विलेज टाइम्स समाचार सेवा।
मान्यवर, श्रीमान, माननीय, माई-बाप आखिर आप क्यों अक्षम असफल साबित हो रहे हैं। अपनी जवाबदेही सुनिश्चित करने और उत्तरदायित्व निभाने में, हमें आज भी आपसे बड़ी उम्मीद और आपमें हमारी गहरी आस्था है, आप लोग इस बात से भली भांति परिचित हैं कि हम गांव गली के लोगों ने अपने महान संविधान को अपने विधान से सर्वोच्च मान सिर्फ स्वीकार ही नहीं, उसे निस्छल भाव से अंगीकार भी किया है। जिसकी पवित्र, प्रमाणिक शपथ लें, आप लोग हमारी ताकतवर लोकतांत्रिक व्यवस्था के अंग ही नहीं, इस राष्ट्र, राज्य, नगर, शहर, गांव, गली के माई बाप भाग्य विधाता है। मगर आप लोगों के रहते आज भी हम अभाव ग्रस्त और हताश, निराश है तथा प्रकृति प्रदत्त नैसर्गिक सुविधाओ के मोहताज।
क्या आप लोगों को हमारी दुर्दशा देख, यह नहीं लगता कि किस बेरहमी से सत्ता, सोच, धन के बल पर अहम, अंहकार के बूटो तले किस बेरहमी से हमारी आशा आकाक्षांओं रौंधा जा रहा है।
हम निरअपराध बैवस लोगों ने, न तो कभी सत्ता में भागीदार, न ही ऐश्वर्य युक्त, बिलासिता पूर्ण जीवन मांगा। हम और हमारे पूर्वज तो तब भी अपने मान सम्मान, स्वाभिमान, प्रकृति प्रदत नैसर्गिक सुविधाओं शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार के लिए संघर्षरत थे। जिससे हमारा जीवन संस्कारिक लोग व जन उपयोगी विधा प्राप्त कर, स्वस्थ व जीवन निर्वहन में सार्थक सफल सिद्ध हो सके। अनादिकाल से नहीं आक्रांताओं, दुराचारी, अहंकारी, शासकों के रहते, हमारी प्रकृति प्रदत्त, समृद्ध, खुशहाल पूर्ण जीवन कंटक भरा बना रहा।
मगर जब हमारे पूर्वजों की अनगिनत कुर्बानी, पुण्याई अनवरत भीषण संघर्ष के बाद हमें अपने ही बीच के मान्यवर, श्रीमान, माननीय हमारे माई-बापों को हमारे भाग्य विधाता बनने का मौका मिला और वह एक लोकतांत्रिक प्रक्रिया के तहत सत्ता के अस्तित्व में है, फिर हमारे साथ यह जघन्य अन्याय क्यों? हमें आज भी आप लोगों से कोई शिकायत नहीं। मगर उम्मीद है कि आप हमारा भला सोच, हमारे वर्तमान, भविष्य को समृद्ध, खुशहाल बनाएंगे।
मगर सेवा कल्याण के नाम सोच, सत्ता, धन के लिए छिड़ी जंग को देखकर हम अभावग्रस्त लोग बड़े ही डरे, सहमे हैं। मगर हमें आशंका है कि आपके लक्ष्य और इरादों को लेकर।
यह सही है की हजारों वर्षों के अभावग्रस्त जीवन के बावजूद हम आज भी अस्तित्व में रह लोकतांत्रिक व्यवस्था के साक्षी है और किसी भी कठिन परिस्थितियों से संघर्ष के लिए तैयार। मगर हमारे ही बीच मौजूद नरपिचाश भेडिय़ों की शक्ल में मौजूद उन जघन्य अपराधियों का क्या करें। जो अब हमारी मां, बहिन, बहू ही नहीं, अब तो मासूम बेटियों की इज्जत भी तार-तार कर उनकी जघन्य हत्या करने से नहीं चूक रहे। आपको विदित होना चाहिए हमारी सर्वोच्च अदालत ने भी बलात्कार जैसे जघन्य अपराध पर टिप्पणी करते हुए कहा है कि हर 6 घंटे में एक बलात्कार हो रहा है राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट कहती है कि हर साल देश में 38000 से ज्यादा बलात्कार होते हैं। जिसमें मध्य-प्रदेश पहले, तो उत्तरप्रदेश दूसरे स्थान पर है। माननीय सर्वोच्च न्यायालय को तो यहां तक कहना पड़ा कि लेफ्ट राइट सेंटर हर तरफ बलात्कार, मान्यवर, श्रीमान, माननीय, माई-बापों आपको ही नहीं हमें भी समझने वाली बात यह है कि जिस न्यायालय में पवित्र ग्रंथ गीता की शपथ ली जाती है हमारे आराध्य भगवान प्रभु राम पर रचित रामायण की जो कथाएं व्यास गद्दी से समाज में सुनाई जाती हैं उनके सारांश से भी आप भली भांति परिचित होंगे। कि क्यों आखिर लंका दहन और कौरव पांडवों के बीच भीषण युद्ध हुआ। कितनी लाशों के ढेर अपनों ने अपनों के देखें। आखिर धर्म की रक्षा और मातृशक्ति के मान-सम्मान की खातिर किस बेरहमी से अपनों ने ही अपने पराये में बगैर भेद किये उन्हें उनके दुसाहस दुराचार की सजा दी। इसलिए सोच, सत्ता, अकूत दौलत से इतर हमें सत्य और सर्व कल्याण के लिए जवाबदेही, उत्तरदायित्व के साथ अपने-अपने कर्तव्य निर्वहन का मार्ग प्रस्त करना होगा और यहीं मानव जीव-जगत एवं प्रकृति के पक्ष में हमारा अमूल्य योगदान हो सकता है। वरना मौजूद इतिहास, समक्ष वर्तमान और धुधंला भविष्य हमारे सामने स्पष्ट है। विचार अब हमें महान विरासत की उन सन्तानों को अपने दिव्य, भव्य, गौरव एवं वैभवशाली परम्पराओं का करना है।
जय स्वराज
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