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MP में सातवें वेतनमान के आदेश पर विवाद, मचा हड़कंप

MP में सातवें वेतनमान के आदेश पर विवाद, मचा हड़कंप

भोपाल. लगभग पांच माह के लंबे इंतजार के बाद उच्च शिक्षा विभाग ने शासकीय महाविद्यालयों और विवि के शिक्षकों और उनके समतुल्य को सातवें वेतनमान का लाभ देने संबंधी आदेश सोमवार को जारी तो किए, लेकिन इस आदेश के जारी होते ही गंभीर विवाद की स्थिति बन गई है। सातवें वेतनमान के इस आदेश में इतनी गंभीर त्रुटियां हैं कि विवि शिक्षकों में आक्रोश है। इस आदेश को उन्होंने अन्यायपूर्ण बताया है।

विवि शिक्षक संघ के अध्यक्ष प्रो. एसके मिश्रा के अनुसार पूर्व में जितने भी वेतनमान संबंधी आदेश जारी हुए हैं उनमें विवि के शिक्षकों के वेतनमान और विवि के अधिकारियों को वेतन दिए जाने संबंधी अलग से एवं स्पष्ट उल्लेख किया जाता था। इस बार जो आदेश उच्च शिक्षा विभाग ने जारी किए हैं उसमें मात्र कुलसचिव के ही वेतन का उल्लेख है। इसमें न तो विवि शिक्षकों और न ही कुलपति के वेतन की जानकारी दी गई है।

साइट से हटाया आदेश
हालांकि उच्च शिक्षा विभाग ने देर रात विभाग की वेबसाइट से इस आदेश का वापस ले लिया। माना जा रहा है कि विभाग को भी इन त्रुटियों की जानकारी मिली है। ऐसे में अब संशोधित आदेश जारी किया जाएगा।

वेतन के आकलन में भी गड़बड़ी

प्राध्यापकों के वेतन के आंकलन में भी बड़ी गड़बड़ी हुई है। जानकारी के अनुसार 9000 एजीपी के शिक्षकों को 2.57 के गुणांक के आधार पर वेतन निर्धारित किया जाना था। जबकि 10 हजार एजीपी और उससे अधिक के शिक्षकों एवं अधिकारियों का वेतन 2.67 के गुणांक के आधार पर, लेकिन विभाग ने सभी के वेतन का निर्धारण 2.57 के गुणांक के आधार पर कर दिया। ऐसे में 10 हजार एजीपी और उससे अधिक वालों को लगभग 10 से 15 हजार रुपए मासिक का नुकसान होगा।

उच्च शिक्षा विभाग द्वारा यूजीसी सातवें वेतनमान का सोमवार को जारी आदेश गंभीर त्रुटिपूर्ण और पक्षपातपूर्ण है। विवि शिक्षक संघ इसका घोर विरोध करता है। यह विवि शिक्षकों के साथ अन्याय है।
प्रो. एसके मिश्रा, अध्यक्ष विवि शिक्षक संघ

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