भोपाल। मध्यप्रदेश के कई जिलों में हुई जोरदार बारिश के बाद एक बार फिर प्रदेश में पानी का आतंक छा सकता है। जिसके चलते प्रदेश के अधिकांश हिस्सों बादलों की गिरफ्त में रहेंगे।
दरअसल मौसम विभाग से मिले आंकड़ोके अनुसार आगामी 48 घंटों के दौरान उत्तरी मध्य प्रदेश (ग्वालियर, सागर, चम्बल रीवा एवं शहडोल संभागों के जिले) में अधिकांश स्थानों पर गरज चमक के साथ बौछारें पड़ने की संभावना है। इसके अलावा कई जगहों पर भारी वर्षा का अंदेशा भी बना हुआ है।
दो दिनों तक चलने वाली इस बारिश के बाद मौसम वैज्ञानिकों का अनुमान है कि करीब 28 जुलाई से मध्य प्रदेश में वर्षा गतिविधियां कम हो जाएंगी।
दरअसल मौसम विभाग के अनुसार दक्षिण उत्तर प्रदेश के केंद्रीय हिस्सों पर औसत समुद्र तल से ऊपर 5.8 किमी उपर तक फैले एसोसिएटेड(संलग्न) चक्रवात परिसंचरण के साथ कम दबाव क्षेत्र बना हुआ है।
इस संयुक्त प्रणाली के रूप में अर्ध-स्थिर और रहने की संभावना है।
इस संयुक्त प्रणाली के रूप में अर्ध-स्थिर और रहने की संभावना है।
इसे अरब सागर से लगातार ऊर्जा मिलने के इसके कारण आगामी 48 घंटों के दौरान उत्तरी मध्य प्रदेश (ग्वालियर, सागर, चम्बल रीवा एवं शहडोल संभागों के जिले) में अधिकांश स्थानों पर, उज्जैन सहित भोपाल संभागों के जिलों में अनेक स्थानों पर और होशंगाबाद, जबलपुर एवं इंदौर संभागों के जिलों में कुछ स्थानों पर वर्षा या गरज चमक के साथ बौछारों पड़ने की संभावना है।
इसके साथ ही मध्य प्रदेश के उत्तरी हिस्सों में (दतिया, शिवपुरी, अशोकनगर, टीकमगढ़, छतरपुर, पन्ना, दमोह, सतना, उमरिया, शहडोल एवं कटनी जिलों में) कही-कही भारी से भी भारी वर्षा का अंदेशा बना हुआ है। वहीं यह भी कहा जा रहा है कि 28 जुलाई से मध्य प्रदेश में वर्षा गतिविधियां कम होगी और पूर्वोत्तर राज्यों में की वर्षा गतिविधियों में बढोत्तरी होगी।
सामने आ रही जानकारी के अनुसर औसत समुद्र तल पर मानसून द्रोणिका की धुरी गंगानगर, भिवानी, दक्षिण उत्तर प्रदेश के केंद्रीय हिस्सों पर औसत समुद्र तल से ऊपर 5.8 किमी उपर तक फैले एसोसिएटेड(संलग्न) चक्रवात परिसंचरण के साथ कम दबाव क्षेत्र के केंद्र, चुरक, बंकुरा, दीघा और वहां से पूर्वी दक्षिणपूर्व दिशा से से बंगाल की पूर्वोत्तर खाड़ी तक बनी हुई है। वहीं मानसून द्रोणिका की दूसरी शाखा बांकुरा से हिमालयीन पश्चिम बंगाल से होती हुई पश्चिमी असम तक बनी हुई है।
जानकारों का मानना है कि ऐसे में 28 जुलाई से 02 अगस्त तक के दौरान बंगाल की खाड़ी की संवहन गतिविधियां कमजोर पड़ने की संभावना है। ऐसे में मानसून द्रोणिका के पूर्वी छोर से संभावित उत्तर दिशा में विस्थापित होने के कारण हिमालय की तराई और पूर्वोत्तर राज्यों में वर्षा गतिविधियां बढने की संभावना है जबकि इसके चलते मध्य प्रदेश में वर्षा गतिविधियां कम होने का अंदेशा है।
ये हैं कारण…
28 अगस्त से जूलियन ऑसीलेशन (एमजेओ) इंडेक्स का आयाम धीरे-धीरे 1 से कम होने के संकेत हैं, जो इसके 28 जुलाई से से 02 अगस्त के दौरान बंगाल की खाड़ी क्षेत्र पर संवाहनत्मक गतिविधि में वृद्धि का समर्थन नहीं करता।
28 अगस्त से जूलियन ऑसीलेशन (एमजेओ) इंडेक्स का आयाम धीरे-धीरे 1 से कम होने के संकेत हैं, जो इसके 28 जुलाई से से 02 अगस्त के दौरान बंगाल की खाड़ी क्षेत्र पर संवाहनत्मक गतिविधि में वृद्धि का समर्थन नहीं करता।
इसके साथ ही एमओईएस के एमएमई-सीएफएस मॉडल एनडब्ल्यूपी मॉडल (आईएमडी जीएफएस, जीईएफएस, एनसीयूएम, एनसीएमआरडब्ल्यूएफ एनईपीएस और ईसीएमडब्लूएफ सहित) ने इस अवधि के दौरान डिप्रेशन या कम दवाब का क्षेत्र के विकास का सुझाव नहीं दिया है।
ऐसा रहेगा मौसम…
मानसून में होने वाले बदलावों को लेकर मौसम विभाग से रिटायर्ड एके शर्मा ने बताया कि राजधानी भोपाल में अभी दो दिन और बारिश होने की संभावना बनी हुई है। हां इसके बाद यानि 28 जुलाई को ये संभावना न के बराबर दिखती है…
मानसून में होने वाले बदलावों को लेकर मौसम विभाग से रिटायर्ड एके शर्मा ने बताया कि राजधानी भोपाल में अभी दो दिन और बारिश होने की संभावना बनी हुई है। हां इसके बाद यानि 28 जुलाई को ये संभावना न के बराबर दिखती है…
– 27 जुलाई को बारिश के साथ आम तौर पर बादल छाए रहेंगे।
– 28 जुलाई को भी राजधानी के आसमान में आंशिक रूप से बादल छाए रहेंगे, आम तौर पर दोपहर या शाम या रात की ओर बादल छाए रहेंगे। उमस के भी आसार हैं।
– 29 जुलाई को कुछ जगहों पर हल्की बारिश के साथ आम तौर पर बादल छाए रहेंगे।
– 30जुलाई आसमान पर आंशिक रूप से बादल छाए रहेंगे। जबकि इस दौरान कहीं कहीं बारिश भी हो सकती है
– 31 जुलाई को आसमान काफी हद तक साफ़ दिख सकता है। लेकिन इसके बाद भी कुछ जगह बारिश की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।