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कर्मचारियों का महंगाई भत्ता रोकना सरकार को महंगा पड़ सकता है: कर्मचारी संघ 

भोपाल। देश व प्रदेश में महंगाई दर बढ़ने के साथ मूल्यसूचकांक आधारित महंगाई भत्ता देय है। मप्र तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ के प्रांतीय उपाध्यक्ष कन्हैयालाल लक्षकार ने बताया कि बाजार में महंगाई बढ़ने के कारण कर्मचारियों को इसका सामना करने के लिए महंगाई भत्ता दिया जाता है। इसकी गणना शासन द्वारा निर्धारित मूल्यसूचकांक के आधार पर किया जाता है। जो वर्ष में दो बार जनवरी व जुलाई में केंद्रीय कर्मचारियों के साथ दिया जाता रहा है। 
दिनांक 01 जुलाई 2018 से पेंशनरों व कर्मचारियों को 2% बकाया चल रहा है। पिछली सरकार ने इसमें उपेक्षा की थी जिसका खामियाजा विधानसभा में परिलक्षित हुआ है। विधानसभा निर्वाचन के परिणामों पर दृष्टिपात करें तो सहज पता चलता है कि 5000 से कम वोटों की हार-जीत में कर्मचारी व इनके परिवार के वोटों का अहम रोल रहा है। वोटों का यह गणित सरकार बनाने के लिए महत्वपूर्ण रहा है। तमाम कोशिशो के बाद आम जनता के वोट समान रूप से विभाजित करने के बावजूद कर्मचारियों का वोट अहम हो जाता है। जो इस गणित को समझकर कर्मचारियों को साधने में सफल रहा वो सत्ता पर काबिज हो जाता है। 
विगत विधानसभा चुनाव में पेंशनर, राज्य कर्मचारी, अध्यापक, संविदा कर्मचारी, दैनिक वेतन भोगी, पंचायत विभाग के कर्मचारी, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता-सहियिका, शिक्षा प्रेरकों ने अपने परिवार व इष्टमित्रों सहित लाखों कर्मचारियों का एक बड़ा वर्ग जिसने प्रजातांत्रिक व संवैधानिक अधिकार का प्रयोग कर विवेकपूर्ण मतदान किया व बहुमत का निर्णायक निर्धारण किया। इतिहास गवाह है केवल घोषणा से कर्मचारी बहकावे में नहीं आता है, इसका क्रियान्वयन  ही अपना मत व्यक्त करने में अहम रोल अदा करता है। आगामी लोकसभा चुनाव में भी पेंशनरो कर्मचारियों की नाराजगी समाप्त करना महती भूमिका अदा करेगा। कर्मचारी वर्ग का  वोट हमेशा से काफी लचिला व निर्णायक साबित हुआ है।

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