अमित शाह ने कहा कि तुरंत घाटी में विधानसभा चुनाव कराने की स्थिति नहीं है लेकिन इस साल के अंत तक चुनाव हो सकते हैं. ऐसा ही चुनाव आयोग ने भी कहा है. केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि जब राष्ट्रपति शासन लगाया गया था तो किसी भी दल के पास बहुमत नहीं था. ऐसी रिपोर्ट्स आ रही थीं कि खरीद-फरोख्त हो सकती हैं. तभी राज्यपाल ने ये प्रस्ताव रखा था.
लोकसभा में अमित शाह ने कश्मीर को लेकर ये बातें सामने रखीं…
# पहली बार ऐसा हुआ है जब राष्ट्रपति शासन या राज्यपाल शासन में आतंकियों के खिलाफ कड़ा एक्शन लिया गया है.
# केंद्र सरकार की अगुवाई में घाटी में विकास के कार्यों को आगे बढ़ाया जा रहा है.
# जम्मू-कश्मीर में कई सालों से पंचायत के चुनाव नहीं कराये जाते थे, लेकिन हमारी सरकार ने पिछले एक साल में वहां 4 हजार से अधिक पंचायतों में चुनाव कराए और 40 हजार से अधिक पंच-सरपंच आज लोगों की सेवा कर रहे हैं.
# अमित शाह ने कहा कि पहले कई बार जम्मू-कश्मीर में हमने रक्तरंजित चुनाव देखे हैं. सबको इस पर मलाल होता था. इस बार 40 हजार पदों के लिए चुनाव हुआ पर एक भी व्यक्ति की जान नहीं गई. संसद के चुनाव में भी हिंसा नहीं हुई है, ये दर्शाता है कि जम्मू कश्मीर में लॉ एंड ऑर्डर बेहतर है.
# जम्मू-कश्मीर के संविधान के सेक्शन 5 और 9 के तहत जो आरक्षण का प्रावधान है उसमें थोड़ा संशोधन कर कुछ नए क्षेत्रों को जोड़ने का प्रस्ताव लाया जाए. जिसके तहत वास्तविक नियंत्रण रेखा से लगे क्षेत्रों के लोगों के लिए जो आरक्षण है उसी के अंतर्गत अंतरराष्ट्रीय सीमा में रहने वालों को भी इसका लाभ मिलना चाहिए.
# हाल ही में रमजान खत्म हुआ है, जल्द ही अमरनाथ यात्रा शुरू होने वाली है. इसी वजह से हमारा पूरा ध्यान यात्रा की सुरक्षा पर है, यही कारण है कि घाटी में चुनाव इसके बाद ही कराए जाएंगे.
# हम बॉर्डर के पास रह रहे लोगों के लिए बंकर तैयार कर रहे हैं. पूर्व गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने जो समयसीमा तय की थी, हम उसी समय में ये टारगेट पूरा कर लेंगे.