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बड़ी खबर: अतिथि विद्वानों को मिला खास तोहफा! उच्च शिक्षा विभाग ने जारी किया ये आदेश

भोपाल। MP के सरकारी कॉलेजों में सेवारत अतिथि विद्वानों के लिए एक अच्छी खबर आई है। जिसके बाद अब हर महीने उन्हें 30 हजार रुपए वेतन मिलेगा। उन्हें यह वेतन प्रतिदिन 7 घंटे महाविद्यालय में बिताने और प्राचार्य द्वारा सौंपे गए समस्त शैक्षणिक और गैर-शैक्षणिक कार्य का संतोषजनक जवाब देने पर दिया जाएगा। इस संबंध में बुधवार को उच्च शिक्षा विभाग के अपर सचिव वीरन सिह भलावी ने आदेश जारी कर दिए हैं।
पिछले लंबे समय से अतिथि विद्वान अपनी कई मांगों को लेकर आंदोलन भी कर रहे हैं। जानकारों की माने तो सरकार की ओर से दिए गए इस तोहफे से अतिथि विद्वान अब काफी संतुष्ट महसूस करेंगे।
जानकारी के अनुसार प्रदेश के शासकीय महाविद्यालयों में स्वीकृत एवं रिक्त पदों के विरूद्ध प्रति अवधि या कालखंड मानदेय के आधार पर राज्य शासन ने प्रतिवर्ष अतिथि विद्वानों को 11 माह के लिए आमंत्रण देने की नीति के अंतर्गत वर्तमान में प्रचलित व्यवस्था में परिवर्तन करते हुए यह निर्णय दिया है। जिसके बाद संपूर्ण शैक्षणिक वर्ष की कलावधि के लिए प्रति कालखंड के स्थान पर दैनिक मानदेय का निर्धारण करते हुए न्यूनतम निश्चित मानदेय दिया जाएगा।
ज्ञात हो कि मप्र लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित की जाने वाली असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती परीक्षा को निरस्त कर अपने नियमितिकरण की मांग को लेकर प्रदेश भर के अतिथि विद्वान लंबे समय से आंदोलन कर रहे थे।
ये भी मिलेंगे लाभ…
इतना ही नहीं अतिथि विद्वानों की यह नियुक्ति तीन साल के लिए होगी। गर्मियों के अवकाश के दौरान भी इन्हें वेतन दिया जाएगा। साथ ही छुट्टियों का भी लाभ दिया जाएगा।
पहले 25 हजार रुपए फिक्स करने की थी तैयारी!…
इससे पहले सूत्रों से सामने आ रही खबरों में बताया जा रहा था कि मध्यप्रदेश के उच्च शिक्षा विभाग ने अतिथि विद्वानों का मानदेय प्रतिमाह 25 हजार रुपए फिक्स करने की तैयारी कर ली है। विभाग ने इस प्रस्ताव को वित्त विभाग की राय जानने के लिए भी भेजा है। इसके अलावा वित्त विभाग से जवाब के बाद इसे कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेज दिया जाएगा।
यह भी है खास
-प्रदेश के शासकीय कॉलेजों में 4200 से अधिक अतिथि विद्वान पढ़ाते हैं। इन विद्वानों को 200 रुपए प्रति लेक्चर के हिसाब से पैसा दिया जाता है। जबकि एक विद्वान अधिक से अधिक तीन लेक्चर ही रोज ले सकता था।
-खेल शिक्षक और लाइब्रेरियन को 580 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से मानदेय दिया जाता है। उच्च शिक्षा विभाग का नया प्रस्ताव सभी विद्वानों को 25 हजार रुपए प्रतिमाह तय करवा देगा। हालांकि यह वेतन नहीं मानदेय ही कहलाएगा।
नियमितीकरण की मांग
वहीं इस दौरान अतिथि विद्वान महासंघ के अध्यक्ष देवराज सिंह का कहना था कि हालांकि प्रदेश सरकार का यह कदम अस्थाई ही है। सरकार संविदा पर ही रखना चाहती है। अतिथि विद्वानों के संगठन की मांग है कि 15 से 20 वर्षों से काम कर रहे अतिथि विद्वानों को नियमित करना चाहिए।

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