कर्मचारियों की समाजिक सुरक्षा का दायरा बढ़ाने के मकसद से सरकार आने वाले दिनों में एक बड़ा फैसला लेने जा रही है। श्रम मंत्रालय ने आवश्यक कवरेज के तहत वेतन सीमा में 6 हजार की बढ़त का प्रस्ताव तैयार किया है। नए प्रस्ताव के तहत ईपीएफओ के तहत आवश्यक कवरेज के लिए वेतन की सीमा 15 हजार से बढ़कर 21 हजार कर दिया जाएगा।
ऐसा करने ईपीएफओ सदस्यों की संख्या भी बढ़ेगी, साथ ही सदस्यों की तरफ से आने वाला कंट्रीब्यूशन भी बढ़ेगा। सरकार का ये प्रस्ताव फिलहाल वित्त मंत्रालय के पास दोबारा भेजा गया है। पहले का प्रस्ताव वित्त मंत्रालय ने कुछ संशोधनों के लिए श्रम मंत्रालय के पास भेज दिया था। अब श्रम मंत्रालय ने एक नया प्रस्ताव तैयार किया है और वित्त मंत्रालय को भेज दिया है। सरकार इस प्रस्ताव पर फिलहाल आगे नहीं बढ़ पा रही है, क्योंकि इस प्रस्ताव पर अंतिम मुहर से पहले सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज की मंजूरी भी चाहिए होती है।
सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज में सरकारी सदस्यों की संख्या तो नियत रहती है और लेकिन गैर सरकारी सदस्यों का कार्यकाल 5 साल का ही होता है। पुराने बोर्ड का कार्यकाल इस साल मई में खत्म हो गया है। नए सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज यानि सीबीटी का गठन मई के बाद शुरू हो जाना था लेकिन अब तक केवल सरकार ने सभी संगठनों से इसके लिए नाम मांगे हैं। सूत्रों की माने तो इस पूरी प्रक्रिया में एक से दो महीने का वक्त और लग सकता है। इस बोर्ड के गठन के बाद ही कर्मचारियों से जुड़े प्रस्ताओं को अमलीजामा पहनाना शुरू किया जाएगा।
अभी क्या है प्रावधान
ईपीएफ एंड एमपी एक्ट में ये प्रावधान हैं कि कंपनी और कर्मचारी आमतौर पर मूल वेतन का 12 फीसदी एम्प्लॉयी प्रॉविडेंट फंड (ईपीएफ) एकाउंट में जमा करते हैं। कर्मचारी की तरफ से जमा कराया गया 12 प्रतिशत ईपीएफ के मद में ही जाता है। वहीं कंपनी की तरफ से जमा कराए गए 12 फीसदी में से 8.33% को ईपीएस या कहें पेंशन फंड में जमा किया जाता है जबकि बाकी बचे 3.67 फीसदी हिस्से को ईपीएफ में निवेश किया जाता है। इस प्रस्ताव के पास होने के बाद ईपीएफओ के तहत मिलने वाली न्यूनतम पेंशन की राशि में भी इजाफा संभव है क्योंकि वेतन सीमा बढ़ाए जाने के बाद एंप्लॉई पेंशन स्कीम के तहत सरकार का योगदान भी बढ़ जाएगा।
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