भाजपा ने विधानसभा चुनावों में इनको प्रमुख मुद्दों के तौर पर शामिल किया है साथ ही पिछड़ा वर्ग मोर्चा और एससी मोर्चा को पूरे प्रदेश में इसके प्रचार-प्रसार में जुटा दिया है। – दलितों को लुभाने की कवायद – एससी-एसटी एक्ट में संशोधन कर सरकार ने दलितों को खुश करने की कोशिश की है। प्रदेश में २१ फीसदी आदिवासी और १७ फीसदी अनुसूचित जाति की आबादी है।
प्रदेश में एससी-एसटी की ८२ सीटें हैं और ये सीटें तय करती हैं कि प्रदेश में किसकी सरकार बनेगी। कानून पर सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन आने के बाद दो अप्रैल को हुए भारत बंद में सबसे ज्यादा हिंसा मध्यप्रदेश में हुई थी। प्रदेश के दलित भाजपा नेता भी सरकार से नाराज थे, चुनावी समय में दलितों की नाराजगी भाजपा के लिए मुश्किलें बढ़ा सकती थी इसीलिए सरकार ने कानून में संशोधन कर उनको लुभाने की कोशिश की है। इसके व्यापक प्रचार प्रसार का जिम्मा प्रदेश में एससी मोर्चा को सौंपा गया है।
– पिछड़ा वर्ग को साधने की कोशिश – पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देकर केंद्र सरकार ने एक और बड़ा दांव चला है। प्रदेश में ५३ फीसदी आबादी पिछड़े वर्ग की है जो ९० से ज्यादा विधानसभा सीटों पर सीधा असर डालता है। आयोग को संवैधानिक दर्जा देने की मांग कई सालों से चली आ रही है जिसको पूरा कर भाजपा ने चुनावी फायदा उठाने की कोशिश की है। प्रदेश में इसको मुख्य चुनावी मुद्दा भी बनाया जा रहा है। पिछड़ा वर्ग मोर्चा हर जिले में सम्मेलन कर इस उपलब्धि को गिना रहा है।
– सरकार ने कानून में संशोधन कर दलित वर्ग के हितों की रक्षा की है। अब ये कानून और कड़ा कर दिया है, इस बात को मोर्चा एक-एक अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगों तक पहुंचाएगा। – सूरज कैरो अध्यक्ष,मप्र अनुसूचित जाति मोर्चा –
भाजपा सरकार ने 1955 से चली आ रही मांग को पूरा किया है, इसके लिए प्रधानमंत्री का सम्मान किया जाएगा, साथ ही प्रचार के दौरान लोगों को ये बात भी बताई जाएगी। – समीक्षा गुप्ता उपाध्यक्ष,मप्र पिछड़ा वर्ग मोर्चा –
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ओबीसी आयोग को चुनावी मुद्दा बनाएगी भाजपा
एट्रोसिटी एक्ट और ओबीसी आयोग को भाजपा बनाएगी चुनावी मुद्दा – एससी मोर्चा करने कानून में संशोधन का प्रचार – ओबीसी मोर्चा ने प्रमुख मुद्दा बनाया आयोग को संवैधानिक दर्जा
भोपाल : पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा और एससी-एसटी एक्ट में संशोधन कर केंद्र सरकार ने बड़ी आबादी को खुश करने की कोशिश की है। इसका सबसे ज्यादा असर मध्यप्रदेश के चुनाव में पडऩे वाला है, क्योंकि प्रदेश की ९० से ज्यादा सीटों पर पिछड़ा वर्ग का सीधा असर है वहीं 82 सीटें एससी और एसटी के लिए आरक्षित हैं। यानी भाजपा प्रदेश में इस तरीके से प्रदेश की तीन चौथाई आबादी को प्रभावित करने वाली है।