
गुजरात, झारखंड के बाद अब उत्तर प्रदेश में भी लागू, हिमाचल और उत्तराखंड में चल रही प्रक्रिया
राजस्थान में केंद्र की अधिसूचना के बाद कैबिनेट की बैठक भी हो चुकी, लेकिन इसके बाद चर्चा नहीं
जयपुर. गरीब सवर्णों को आर्थिक आधार पर 10% आरक्षण देने में भाजपा शासित राज्य लगातार रुचि दिखा रहे हैं। गुजरात और झारखंड के बाद अब उप्र ने भी यह आरक्षण लागू कर दिया। लेकिन, राजस्थान सहित कांग्रेस शासित अन्य राज्यों में सरकारें असमंजस में हैं। प्रदेश में कार्मिक, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग से लेकर मंत्री तक को सवर्ण आरक्षण को लेकर कुछ भी नहीं पता है। केंद्र की अधिसूचना के बाद प्रदेश में कैबिनेट की बैठक भी हो चुकी है। लेकिन, इस पर कोई चर्चा नहीं हुई।
राठौड़ ने उठाया सदन में मुद्दा
- भाजपा में सदन के उपनेता राजेंद्र राठौड़ ने राज्यपाल के अभिभाषण पर बोलते हुए सवर्ण आरक्षण का मुद्दा सदन में उठाया था। राठौड़ ने कहा कि फेडरेल सिस्टम के तहत 10 फीसदी आरक्षण लागू करने के लिए राज्य सरकार को केंद्र सरकार का आभार जताना था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि तब कांग्रेस की सरकार ने जुमलेबाजी की थी, आज केंद्र की भाजपा सरकार ने उसे यथार्थ में लागू कर दिया। प्रदेश में इसे कब लागू किया जाएगा। किसी को पता नहीं। संबंधित विभाग के मंत्री कुछ बोल रहे हैं।
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- उत्तर प्रदेश में इन्हें मिलेगा लाभजिनकी सालाना आय आठ लाख रु. से कम हो जिनके पास पांच एकड़ से कम खेती की जमीन हो जिनके पास 1000 वर्ग फीट से कम का घर हो जिनके पास निगम क्षेत्र में 100 वर्ग गज से कम अधिसूचित जमीन हो जिनके पास निगम क्षेत्र में 200 वर्ग गज से कम गैर अधिसूचित जमीन हो
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आरक्षण लागू करने के 4 चरण
राज्य सरकार पहले केंद्र सरकार के नोटिफिकेशन के आधार पर प्रस्ताव तैयार करेगी। फिर विधि विभाग को भेजेगी। विधि विभाग से प्रस्ताव मंजूर होने के बाद यह कैबिनेट में भेजा जाएगा। मंत्रिमंडल यह प्रस्ताव मंजूर करेगा। कार्मिक विभाग नोटिफिकेशन जारी कर आरक्षण लागू करेगा।
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हिमाचल व उत्तराखंड में चल रही प्रक्रिय
भाजपा शासित हिमाचल में शनिवार को कैबिनेट बैठक में आरक्षण लागू करने पर निर्णय होगा। उत्तराखंड के सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत भी इसे लागू करने की बात कह चुके हैं।
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डीएमके ने मद्रास हाईकोर्ट में दी चुनौती
कोर्ट में दायर याचिका में संगठन सचिव आरएस भारती ने कहा है कि आर्थिक आधार पर आरक्षण के लिए किए गए संविधान संशोधन पर अंतरिम तौर पर रोक लगे। शुक्रवार को गरीब सवर्णों को सरकारी नाैकरियों और शिक्षण संस्थानों में प्रवेश के लिए 10 फीसदी आरक्षण देने के खिलाफ मद्रास हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है। याचिका में अपील की गई है कि आर्थिक आधार पर आरक्षण देने के लिए हाल ही में किए गए संविधान संशोधन पर अंतरिम तौर पर रोक लगे। डीएमके की दलील है कि आरक्षण ‘गरीबी हटाओ’ कार्यक्रम नहीं है। आरक्षण सदियों से शिक्षा या रोजगार हासिल न कर पाने वाले वंचित समुदायों के उत्थान के लिए दिया जाता है।