भोपाल। चौदहवीं विधानसभा की शुरुआत सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच कड़वाहट से हुई थी। अंतिम सत्र जुलाई तक यह सद्भावना में नहीं बदल सका और हर विधानसभा में सभी विधायकों का संयुक्त फोटो सेशन तक के लिए सत्तापक्ष, विपक्ष को सहमत नहीं कर सका।
आज भी विपक्ष, सत्तापक्ष को तानाशाही से कार्यवाही चलाने का आरोप लगा रहा है। यही वजह है कि चौदहवीं विधानसभा के 18 सत्रों की 187 दिन की अवधि में 50 दिन विपक्ष की नाराजगी के बाद हुए शोरशराबे से विधानसभा समय से पहले ही समाप्त कर दी गई।
मध्यप्रदेश विधानसभा में सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच आमतौर पर सद्भावना का माहौल रहा है। मगर तेरहवीं विधानसभा के अंतिम कुछ सत्रों से दोनों पक्षों के बीच मतभेद शुरू हुए थे जिसमें 2011 का अविश्वास प्रस्ताव काफी अहम रहा है। इसके बाद 2012 में विपक्ष के दो सदस्यों की बर्खास्तगी और 2013 में अविश्वास प्रस्ताव के दौरान कांग्रेस विधायक दल के उप नेता चौधरी राकेश सिंह चतुर्वेदी के भाजपा में चले जाने पर दोनों पक्षों में दूरी बढ़ी।
चौदहवीं विधानसभा में तेरहवीं विधानसभा की कड़वाहट साथ आई। नेता प्रतिपक्ष बने सत्यदेव कटारे ने शुरुआत से ही तीखे तेवर अपनाकर सदन में सरकार को घेरा। पीएससी से लेकर व्यापमं के मुद्दे पर कटारे ने 2014 से ही सरकार की विधानसभा में घेराबंदी की। इसके बाद चुनावी वर्ष शुरू हो जाने पर 2018 में यह कड़वाहट और बढ़ गई। बजट सत्र और मानसून सत्र में प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस ने हमले तेज कर दिए।
मंत्री रामपाल सिंह के मामले में स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा नहीं कराए जाने से कांग्रेस विधायक नाराज हुए। वहीं अविश्वास प्रस्ताव लाए जाने के बाद सत्तापक्ष उस पर चर्चा कराने से बची तो कांग्रेस विधायक दल ने हंगामा मचाया और विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीतासरन शर्मा पर ही आरोप लगा दिए।
परंपरा टूटती नजर आ रही
हर विधानसभा में अंतिम सत्र या किसी भी दिन विदाई कार्यक्रम में संयुक्त फोटो सेशन की परंपरा रही है। चौदहवीं विधानसभा में ऐसा संभव नजर नहीं आ रहा है। नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह यह कह चुके हैं कि विधानसभा के किसी भी कार्यक्रम में कांग्रेस विधायक नहीं शामिल होंगे।
तानाशाही से काम किया
सत्तापक्ष के ऊपर दायित्व होता है सबको साथ लेकर चलने का। जिस तानाशाहीपूर्ण तरीके से काम किया है, स्वाभाविक है कि कड़वाहट तो रहेगी।
– अजय सिंह, नेता प्रतिपक्ष मप्र विधानसभा
कड़वाहट नहीं है
विधानसभा में प्रजातांत्रिक तरीके से कार्यवाही होती है। कोई कड़वाहट नहीं है। हर चीज को राजनीतिक एंगल से नहीं देखना चाहिए।
– डॉ. नरोत्तम मिश्रा, संसदीय कार्य मंत्री
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