा चुनाव लड़ने से मना कर दिया है, जबकि प्रहलाद पटेल अपनी सीट बदलना चाहते हैं।
कई सांसद अपने क्षेत्रों में सक्रिय नहीं है। इससे खफा स्थानीय लोगों ने इनके खिलाफ पोस्टर वार छेड़ दिया था। उनके लापता होने के पोस्टर जगह-जगह लगा दिए थे। इनमें विदिशा सांसद सुषमा स्वराज, ग्वालियर सासंद नरेन्द्र सिंह तोमर खजुराहो सांसद नागेंद्र सिंह, खरगौन सांसद सुभाष पटेल, मुरैना सांसद अनूप मिश्रा समेत अन्य सांसद भी शामिल हैं। नागेंद्र सिंह विधानसभा चुनाव में नागौद से विधायक बन गए। अब इनके लोकसभा का चुनाव लड़ने की उम्मीदें खत्म हो गई है। इस बार विदिशा सांसद ने लोकसभा चुनाव लड़ने से मना कर दिया है, जबकि प्रहलाद पटेल अपनी सीट बदलना चाहते हैं।
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