भोपाल। एससी एसटी एक्ट और जातिगत आधार पर आरक्षण के खिलाफ मध्यप्रदेश में काफी उबाल है। इसके चलते जहां सवर्णों की ओर से लगातार 6 सितंबर के बंद की घोषणा की जा रही है। वहीं सरकार भी इंटेलिजेंस के इनपुट के बादर सतर्क हो गई है।
सवर्णों का विरोध चंबल-ग्वालियर से होता हुआ मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल तक आ पहुंचा है। वहीं बंद की तैयारियों व विरोध प्रदर्शन को लेकर कई व्हाट्सएप ग्रुप भी तैयार कर लिए गए हैं। सरकार की सतर्कता को देखते हुए जहां सवर्ण मान रहे हैं कि किसी भी विरोध प्रदर्शन से एक दिन पहले सरकार नेट बंद करने की स्थिति में आ सकती है। वहीं अपनी तैयारियों को अंजाम देने के लिए सवर्णों की ओर से पूर्व में ही तैयारियों के मैसेज चलाए जा रहे हैं।
एससी एसटी एक्ट और जातिगत आधार पर आरक्षण के खिलाफ उबल रहे मध्यप्रदेश में इन दिनों कई नेता हड़कंप में हैं, जिसके चलते चुनावी तैयारी शुरू होने के बावजूद उन क्षेत्रों में जाने से कतरा रहे हैं। जहां उन्हें सवर्णों के विरोध का शक भी है।
ऐसे की जा रही तैयारी:
सूत्रों का कहना है एक ओर जहां सवर्णों ने अब तक अपनी रणनीति स्पष्ट नहीं की है, वहीं ये सोशल साइट में भी कुछ निश्चित तरीकों से अपनी तैयारी में जुटे हुए हैं।
सूत्रों का कहना है एक ओर जहां सवर्णों ने अब तक अपनी रणनीति स्पष्ट नहीं की है, वहीं ये सोशल साइट में भी कुछ निश्चित तरीकों से अपनी तैयारी में जुटे हुए हैं।
इन्हें शक है कि इनके आंदोलन को कुचलने सरकार किसी भी हद तक आ सकती है। ऐसे में इन्होंने ये व्यवस्था तक कर ली है कि यदि इंटर नेट तक बंद कर दिया जाए तो भी ये अपनी सूचनाएं दूसरों तक पहुंचा देंगे।
वहीं इसकी कुछ हद तक भनक खुफिया एजेंसियों को भी लगी है। लेकिन सूत्रों के अनुसार अब तक खुफिया एजेंसी उन तरीकों के बारे में जानने में नाकामयाब रही है। जिसके चलते नेताओं सहित एजेंसी का तनाव बड़ा हुआ है।
वहीं अपने विरोध को देखते हुए मध्यप्रदेश के भिंड, मुरैना ग्वालियर सहित प्रदेश के कई जिलों में इन दिनों नेता जाने से बचते हुए आसानी से देखे जा सकते हैं। जबकि पूर्व में इन क्षेत्रों में पहुंचे नेताओं को भारी विरोध का सामना करना पड़ा था, जहां से वे जैसे तैसे भाग सके थे।
वहीं अब सवर्णों का ये आंदोलन मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल तक भी आ पहुंचा है। दरअसल ग्रामीण इलाकों से शुरू हुआ विरोध प्रदर्शन पिछले 3 दिनों से शहरी इलाकों में दिखाई दे रहा था। अब मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल तक आ पहुंचा है। इसी के तहत बैरसिया में बैनर लगाया गया है कि यह गांव सामान्य वर्ग का है, कृपया वोट ना मांगें।
चुनाव से पहले घबराहट…
दरअसल एसटी-एससी एक्ट के पारित होने के बाद मध्यप्रदेश में सवर्ण समाज के कई संगठन इसके विरोध में आ गए हैं। सूत्रों के अनुसार एक ओर जहां कुछ संगठन मुखर हो चुके हैं, वहीं प्रदेश की राजधानी भोपाल सहित कई जगहों पर संगठन सरकार को मजा चखाने की फिराक में हैं। ये संगठन सामने न आकर केवल अंदरुनी तौर पर तैयारी कर रहे हैं।
दरअसल एसटी-एससी एक्ट के पारित होने के बाद मध्यप्रदेश में सवर्ण समाज के कई संगठन इसके विरोध में आ गए हैं। सूत्रों के अनुसार एक ओर जहां कुछ संगठन मुखर हो चुके हैं, वहीं प्रदेश की राजधानी भोपाल सहित कई जगहों पर संगठन सरकार को मजा चखाने की फिराक में हैं। ये संगठन सामने न आकर केवल अंदरुनी तौर पर तैयारी कर रहे हैं।

वहीं इस बीच नोटा को वोट को लेकर सोशल मीडिया पर काफी बहस चल रही है। इससे डर कर कई नेता नोटा को अनुपयोगी बताने की कोशिश कर रहे हैं जबकि सवर्ण समाज और सामान्य वर्ग के लोग नोटा पर ही अडिग दिख रहे हैं।
वहीं दूसरी ओर कुछ क्षेत्रों में ये संगठन मुखर होकर सामने आ गए हैं, जिसके चलते राजनीति क्षेत्र में हड़कंप मच गया है। दरअसल ग्वालियर-चंबल संभाग में सवर्ण समाज के अनेक संगठन एक मंच पर आ रहे हैं।
यह भाजपा और कांग्रेस का तीखा विरोध कर रहे हैं। संसद में एसटी-एससी एक्ट के पारित होने के बाद मप्र में सबसे ज्यादा उबाल इसी क्षेत्र में दिखाई दे रहा है।
इसी के चलते शनिवार को गुना में केंद्रीय मंत्री थावरचंद्र गहलोत को भारी विरोध का सामना करना पड़ा। वहीं इससे पहले गुरुवार को अशोकनगर में सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के विरोध के बाद शुक्रवार को मुरैना में जिस तरह भाजपा सांसद प्रभात झा का तीखा विरोध हुआ।
प्रदेश में चुनाव से ठीक पहले सामने आ रहे इन विरोधों को देखते हुए राजनैतिक दलों में भोपाल से लेकर दिल्ली तक टेंशन का माहौल बना दिया है। वहीं जानकारी के अनुसार ग्वालियर में तो सड़क पर उतरकर विरोध करने करणी सेना, परशुराम सेना, गुर्जर महासभा ने हाथ मिला लिया है।
जबकि भोपाल के ग्राम कढैया कलां तहसील बैरसिया में एक बैनर लगाया गया है। जिस पर लिखा है कि यह सामान्य वर्ग का गांव है, कृपया राजनीतिक पार्टियां वोट मांग कर हमें शर्मिंदा न करें ….हम अपना वोट नोटा को देंगे…। बता दें कि इस तरह के बैनर मध्यप्रदेश के कई गावों में लगे हुए हैं। कुछ घरों में दरवाजे पर इसी तरह का नोट चिपका दिया गया है।
खुफिया एजेंसियां परेशान…
सूत्रों के अनसार अलर्ट होने के बाद की गई तमाम कोशिशों के बावजूद सवर्णों की पूरी रणनीति बाहर नहीं आने से खुफिया एजेंसियां भी परेशान बनी हुईं हैं।
इसके अलावा बताया जाता है कि गुना, अशोकनगर व मुरैना के अलावा ग्वालियर-चंबल संभाग की घटनाओं ने भाजपा-कांग्रेस सहित खुफिया एजेंसियों को सकते में डाल दिया है।
सूत्रों के अनसार अलर्ट होने के बाद की गई तमाम कोशिशों के बावजूद सवर्णों की पूरी रणनीति बाहर नहीं आने से खुफिया एजेंसियां भी परेशान बनी हुईं हैं।
इसके अलावा बताया जाता है कि गुना, अशोकनगर व मुरैना के अलावा ग्वालियर-चंबल संभाग की घटनाओं ने भाजपा-कांग्रेस सहित खुफिया एजेंसियों को सकते में डाल दिया है।
वहीं अब इस क्षेत्र में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को जन आशीर्वाद यात्रा लेकर जाना है और कांग्रेस को भी अपनी चुनावी सभाएं करनी हैं। खुफिया एजेंसियों के लिए सबसे बड़ी समस्या ये सामने आ रही है कि इस आंदोलन का कोई नेता उन्हें समझ नहीं आ रहा है साथ ही विरोध प्रदर्शन करने वाले किसी को भी अपना नेता मानने तैयार नहीं हैं।
इंटेलिजेंस की जगह पुलिस पर भरोसा!…
सूत्रों के अनुसार इंटेलिजेंस एजेंसियों को आंदोलन का पूरा इनपुट नहीं मिलने के चलते सरकार ने एक बार फिर मामला पुलिस पर छोड़ दिया है। वहीं खुफिया एजेंसी लगातार सूचानाएं जुटाने में लगी हुई हैं। और इसकी जानकारी पुलिस तक पहुंचा रही हैं।
सूत्रों के अनुसार इंटेलिजेंस एजेंसियों को आंदोलन का पूरा इनपुट नहीं मिलने के चलते सरकार ने एक बार फिर मामला पुलिस पर छोड़ दिया है। वहीं खुफिया एजेंसी लगातार सूचानाएं जुटाने में लगी हुई हैं। और इसकी जानकारी पुलिस तक पहुंचा रही हैं।
इसी के चलते ग्वालियर में एससी/एसटी एक्ट के विरोध में विभिन्न संगठनों द्वारा धरना, प्रदर्शन एवं जुलूस के आहवान को देखते हुए जिला प्रशासन सतर्क हो गया है। पुलिस ने जहां हर संभावित स्थिति से सूचना मिलने पर निपटने के लिए तैयारी कर ली है, वहीँ जिला कलेक्टर भी विभिन्न संगठनों के वरिष्ठ नेताओं से शांति बनाये रखने की अपील कर रहे हैं।
वहीं हालात को देखते हुए ग्वालियर कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी अशोक कुमार वर्मा ने जिले में आयुध अधिनियम 1959 के तहत जारी सभी शस्त्र लायसेंस अनुज्ञप्तियां, आयुध अधिनियम 1959 की धारा-17-ख में प्रदत्त अधिकारों के तहत तत्काल प्रभाव से 11 सितम्बर 2018 को रात्रि 12 बजे तक के लिये निलंबित किए जाने के आदेश दे दिए हैं।
जबकि सूत्रों का यहां तक कहना है कि आखिर सवर्ण इस दौरान किस प्लानिंग पर कार्य करेंगे, इसकी जानकारी नहीं होने से पुलिस प्रशासन सहित सभी असमंजस्य की स्थिति में बने हुए हैं।
वहीं अपर जिला दण्डाधिकारी ने आदेश में कहा गया है कि माननीय न्यायाधिपति, न्यायाधीश, प्रशासनिक अधिकारी, शासकीय अभिभाषक, सुरक्षा एवं अन्य किसी शासकीय कर्तव्य के पालन के समय ड्यूटी पर लगाए गए सुरक्षा बलों एवं अर्द्धसैनिक बलों, विशिष्ट व्यक्तियों/अधिकारियों की सुरक्षा में लगाए गए पुलिसकर्मी के साथ ही सरकारी अस्प्ताल, निजी अस्प्ताल, नर्सिंग होम सहित अति आवश्यक सेवायें एवं शैक्षणिक सेवायें, बैंक एवं शासकीय-अर्द्धशासकीय एवं निगम मण्डल आदि के कार्यालयों की सुरक्षा में लगे कर्मचारी इससे प्रभावित नहीं होंगे।
जानकारों के अनुसार कुल मिलाकर सरकार के सामने स्थिति काफी परेशान करने वाली बनी हुई है। विरोध को लेकर कई तरह की अफवाहें भी सामने आ रही हैं। जिन्होंने परेशानी को ओर ज्यादा बड़ा दिया है।
वहीं चुनावों से ठीक पहले पैदा हुई इस स्थिति से निपटने के लिए कई तरह से प्यास किए जा रहे हैं। लेकिन सामने आ रही स्थिति को देखते हुए कई नेताओं में हड़कंप जैसी स्थिति भी बन गई है यानि वे ये नहीं समझ पा रहे की वे किस ओर या किस पाले में जाएं।