
किसानों की कर्ज माफी एक बार फिर से चर्चा में तब आई जब पिछले साल दिसबंर में मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनी. कांग्रेस ने इन तीनों राज्यों में चुनाव के दौरान किसानों की कर्ज माफी का वादा किया था. वादे के मुताबिक तीनों राज्यों की कांग्रेस सरकारों ने सरकार बनाते ही पहले काम के रूप में किसानों के कर्ज माफी की घोषणा की.
रिपोर्ट के मुताबिक तब कई किसानों को आंशिक कर्जमाफी ही मिल पाई थी. कई किसान तकनीकी गड़बड़ियों की वजह से कर्जमाफी का लाभ भी नहीं उठा पाए थे. योगी सरकार इस सर्वे के द्वारा ऐसे किसानों की पहचान करने की कोशिश कर रही है. अगर योगी सरकार इस कदम को अमली जामा पहनाती है तो लोकसभा चुनाव से पहले किसानों को लुभाने की कोशिश में इसे बड़ी कवायद के तौर पर देखा जाएगा.
बता दें कि 2017 में सरकार बनते ही योगी कैबिनेट ने सीमांत किसानों का एक लाख तक का कर्ज माफ करने का फैसला लिया था. राज्य सरकार ने इसके लिए 32 हजार करोड़ रुपये के बजट की घोषणा की थी. किसानों की कर्ज माफी एक बार फिर से चर्चा में तब आई जब पिछले साल दिसबंर में मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनी. कांग्रेस ने इन तीनों राज्यों में चुनाव के दौरान किसानों की कर्ज माफी का वादा किया था. वादे के मुताबिक तीनों राज्यों की कांग्रेस सरकारों ने सरकार बनाते ही पहले काम के रूप में किसानों के कर्ज माफी की घोषणा की. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने इसे कांग्रेस की प्रो-फार्मर छवि के रूप में पेश किया.किसानों की कर्ज माफी के बाद राहुल ने कहा कि उन्होंने जो कहा है वो कर दिखाया है. राहुल ने कहा कि अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी किसानों का कर्ज माफ करना चाहिए. राहुल ने यह कह बीजेपी पर दबाव बढ़ा दिया कि अगर मोदी कर्ज माफ नहीं करते हैं तो वह 2019 में सत्ता में आने के बाद किसानों को कर्ज माफी की सौगात देंगे. राहुल ने कहा था, “मोदी जब तक देश के किसानों का कर्ज माफ नहीं करेंगे, तब तक हम उन पर इतना दबाव डालेंगे कि उन्हें सोने नहीं देंगे और कर्ज माफ करवाकर रहेंगे.”मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में हार के बाद बैकफुट पर आई बीजेपी नेतृत्व ने कई मौकों पर कर्ज माफी के प्रस्ताव पर विचार मंथन किया था. हाल ही में झारखंड की बीजेपी सरकार ने किसानों को राहत देते हुए उनके खाते में सीधे 5 हजार रुपये ट्रांसफर करने का ऐलान किया है.