लोकसभा चुनावों से पहले होने वाले इन चुनावों को राजनीतिक पर्यवेक्षक बतौर सेमीफाइनल देख रहे हैं। भाजपा शासित इन तीनों ही राज्यों में उसका सीधा मुकाबला कांग्रेस से है। बीते लोकसभा चुनाव में भाजपा ने इन तीनों राज्यों की 65 सीटों में से 62 पर जीत हासिल की थी। पार्टी ने राज्यों से कहा है कि वह संसद में पारित किए गए राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग व एससी-एसटी कानून को लेकर इन वर्गों के बीच जाए और बताए कि किस तरह से भाजपा की सरकार उनके लिए पिछली कांग्रेस की सरकारों से ज्यादा प्रतबिद्धता से काम कर रही है। सूत्रों के अनुसार, यह संदेश पूरी तरह से नीचे तक पहुंचे इसके लिए केंद्रीय स्तर पर निगरानी होगी।

भाजपा के लिए बेहद अहम हैं इन तीन राज्यों के चुनाव
संसद के मानसून सत्र के बाद भाजपा ने अगले बड़े मोर्चे तीन राज्यों- मध्य प्रदेश, राजस्थान व छत्तीसगढ़ के चुनावों को लेकर अपनी तैयारियों को अमली जामा पहनाना शुरू कर दिया है। केंद्रीय नेतृत्व ने संकेत दिए हैं कि राज्यों में मजबूत क्षत्रपों के ही भरोसे नहीं रहेगी, बल्कि केंद्र से सीधी निगरानी रखी जाएगी। पार्टी महासचिव संगठन रामलाल, संयुक्त संगठन मंत्री सौदान सिंह व वी सतीश के साथ महासचिव अनिल जैन व भूपेंद्र यादव अहम भूमिका में रहेंगे।