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ज्योतिरादित्य सिंधिया ने खोला मध्य प्रदेश CM पद के दावेदार का नाम


भोपाल। मध्य प्रदेश में नवंबर-दिसंबर में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, जिसको लेकर सभी दल चुनावी तैयारियों में जुट गए हैं। प्रदेश में बीजेपी शिवराज के चेहरे पर चुनाव लड़ रही है, लेकिन कांग्रेस का अभी तक कोई चेहरा सामने नहीं आया था। हालांकि, जगह-जगह पर ज्योतिरादित्य सिंधिया, कमलनाथ और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के नाम पर कयास लगाए जा रहे थे और यही वजह है कि कांग्रेस के समर्थक आपस में भी बंटे हुए थे।
15 साल तक सत्ता से दूर रहने वाली कांग्रेस अपने अस्तित्व की लड़ाई मध्य प्रदेश में लड़ रही है, ऐसे में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने माना कि कांग्रेस में कई खामियां हैं जिसकी वजह से वह अभी तक प्रदेश में सरकार नहीं बना पाई है। आपको बता दें कि सिंधिया ने एक टीवी चैनल के कार्यक्रम में कांग्रेस की ओर से मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री उम्मीदवार के नाम का जिक्र किया और बताया कि लोकतंत्र में जनता की भागीदारी सबसे महत्वपूर्ण होती है।
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने माना कि मध्य प्रदेश कांग्रेस में खासी कमियां थीं जिसकी वजह से कांग्रेस के आला नेता 15 सालों से आपस में ही बंटे हुए थे, लेकिन अब ऐसा नहीं है। सिंधिया ने कहा कि राज्य में हुए उपचुनाव के नतीजे साफ तौर पर यह दर्शा रहे हैं कि मध्य प्रदेश की जनता शिवराज सरकार से खुश नहीं है और वह हमें सत्ता में देखना चाहते हैं। यही वजह है कि मध्य प्रदेश में एक बार फिर से कांग्रेस के सभी आला नेता एकजुट हुए हैं।
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने आगे मुख्यमंत्री उम्मीदवार के नाम का जिक्र करते हुए कहा कि ऐसा दूसरी पार्टियां कह रही हैं कि कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया मुख्यमंत्री उम्मीदवार हैं। लेकिन, मुझे लगता है कि न तो ज्योतिरादित्य सिंधिया और न ही कमलनाथ मुख्यमंत्री पद के दावेदार हैं। लोकतंत्र में सबसे अधिक भागीदारी जनता की होती है ऐसे में कांग्रेस का मानना है कि वह जनता के नाम पर चुनाव लड़ेंगे और चेहरा भी जनता ही होगी।
ज्योतिरादित्य के इस बयान के बाद राजनीतिक गलियारों में खासी हलचल मच गई, सभी पार्टियां एकजुट होकर ज्योतिरादित्य के इस बयान को समझने का प्रयास कर रही हैं। वहीं, राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि ज्योतिरादित्य ने यह बात इसलिए कही क्योंकि राज्य की जनता दोनों नेताओं का नेतृत्व चाहती है।
इसके अतिरिक्त उनके इस बयान से मध्य प्रदेश की जनता के समक्ष यह संदेश जाएगा कि अब कांग्रेस की मध्य प्रदेश इकाई में कोई फूट नहीं बची है। ऐसे में जनता का विश्वास कांग्रेस के प्रति दोबारा से मजबूत होगा। दूसरी तरफ अगर हम ज्योतिरादित्य के बयान पर गौर करें तो कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि उन्होंने यह कदम राहुल गांधी के कहने पर उठाया होगा क्योंकि राहुल चाहते हैं कि राज्य में कांग्रेस, बीजेपी को अपना प्रतिद्वंद्वी माने न कि कांग्रेस समर्थक आपस में ही भिड़ते हुए दिखाई दें।

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