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विधायकों को कम मिलेगा सवाल पूछने का मौका

विधायकों को कम मिलेगा सवाल पूछने का मौका

एक विभाग के दो से ज्यादा सवालों पर नहीं हो पाएगी चर्चा
– पहले दिन सदन में ९ मंत्री देंगे जवाब, – मंत्रियों के जबाव देने की तिथि निर्धारित

भोपाल। अगले माह की १८ फरवरी से शुरू हो रहे विधानसभा के बजट सत्र में विधायकों को सवाल पूछने का मौका कम ही मिल पाएगा। छोटा सत्र होने के कारण एक विभाग के दो से अधिक सवालों पर चर्चा नहीं हो सकेगी। पहले दिन ९ मंत्री अपने विभागों के सवालों का जवाब देंगे। विधानसभा सचिवालय ने मंत्रियों को सदन में जवाब देने के लिए तिथि निर्धारित कर दी है। यदि विभागों की बात करें तो इस दिन १४ विभागों के जबाव आएंगे।

 
चार दिवसीय विधानसभा सत्र में एक दिन अवकश रहेगा, यानी सदन की बैठक सिर्फ तीन दिन होगी। एक घंटे के प्रश्नकाल में कुल २५ सवालों पर ही चर्चा होती है। आमतौर पर पूरे २५ सवालों पर चर्चा सदन में नहीं हो पाती। एेसा इसलिए भी होता है क्योंकि कई बार कुछ सवालों पर प्रति प्रश्न अधिक हो जाते हैं, या फिर विभाग का जवाब लम्बा होता है। इस तरह १८ से २० सवालों पर ही चर्चा हो पाती है। यदि पूरे २५ सवाल भी पूछे गए तो एक विभाग के लिए दो सवालों का मौका विधायकों को मिलेगा। विधानसभा सचिवालय ने सवाल पूछने के लिए विभागवार जानकारी विधायकों को भेज दी है।
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पहले दिन ये मंत्री देंगे जबाव –
सत्र के पहले दिन बाला बच्चन, आरिफ अकील, कमलेश्वर पटेल, लखन घनघोरिया, उमंग सिंगार, जयवर्धन सिंह, जीतू पटवारी, इमरती देवी और महेन्द्र सिंह सिसोदिया को अपने विभागों के जबाव देने का मौका मिलेगा। इन्हीं मंत्रियों के लिए सत्र के आखिरी दिन यानी २२ फरवरी का समय भी निर्धारित किया गया है। दूसरे दिन २१ विभागों के ८ मंत्री अपने विभागों से जुड़े सवालों के जबाव देंगे।
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मंत्रालय में नहीं पहुंचे सवाल –
विधानसभा सत्र की अधिसूचना जारी हुए तीन दिन बाद भी विधायकों ने सवाल पूछने के मामले में सक्रियता नहीं दिखाई है। राज्य सरकार को भी सवालों का इंतजार है। विधानसभा सचिवालय ने भी पिछले बार की तरह इस बार सवालों के लिए ऑनलाइन व्यवस्था ही लागू रखी है। लेकिन सवालों के आने का सिलसिला शुरू नहीं हुआ है।
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कम होती जा रही हैं सदन की बैठकों –
पिछले दो दशक की बात करें तो सदन की बैठकों की संख्या में लगातार कमी आई है। आश्चर्य यह भी है कि निर्धारित समय के पहले सदन की कार्यवाही स्थगित हो जाती है। नव गठित १५वीं विधानसभा की बात करें तो पहला सत्र पांच दिन का था, लेकिन चार दिन में बैठक स्थगित कर दी गई। १४वीं विधानसभा का विदाई सत्र तो कड़वाहट भरा रहा। समय के पहले सत्र स्थगित हो जाने के विरोध में तत्कालीन विपक्षी दल कांग्रेस ने समानांतर विधानसभा की बैठकें की थीं। आरोप लगाए कि सरकार सदन में चर्चा से बचना चाहती है।
वर्जन –
चार दिवसीय सत्र में तीन दिन बैठक के लिए निर्धारित हैं। सत्र की अवधि बढ़ाई जाना चाहिए, जिससे सदन में अधिक से अधिक विषयों पर चर्चा हो सके। इस संबंध में मैंने राज्यपाल आनंदी बेन और विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति को पत्र भी लिखा है। लोकहित से जुड़े सवाल पूछना विधायकों का अधिकार है, उन्हें इसका पूरा अवसर मिलना चाहिए। किसानों के कर्ज माफी, समर्थन मूल्य सहित कई अहम विषयों पर चर्चा होना है, लेकिन इतने कम समय में इन पर चर्चा कैसे हो पाएगी।
– गोपाल भार्गव, नेता प्रतिपक्ष

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