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भर्ती प्रक्रिया में लेनदेन सहित चहेतों को भर्ती करने के लग रहे आरोप

मंथन न्यूज़ शिवपुरी –भ्रष्टाचार को अंगूठा दिखाती आंगनवाड़ी भर्ती भर्ती प्रक्रिया में लेनदेन सहित चहेतों को भर्ती करने के लग रहे आरोप आज भ्रष्टाचार चारों तरफ महामारी की तरह फैल गया है। सरकारी तंत्र में यह ऊपर से नीचे तक फैल चुका है। पहले छोटे-मोटे घोटाले होते थे, लेकिन आजकल लाखों करोड़ के घोटाले होना आम बात हो गई है। इसी तरह का घोटाला जिले में चल रही आंगनवाड़ी भर्ती प्रक्रिया में सामने आया है। सूत्रों की मानें तो आंगनवाड़ी भर्ती प्रक्रिया में नियम के अनुसार अधिकारियों द्वारा चयनित आवेदकों को नामों की सूची को चस्पा नहीं किया जा रहा है न ही उस बैठक का खुलासा किया जा रहा है जिसके तुरंत बाद विभाग को अंतिम सूची चस्पा करनी होती है। उक्त सूची को चस्पा न करने का मुख्य कारण लेनदेन होना बताया जा रहा है। कई आवेदकों द्वारा भर्ती प्रक्रिया पर आरोप लगाए जा रहे हैं कि संबंधित अधिकारियों द्वारा लेनदेन के बाद ही सूची को चस्पा किया जाएगा। मुख्यालय पर चल रही आंगनवाड़ी भर्ती प्रक्रिया में महिला बाल विकास विभाग के एक बाबू पर आरोप लग रहे हैं कि बाबू द्वारा खुलेआम लेनदेन किया जा रहा है। वहीं पिछोर में प्रभारी परियोजना अधिकारी पर अपनी जेवरानी का आंगनवाड़ी कार्यकर्ता में फर्जी तरीके से नाम शामिल करने के भी आरोप लगे हैं। इसके अलावा बदरवास सहित अन्य तहसीलों में आंगनवाड़ी भर्ती प्रक्रिया में धांधली की बात सामने आ रही है।
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नियम के अनुसार नहीं चस्पा की अंतिम सूची
नियम के अनुसार आंगनवाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिकाओं की भर्ती प्रक्रिया में आवेदन जमा होने के बाद एक बैठक का आयोजन किया जाता है और इस बैठक के तुरंत बाद चयनित कार्यकर्ताओं की अंतिम सूची कार्यालय पर चस्पा कर दी जाती है, लेकिन जिला मुख्यालय पर देखने में आया है कि शहर के सभी वार्डों को सूची को एक साथ चस्पा न करते हुए प्रतिदिन एक-दो वार्डों की सूची को चस्पा किया जा रहा है। बताया जा रहा है कि यह सब पैसों के लेनदेन के चलते हो रहा है। सूत्रों की मानें तो उक्त खेल को विभाग 15 वर्षों से जमे एक बाबू द्वारा अंजाम दिया जा रहा है। 

अंतिम सूची को गुप्त रखने का प्रयास
जब विभाग में आंगनवाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिकताओं के रिक्त पदों की विज्ञप्ति जारी हुई थी तो कार्यालय के माध्यम से एक बड़े पेपर में उक्त विज्ञप्ति को प्रकाशित कराया गया था, लेकिन सूत्रों से जो जानकारी सामने आ रही है वह बेहद ही आश्चर्यजनक है कि विभाग द्वारा चयनित अभ्यार्थियों की अंतिम सूची जारी की गई तो इस सूची की विज्ञप्ति को एक साप्ताहिक समाचार पत्र में प्रकाशित कराया गया जिससे कि आम लोगों तक उक्त सूची पहुंच ही नहीं पाए। नियम के अनुसार अंतिम सूची जारी होने के बाद सात दिन के भीतर कोई भी आवेदक आपत्ति दर्ज करा सकता है, लेकिन जब किसी को सूची की जानकारी निर्धारित समय निकल जाने के बाद पता चलेगा तो वह आपत्ति कैसे दर्ज कराया। 

इस तरह अंजाम दिया जा रहा है फर्जीवाड़े को
आंगवाड़ी भर्ती प्रक्रिया में सबसे पहले आवेदकों द्वारा संबंधित परियोजना कार्यालय पर आवेदन जमा कराए जाते हैं इसके बाद परियोजना अधिकारी द्वारा मैरिट की नोटसीट तैयार की जाती है। खासबात यह है कि मैरिट तैयार में करने में आवेदकों को कुछ प्रमाणपत्रों के अलग से नंबर दिए जाते हैं जैसे कि महिला विधवा, तलाकशुदा, विकलांक हो तो इसके उसे अलग से नंबर दिए जाएंगे इसके अलावा बीपीएल कार्ड, सामाजिक वर्क सहित अन्य के 10-10 व 5-5 नंबर दिए जाते हैं जिसके बाद मैरिट लिस्ट तैयार होती है। सूत्रों की मानें तो जिन आवेदकों से सांठगांठ की गई है उन्हें इन प्रमाण पत्रों को फर्जी तरीके से तैयार कर लाभ पहुंचाया गया है। आवेदकों की मानें तो उन्हें इस बात की कोई जानकारी ही नहीं है कि प्रमाण पत्रों के अतिरिक्त नंबर दिए जाते हैं।

15 वर्ष से अधिक समय से जमा है कर्मचारी
बताया जा रहा है कि महिला बाल विकास विभाग में नरेश सिनोरिया 15 वर्षों से भी अधिक समय से जमे हुए हैं। नियम के अनुसार शासकीय विभाग में निर्धारित समय के बाद कर्मचारियों का स्थानांतरण होना होता है, लेकिन श्री सिनोरिया अपनी ऊंची पहुंच के चलते एक ही स्थान पर डटे हुए हैं।

पिछोर परियोजना अधिकारी पर फर्जीवार्ड का आरोप
पिछोर में महिला बाल विकास द्वारा नगर एवं ग्रामीण क्षेत्रों में आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं एवं सहायिका की भर्ती की गई। भर्ती प्रक्रिया में प्रभारी परियोजना अधिकारी श्रीमती आरती सोनी पर आरोप लगे हैं कि उनके द्वारा नियमों को ताक पर रखकर अवैधानिक तरीके से अपात्रों को आंगनवाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिका हेतु पात्र घोषित कर दिया है। बताया जाता है कि आरती सोनी द्वारा अपने पद का दुरुपयोग करते हुए अपनी देवरानी को वार्ड क्रमांक 8 पिछोर में कार्यकर्ता हेतु फर्जी तरीके से नियुक्त करने हेतु पात्रता में रखा है जो गलत है। देवरानी का विगत दो तीन माह पूर्व ही सिर्फ कार्यकर्ता की भर्ती हेतु अधिकारियों से मिलकर गलत तरीके से बीपीएल का कार्ड बनवाया है जो कि अपने आप ही यह सिद्ध करता है कि प्रभारी परियोजना अधिकारी द्वारा नगर एवं ग्रामीण में जितने भी पद कार्यकर्ता एवं सहायिकाओं के थे सभी पर अपात्रों को पात्रता प्रदान कर दी गई है। 

बदरवास में भी फर्जीवाड़े की तैयारी 
बदरवास में आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के आवेदन जमा होने के बाद एसडीएम, परियोजना अधिकारी सहित अन्य अधिकारियों की एक आवश्यक बैठक होना थी, लेकिन अभी कोई भी जिम्मेदार यह बताने को तैयार नहीं है कि उक्त बैठक आयोजित हो गई है, लेकिन गुप्त सूत्रों की मानें तो अधिकारियों द्वारा गुपचुप तरीके से बैठक आयोजित कर ली गई है। बताया जा रहा है कि उक्त अधिकारी इसलिए बैठक का खुलासा नहीं कर रहे क्योंकि बैठक का खुलासा होने के बाद उन्हें चयनित उम्मीदवारों की सूची चस्पा करना पड़ेगी, लेकिन जिम्मेदार अपने निजी स्वार्थ के चलते बैठक का खुलासा नहीं कर रहे हैं और वह उम्मीदवारों से सांठगांठ करने में जुटे हुए हैं और उन्हीं उम्मीदवारों को चयनित सूची में शामिल करने वाले हैं जिनसे सांठगांठ को चुकी है। सूत्रों का तो यहां तक कहना है कि एक वरिष्ठ नेता द्वारा सूची में जो उम्मीदवार प्रथम आए हैं उन्हीं से पैसे वसूले जा रहे हैं।


क्या कहते हैं अधिकारी
-बैठक का आयोजन हो चुका है और हमारे द्वारा शहर की आंगनवाड़ी भर्ती की अंतिम सूची संबंधित को सौंप दी गई है।
एसडीएम रूपेश उपाध्याय
-जब महिला बाल अधिकारी अधिकार से 9407212306 पर संपर्क किया गया तो उनका कहना था कि मैं अभी आपको इस संबंध में कोई जानकारी नहीं दे सकती हूं।
ममता चतुर्वेदी
महिला बाल विकास अधिकारी

                                                             पूनम पुरोहित 

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